Etawah:आपके आसपास घूमते है जहरीले सांप, जिनके काटने से जा सकती है जान, जानिए खतरनाक जहरीले सांपों के बारे में

Etawah: जनपद में सांपों के बारे विद्यार्थियों को जागरूक करने का एक अभियान जिला प्रशासन के द्वारा चलाया जा रहा है। यह अभियान जनपद के मुख्य विकास अधिकारी के दिशा निर्देशन में चल रहा है।

Report :  Sandeep Mishra
Published By :  Deepak Kumar
Update:2022-05-18 15:29 IST

सांपों के बारे जागरूकता अभियान।

Etawah: जनपद में इस समय इस धरती के सबसे रहस्यमयी जीव सांपो के बारे विद्यार्थियों को जागरूक करने का एक अभियान जिला प्रशासन के द्वारा चलाया जा रहा है। यह अभियान जनपद के मुख्य विकास अधिकारी के दिशा निर्देशन में चल रहा है। धरती की सबसे रहस्यमय प्रजाति सार्पो के बारे में इटावा के सर्प मित्र आशीष त्रिपाठी विद्यार्थियों को सर्पों के प्रति जागरूक करने का काम कर रहे हैं। जनपद में जारी इस अभियान के तहत विद्यार्थियों को यह बताया जा रहा है कि सांपों की पहचान कैसे की जाए? सर्प दंश से कैसे बचा जाए?अगर कोई सर्प दंश का शिकार हो भी जाये तो उसे अस्पताल पहुंचाने में कितनी शीघ्रता की जानी चाहिए।इसके अतिरिक्त विद्यार्थियों को यह भी बताया जा रहा है कितने सर्प विषहीन होते हैं।

इटावा में पाए जाने वाले सर्प

इटावा जनपद बेहद घने जंगलों से घिरा जिला है। इस जिले के जंगल मे अजगर, कोबरा, करैत, कोरल वाइपर, रसेल वाइपर जैसे काफी जहरीले सांप पाए जाते हैं। हालांकि इटावा के जंगलों में पाया जाने वाले विशालकाय अजगर व घोड़ा पछाड़ जहरीले नहीं होते लेकिन अजगर की पकड़ इतनी सख्त होती है कि उसकी कुंडली मे अगर कोई जीव फंस जाता है तो अजगर उसका दम घोट कर उसकी जान निकाल देता फिर उसे अपना आहार बना लेता है। इटावा जनपद में बकरी,बकरी के बच्चे, मुर्गा-मुर्गी व उनके बच्चों को अपना शिकार अजगर के द्वारा बनाने की सुर्खियां अब आम बात हो गयी है।

प्राकृतिकवास में अतिक्रमण से बस्तियों में मिलते है जहरीले सर्प

इटावा के जंगलों में सबसे ज्यादा कोबरा व विशालकाय अजगर ही मिलते हैं। हालांकि धरती के इस रहस्यमयी जीव की कुछ अन्य प्रजातियां भी इटावा जंगल मे मिल जाती हैं, लेकिन वे कम ही मिलते हैं। जब से इस जनपद में आम इंसान ने इनके प्राकृतिकवास में अपने मकान बनाकर अतिक्रमण करना शुरू कर दिया तब से आये दिन इटावा के शहरी इलाकों में कोबरा जैसे जहरीले व विशालकाय अजगर के मिलने की घटना आम बात हो गयी है। बस्तियों व शहरी इलाकों में इन सर्पो के मिलने की घटनाओं ने इस प्रजाति की सुरक्षा के प्रति जिला प्रशासन को चिंता जनक स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है। इस रहस्यमयी जीव को अक्सर रिहायशी इलाकों में मिलने से इन्हें लोग भयवश मार डालते हैं। जिला प्रशासन का अपने इस अभियान के माध्यम से आम लोगों यह बताना है कि इन्हें मारे नहीं। इन सर्पो के मिलने पर जिला प्रशासन वन विभाग (Forest department) व सर्प मित्र आशीष त्रिपाठी को कॉल करें ताकि इन्हें पकड़ कर इनके प्राकृतिकवास में छोड़ा जा सके।

