किसान-गरीब विरोधी है बिजली संशोधन बिल-2020: माकपा

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी उत्तर प्रदेश राज्य सचिव मण्डल ने बिजलीसंशोधन बिल 2020 का कड़ा विरोध करते हुए इसे किसान, गरीब विरोधी तथा लघुउद्योगों के लिए विनाशकारी बताया है और इसे तुरंत वापस लेने की मांग की है।

Update: 2020-05-18 13:39 GMT

लखनऊ। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी उत्तर प्रदेश राज्य सचिव मण्डल ने बिजलीसंशोधन बिल 2020 का कड़ा विरोध करते हुए इसे किसान, गरीब विरोधी तथा लघुउद्योगों के लिए विनाशकारी बताया है और इसे तुरंत वापस लेने की मांग की है।राज्य सचिव मण्डल ने कहा है कि केन्द्र सरकार कोरोना महामारी को खत्म करने से ज्यादाध्यान सार्वजनिक क्षेत्रों को खत्म करने में लगा रही है।

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संघीय सिद्धांतों पर हमला

माकपा के राज्य सचिव हीरालाल यादव ने बयान जारी करके कहा है कि बिजली संशोधनबिल 2020 बिजली क्षेत्र के पूर्ण रूप से निजीकरण का आधार तैयार करता है। यह राज्यों के सारे अधिकार छीनकर केन्द्र के हाथ में सौंप देगा, जो हमारेसंविधान के संघीय सिद्धांतों पर हमला है।

बिजली समवर्ती सूची में है इसलिएउत्पादन, वितरण व विनियमन में राज्यों का बराबर का अधिकार है। हमारे देशमेंराज्यों की अलग अलग परिस्थितियां हैं जिसके अनुरूप राज्य बिजली के सम्बन्ध मेंअभी तक निर्णय लेते रहे हैं।

बिजली संशोधन बिल 2020

उन्होंने कहा कि कई राज्यों में कृषि क्षेत्र के लिए बिजली मुफ्त है, कुछराज्य अपने यहां किसानों और लघु उद्यमियों को रियायती बिजली देते हैं। बिजलीसंशोधन बिल 2020 लागू होने पर राज्यों के अधिकार समाप्त हो जायेंगे और राज्यबिजली कारपोरेशन निरर्थक बन जायेंगे।

यह बिल कृषि संकट को औरबढ़ायेगा और बड़ी संख्या में रोजगार देने वाले सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों एवंअनौपचारिक क्षेत्र को बर्बाद कर देगा। यह घोर जनविरोधी बिजली बिल पूरी तरहअस्वीकार्य है इसलिए यह मांग की जाती है कि इसे फौरन वापस लिया जाय।

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बता दे कि केंद्र सरकार द्वारा पास किए गये बिजली संशोधन बिल-2020 काविरोध करते हुए आल इण्डिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने कहा है कि निजीकरण,किसानों और आम घरेलू उपभोक्ताओं के साथ धोखा है और निजीकरण के बादबिजली की दरों में बेतहाशा वृद्धि होगी।

फेडरेशन ने कोविड -19 संक्रमण के दौरानलाकडाउन का फायदा उठा निजीकरण करने की निंदा करते हुए फेडरेशन ने इसे देश केलिए दुर्भाग्यपूर्ण बताया चेतावनी दी है कि अगर बिजली वितरण के निजीकरण का निर्णय वापस न लिया गया तो नेशनलकोऑर्डिनेशन कमीटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लॉयीज एन्ड इंजीनियर्स (एनसीसीओईईई) के आह्वान पर देश भर के तमाम 15 लाख बिजली कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर और अभियंता निजीकरण के विरोध में राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू करने के लिए बाध्य होंगे।

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