वाराणसीः सुप्रसिद्ध बनारस घराने के तबला वादक लक्ष्मण नारायण सिंह उर्फ पं. लच्छू जी महाराज का 72 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। तबीयत खराब होने के बाद परिजनों ने उन्हें महमूरगंज स्थित एक प्राइवेट हॉस्पिटल में एडमिट कराया था, लेकिन डॉक्टरों के कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका। बता दें, कि लच्छू जी महाराज बॉलीवुड एक्टर गोविंदा के मामा भी थे।
परिजनों के मुताबिक वे काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। लगभग दो दर्जन से अधिक देशों में अपने कला की प्रस्तुति दे चुके लच्छू जी महाराज न सिर्फ काशी का ही बल्कि अपने कला के दम पर विश्व में भारत का भी परचम लहरा चुके हैं।
काशी में शोक की लहर
-लच्छू जी महाराज के निधन की सूचना के बाद लोगों का उनके वाराणसी के भोगाबीर कालोनी स्थित आवास पर तांता लग गया।
-बनारस संगीत घराने के लच्छू महाराज को संगीत जगत से जुड़े लोगों के साथ हर कोई उनको जानता था।
-उनका पैतृक आवास दालमंडी मोहल्ले में है।
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मणिकर्णिका घाट पर होगा अंतिम संस्कार
-लच्छू महाराज के छोटे भाई जयनारायण सिंह ने बताया कि लच्छू महाराज का अंतिम संस्कार उनकी पत्नी और बेटी के आने के बाद शुक्रवार की शाम मणिकर्णिका घाट पर किया जाएगा।
-उनकी बेटी चंद्रा नारायणी स्विटजरलैंड में रहती हैं और भारत के लिए रवाना हो चुकी हैं।
-देश के कोने-कोने से संगीत की दुनिया के दिग्गजों के अंतिम यात्रा में शामिल होने की संभावना है।
-संभावना जताई जा रही है कि लच्छू जी महाराज के अंतिम दर्शन के लिए गोविंदा भी वाराणसी पहुंचेंगे।
बचपन से ही तबले के प्रति रूझान
-लच्छू महाराज का जन्म 16 अक्टूबर 1944 को वाराणसी के संकटमोचन इलाके में हुआ था।
-उनका बचपन से ही तबले के प्रति रूझान था।
-जिसे देख कर पिता वासुदेव ने उनको अपने सानिध्य में ही तबला वादन की शुरुआती शिक्षा दी।
पद्मश्री पुरस्कार लेने से किया इंकार
-लच्छू महाराज के भाई आर. पी. सिंह का कहना है कि वह बहुत साधारण थे।
-तबला वादन में उनके अमूल्य योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने साल 1972 में उन्हें 'पद्मश्री पुरस्कार' से नवाजा था।
-लेकिन उन्होंने 'पद्मश्री पुरस्कार' लेने से इंकार कर दिया था।