फूलों ने कर दिया लोगों को बर्बाद: कारखाने बंद, कर्जदार हुए किसान

फूलों की खेती करने वाले किसान लॉकडाउन के कारण कारखाने बंद होने से बर्बाद हो गए हैं।लाखों का फूल झड़ गए और किसान पर कर्ज का बोझ बढ़ गया

Update:2020-04-17 09:13 IST

कन्नौज। ''हम जैसे करीब डेढ़ सैकड़ा किसान इस गांव में फूल की खेती करते हैं। इत्र कारखाने से दिवाली के दौरान तकरीबन सभी किसान फूल देने के एवज में एडवांस ले लेते हैं। किसी को लिंटर डलवाना है तो किसी को बेटी की शादी करनी है, लेकिन लाॅकडाउन की वजह से कारखाने बंद हैं। फूल नहीं खरीदा जा रहा है। गर्मी व बिक्री न होने से लाखों रुपए का फूल झड़कर सूख गया। करीब सभी किसान कर्जदार हो गए।''

लाॅकडाउन में फूल की बिक्री बंद

यह कहना है यूपी के कन्नौज में ब्लाॅक सदर क्षेत्र के जीटी रोड किनारे बसे गांव महमूदपुर पैठ निवासी 45 वर्षीय किसान दिलीप कुमार का। दिलीप आगे बताते हैं कि ''खुद उन्होंने 14 हजार रुपए बतौर एडवांस लिया था। लाॅकडाउन की वजह से 20-22 दिनों से फूल की बिक्री बंद है। गुलाब के फूल की तुड़ाई न होने की वजह से वह सूखकर झड़ने लगा है। फसल तो बर्बाद हो ही गई, चिंता इस बात की है कि वह कर्ज कैसे अदा करेंगे।''

फूल की बर्बादी से किसान भी बर्बाद

यह परेशानी इकलौते दिलीप की ही नहीं है, बल्कि सैकड़ों उन फूल की खेती करने वाले किसानों का दर्द है, जिनके फूल झड़कर बर्बाद हो रहे हैं। दिलीप ने बताया कि यहां ज्यादातर किसानों ने 15 हजार से डेढ़ लाख रुपए तक कोठी यानि इत्र कारखाने से एडवांस ले रखा है। फूल की बर्बादी से किसान भी बर्बाद होता जा रहा है।

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50 सालों से कर रहे फूल की खेती

तहसील सदर क्षेत्र के गांव सराय शाह मोहम्मद निवासी रामचंद्र बताते हैं कि वह और उनके परिवार के लोग करीब 50 साल से फूल की खेती करते आ रहे हैं, ऐसा समय नहीं देखा है कि लाॅकडाउन में फूल की बिक्री ही नहीं हो रही हो। वैसे तो 20 हजार रुपए में एक बीघा खेत फूल की खेती के लिए मिलता है, लेकिन इस बार 15 हजार ही देने पड़े।

खरीदार ही नहीं तो ऐसी छूट से फायदा क्या

सराय शाह मोहम्मद निवासी किसान राजेंद्र ने बताया कि करीब डेढ़ बीघा जमीन में गुलाब लगाया था। सूखकर बेकार हो गया। सरकार कहती है कि किसानों को खेतीवाड़ी की छूट है, लेकिन जब खरीदार ही नहीं हैं तो ऐसी छूट से फायदा ही क्या है। उन्होंने बताया कि फूल की खेती के लिए 20-30 हजार रुपए का कर्ज ले लिया था, जो देने के लाले पड़ गए हैं।

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करीब 600 किसान प्रभावित

जिला उद्यान अधिकारी यानि डीएचओ की माने तो कन्नौज जिले में करीब 50-55 हेक्टेयर जमीन पर गुलाब, बेला, नागर मोथा व मेहंदी आदि की खेती होती है। 30 हेक्टेयर में गुलाब होता है। छोटे-छोटे जोत के किसान अधिक हैं। इसमें 600 किसान जुड़े होंगे।

क्या कहते हैं डीएचओ

डीएचओ मनोज कुमार चतुर्वेदी बताते हैं कि डीएम राकेश मिश्र के साथ उनकी मीटिंग हुई थी। इसमें उपायुक्त जिला उद्योग केंद्र भी बुलाए गए थे। सोशल डिस्टेंसिंग व लाॅकडाउन की वजह से सभी किसानों को तो फूल बिक्री करने की अनुमति तो नहीं दी जा सकती है, इसलिए तय हुआ है कि इत्र बनाने वाले मालिकों व किसानों के बीच के प्रतिनिधियों को पास जारी कर दिए जाएं। इससे भीड़ नहीं होगी। करीब 80-90 पास जारी भी किए गए हैं।

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क्या कहते हैं इत्र कारोबारी

शहर के इत्र कारोबारी लालजी मिश्र बताते हैं कि कोरोना वायरस को रोकने के लिए लाॅकडाउन अच्छा निर्णय है, इसका वह स्वागत करते हैं। लेकिन इत्र बनाने में फूल का प्रयोग होता है। फूल से किसान जुड़ा है, लेकिन इ़त्र व्यापारी को किसान या खेती से जुड़ा हुआ नहीं माना गया। कारखाने बंद हैं, इसलिए फूल नहीं खरीदा जा रहा है। किसानों को नुकसान तो है ही, इत्र व्यवसायी भी परेशान हैं।

एक घंटे में बेकार हो जाता टूटा फूल

इत्र व्यापार से जुड़े सौरभ ने बताया कि फूल टूटने के बाद एक घंटे के अंदर कारखाने तक आ जाना चाहिए, देरी होने पर फूल मुरझा जाता है और इत्र बनाने के काम नहीं आ पाता, इसलिए किसानों का नुकसान भी हो जाता है।

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80 वाला फूल बिक रहा 15 रुपए किलो

वैसे तो गुलाब का फूल 80 रुपए किलो बिकता है, लेकिन इन दिनों लाॅकडाउन चल रहा है, इसलिए बाजार में 15 से 18 रुपए किलो ही बमुश्किल बिक्री हो रहा है। किसानों का कहना है कि इतने में तो तुड़ाई ही नहीं निकल रही तो खेतों में फूल का सूख जाना ही बेहतर है।

40 रुपए लग जाती तुड़ाई

किसान राजू का कहना है कि खेत से फूल तोड़ने में वक्त लगता है, टूटने के बाद बिना मुरझाए समय से इत्र कारखाना पहुंच जाए, इसलिए श्रमिकों को लगा लेते हैं। श्रमिक एक किलो फूल तोड़ने में 40 रुपए लेते हैं। अब तो बाजार में बिक्री का रेट तो काफी डाउन है, इसलिए तुड़ाई भी नहीं निकल रही है।

अजय मिश्रा

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