अब इन गड़बड़ियों के लिए बिजली कंपनियों को देना होगा मुआवजा, पढ़ें पूरा मामला

बिजली की आवाजाही, लो वोल्टेज और मीटर रीडिंग जैसी समस्याओं से आप अक्सर दो-चार होते है। इसको दुरूस्त कराने के लिए आप बिजली विभाग के चक्कर लगाते है लेकिन आपकी सुनवाई नहीं होती और आप परेशान होते है।

Update: 2019-11-20 15:40 GMT

लखनऊ: बिजली की आवाजाही, लो वोल्टेज और मीटर रीडिंग जैसी समस्याओं से आप अक्सर दो-चार होते है। इसको दुरूस्त कराने के लिए आप बिजली विभाग के चक्कर लगाते है लेकिन आपकी सुनवाई नहीं होती और आप परेशान होते है।

हालांकि विद्युत वितरण संहिता 2005 में उपभोक्ताओं की समस्याओं के निस्तारण के लिए एक नियत समय तय है, इसके बावजूद भी विद्युत उपभोक्ताओं को तय समय में सेवायें नहीं दी जाती। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।

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उप्र. विद्युत नियामक आयोग, प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं की ब्रेक डाउन, केबिल फाल्ट, ट्रांसफार्मर, नया कनेक्शन, मीटर रीडिंग, लोड घटानें या बढ़ानें जैसी समस्याओं को तय समय में हल कराने के लिए प्रदेश की बिजली कंपनियों पर सख्ती करने की तैयारी में है।

इसके लिए आयोग स्टैन्डर्ड आफ परफार्मेन्स रेगुलेशन 2019 लागू करने की तैयारी में हैं। आयोग अध्यक्ष आरपी सिंह व सदस्य केके शर्मा ने इस प्रस्तावित ड्राफ्ट पर जनसुनवाई भी कर ली है और जल्द ही यह नया नियम प्रदेश में लागू किया जायेगा।

प्रस्तावित ड्राफ्ट के मुताबिक अब बिजली कंपनियां अगर उपभोक्ताओं की समस्याओं का हल तय समय सीमा में नहीं करेंगे तो संबंधित कंपनी को उपभोक्ता को आयोग द्वारा तय दर से 60 दिन के भीतर मुआवजा देना होगा। आयोग के प्रस्तावित ड्राफ्ट में बिजली से संबंधित समस्याओं के लिए जो मुआवजा तय किया गया है, वह इस प्रकार हैं।

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उपभोक्ता समस्या प्रस्तावित मुआवजा

वोल्टेज विचलन -100 रुपये प्रतिदिन

नया कनेक्शन वितरण- 100 रुपये प्रतिदिन

मीटर रीडिंग के मामले- 200 रुपये प्रतिदिन

डिफेक्टिव मीटर -50 रुपये प्रतिदिन

बिलिंग संबंधी शिकायत -50 रुपये प्रतिदिन

लोड घटना या बढ़ाना -50 रुपये प्रतिदिन

ट्रांसफार्मर फेल ग्रामीण या शहरी क्षेत्र- 150 रुपये प्रतिदिन

अण्डर ग्राउण्ड केबिल ब्रेकडाउन- 100 रुपये प्रतिदिन

सबस्टेशन विस्तार या निर्माण-500 रुपये प्रतिदिन

काल सेन्टर द्वारा रिस्पान्स न देने पर -50 रुपये प्रतिदिन

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