सांप के काटने पर भगत व तांत्रिक के चक्कर में न पड़ें

सर्प मित्र आशीष त्रिपाठी (Snake Friend Ashish Tripathi) ने इस सेमिनार में विद्यार्थियों को बताया कि किसी भी जहरीले सांप के काटने पर मरीज को किसी भगत या तांत्रिक के पास न ले जाएं। उनका कहना है कि दुनियां कोई भी सांप किसी को काटने के बाद उस मनुष्य के शरीर से अपना जहर खींचने के लिये वापस नहीं आता है और न ही कोई भी तांत्रिक या भगत उस सर्प को वापस अपना जहर खींचने के लिये वापस बुला सकता है। उन्होंने विद्यार्थियों को यह सब फैलाई हुई भ्रांतियां हैं।उ न्होंने विद्यार्थियों से अपील की है कि आपके घर या आसपास में किसी को भी सांप काट ले तो उसे तत्काल जिला अस्पताल ले जाएं। उन्होंने बताया कि सांप के काटे जाने पर मरीज आधा घण्टे के भीतर समुचित इलाज मिल जाना चाहिये अन्यथा मरीज का बचना मुश्किल होता है।

सर्प मित्र ने विद्यार्थियों को सर्प की कराई पहचान

इटावा जनपद में जिला प्रशासन के सहयोग से सांपों के संदर्भ में चल रहे सेमिनार में विद्यार्थियों को सांपों की यह पहचान भी बताई जा रही है कि कौन सा सांप जहरीला और कौन सा सांप विषहीन है। चित्रों के माध्यम से इस सेमिनार में विद्यार्थियों को सांपों की पहचान कराई जा रही है। सर्प मित्र आशीष त्रिपाठी (Snake Friend Ashish Tripathi) ने विद्यार्थियों को बताया कि विषैले सांपो में कोबरा, किंग कोबरा, करैत, कोरल, वाइपर, रसेल वाइपर, एडर, डिस फालिडस, मावा, वाइटिस गैवोनिका, रैटल स्नेक, होते हैं।

विषैले सांपों के विष एक से नहीं होते हैं

सर्प मित्र ने विद्यार्थियों को बताया कि सभी विषैले सांपों के विष एक जैसे नहीं होते हैं।कुछ सांपों के विष तो शरीर के तंत्रिकातंत्र को आक्रांत करते हैं,कुछ शरीर के खून को व कुछ सांपों के विष तन्त्रिका तंत्र व खून दोनों को आक्रांत कर देते हैं।उन्होंने बताया कि शल्कों से विषधारी सांपों की पहचान होती है।इन शल्कों से विषैले व विषहीन सांपों की पहचान हो जाती है। उन्होंने विद्यार्थियों को बताया कि विषैले सांपों के सिर पर शल्क छोटे होते हैं। इनके सिर के बगल में एक गड्ढा होता है जबकि इनके ऊपरी होंठ के किनारे से सटा हुआ तीसरा शल्क नाक और आंख के शल्कों से मिलता है।पीठ के शल्क अन्य शल्कों से बड़े होते हैं।माथे पर कुछ शल्क बड़े व अन्य छोटे होते हैं।

विष हीन सांपों की पहचान

इटावा के मुख्य विकास अधिकारी (Etawah Chief Development Officer) के दिशा निर्देशन में धरती के सबसे रहस्यमयी जीव सांपों के प्रति जारी इस जागरूक अभियान के तहत विद्यार्थियों को बताया गया कि विषहीन सांपों के की पीठ व पेट एक शल्क समान विस्तार के होते हैं। पेट के शल्क एक भाग से दूसरे भाग में स्पर्श नहीं करते हैं। इन सांपों के दांतों में विष नहीं होता है। जबकि विषधर सांपों ऊपर के छेदों में विष ग्रन्धी होती है। उसके दांत कुछ मुड़े हुए से होते हैं। मनुष्य को काटते समय विषधारी सांपों के ये दोनों दांत शरीर मे धंस जाते हैं, तब उन्हें मनुष्य के शरीर से निकालने के प्रयास में सांप अपनी गर्दन उठा कर झटके से निकालने का प्रयास करता है और उसे खींचने का प्रयास करता है ।उसी समय उसकी विष निकल कर मनुष्य के शरीर मे प्रभावित हो जाता है, जिससे बाद उसे उचित समय पर सही इलाज न मिलने पर मौत हो जाती है।

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