सरकारी कर्मचारियों की करतूतः मासूम से करा रहे ये काम, करते हैं बड़ी बातें

सरकार के बाल मजदूरी पर सख्त कानून के बाद भी कोई अंकुश नहीं लग पा रहा है। हर साल सैकड़ों बच्चे बाल मजदूरी के जाल में फंस रहे हैं। जो बच्चे के शारीरिक, मानसिक, नैतिक स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए घातक है।

Update: 2020-10-27 14:52 GMT
सरकारी कर्मचारियों की करतूत सामने, 13 वर्षीय बच्चे से कराया जा रहा बाल श्रम

औरैया: सरकार के बाल मजदूरी पर सख्त कानून के बाद भी कोई अंकुश नहीं लग पा रहा है। हर साल सैकड़ों बच्चे बाल मजदूरी के जाल में फंस रहे हैं। जो बच्चे के शारीरिक, मानसिक, नैतिक स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए घातक है। बाल श्रम को रोकने के लिए बाल श्रम विभाग बनाया बनाया गया है लेकिन विभाग बच्चों का शोषण पर पूर्ण रूप से अंकुश नहीं लगा पा रहा है। कुछ बच्चे परिवार के पालन- पोषण तो कुछ जबरन बाल मजदूरी के जाल में फंसते जा रहे हैं।

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विश्व बाल श्रम निषेध दिवस

हर वर्ष 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है। इस दिन बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं। योजनाओं और नियमों का हवाला देते हुए बाल श्रम को जड़ से खत्म करने की लोग कस्में लेते हैं लेकिन इसके बाद पूरे वर्ष कहीं कुछ नजर नहीं आता है। आपको बता दे हाल में ही सरकार ने बाल श्रम करवाते पकड़े जाने पर नए नियम बनाये जिसमे किसी व्यक्ति व संस्था द्वारा 14 साल से कम वर्ष के बच्चे से काम कराते पकड़े जाने पर 40 हजार रुपए जुर्माना और छह माह जेल का नियम है। सख्त नियम होने के बाद भी कोई बाल मजदूरी में कोई अंकुश नहीं लग पा रहा है।

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अधिकरियों और ठेकेदार ने बाल श्रम का किया उलंघन

ऐसा ही मामला जनपद औरैया का नजर आया जहाँ पर अधिकरियों और ठेकेदार ने बाल श्रम के नियमो की उलंघन की सीमा ही पार कर दी। दरअसल पूरा मामला जनपद के ककोर मुख्यालय की मुख्य सड़क पीडब्ल्यूडी विभाग के द्वारा बनवाई जा रही है जहाँ पर एक दलित नाबालिक 13 बर्षीय बच्चे से धूप में सड़क को बनाने वाले चलते लोडर पर पानी डलवाया जा रहा है। आपको बता दे ये काम बेहद जोखिम भरा है और इसमें जरा सी लापरवाही किसी अनहोनी का रूप ले सकती है लेकिन दलित नावलिक बच्चे पर रहम न खाकर उसे जान को जोखिम डालकर काम करने को आदेश दिया जा रहा है। बेचारा नावलिक बच्चा अपने घर का पालन पोषण करने के लिए पढ़ाई लिखाई छोड़ अपनी मौत को दवात दे रहा है। वही मौके पर अधिकारी और ठेकेदार मौजूद है लेकिन उसका दिल थोड़ा भी उस बच्चे के लिए नही पसीज रहा है। पूरे मामले पर बच्चे से बात की तो उसने बताया 300 रुपये के लिए ये काम कर रहा है और घर की परिस्थिति ठीक न होने के कारण उसे मजबूरी में काम करना पड़ रहा है।

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दलित नाबालिक बच्चे की जिंदगी से खिलवाड़

वही मौके पर खड़े अधिकरियों से बात की तो अधिकरियों का साफ तौर से कहना था कि ये काम मेरा नही है यह ठेकेदार की लेवर है और उसके द्वारा ये लड़का लगाया गया है लेकिन जब विभाग के आलाधिकारी अधिशासी अभियंता से बात की तो उनका जवाब यह था कि जांच कर कार्यवाही की जाएगी लेकिन सवाल बड़ा है दलित नाबालिक बच्चे की जिंदगी से खिलवाड़ करके उससे काम करवाया जा रहा है जो बेहद खतरनाक है। कभी भी कोई अनहोनी हो सकती है। ऐसे लापरवाह अधिकारी और ठेकेदारों पर कठोर कार्यवाही होनी चाहिए।

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रिपोर्टर प्रवेश चतुर्वेदी औरैया

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