योगी के गढ़ में किसानों और महिलाओं ने निकाली UP सरकार की शव यात्रा

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपने ही गढ़ में किसानों का विरोध झेलना पड़ रहा है। मानबेला के किसानों की लड़ाई लड़ने वाले योगी आजकल इन्हीं किसानों के निशाने पर आ गए हैं। मानबेला में कई दिनों से चल रहे प्रदर्शन के बाद रविवार (17 सितंबर) को प्रदर्शनकारियों ने यूपी सरकार की शव यात्रा को निकाली और प्रदर्शन किया।जिसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठी चार्ज की।

Update: 2017-09-17 12:15 GMT

गोरखपुर : यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपने ही गढ़ में किसानों का विरोध झेलना पड़ रहा है। मानबेला के किसानों की लड़ाई लड़ने वाले योगी आजकल इन्हीं किसानों के निशाने पर आ गए हैं। मानबेला में कई दिनों से चल रहे प्रदर्शन के बाद रविवार (17 सितंबर) को प्रदर्शनकारियों ने यूपी सरकार की शव यात्रा निकाली और प्रदर्शन किया। जिसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठी चार्ज की।

प्रदर्शनकारियों के साथ दर्जनों की संख्या में महिलाएं,बच्चे और बूढ़ी औरतें भी शामिल थी। कई महिलाओं को खरोचे भी आईं। पुलिस ने कुछ प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर थाने ले गईं।

महिलाओं को भी खदेड़ा

रविवार को उन्हीं प्रदर्शनकारियों ने इंदिरा बाल विहार से सरकार और जीडीए का शव यात्रा निकालकर प्रदर्शन किया। यह शव यात्रा फतेपुर चौकी से होते हुए गोलघर से टाउनहाल कचहरी चौराहे पर पहुंची। जहां सीओ कैंट के साथ पुलिस बल ने उन्हें रोककर समझाने की कोशिश की। तभी इन्हीं प्रदर्शनकारियों में से किसी ने पुतले में आग लगा दी जिसके बाद पुलिस ने उन्हें बलपूर्वक खदेड़ा और जलते हुए पुतले को बुझाकर प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज की। पुलिसवालों इन्हें पकड़कर गाड़ी में बैठाने लगे, तभी महिलाएं भी भिड़ गई और हाथापाई होने लगी। जिसके बाद पुलिस ने उन्हें डंडे के सहारे ढकेल कर गाड़ी मैं बैठाकर थाने ले गई। इस दौरान कोई भी महिला सिपाही मौजूद नहीं थी। पुलिस ने इन सब को खदेड़कर मामला शांत कराया।

वादाखिलाफी का आरोप

मानबेला के किसानों ने वाजिब मुआवजे की मांग को लेकर कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे थे। किसानों का कहना है कि सरकार ने वादाखिलाफी की है और हम लोगों की जमीन जबरन जीडीए ने कब्जा कर लिया है। उनका कहना है कि मुआवजे के नाम पर धोखा किया जा रहा है। जीडीए द्वारा हमें अपने खेतों पर काम करने नहीं दिया जा रहा है ताकि आर्थिक रुप से हार मानकर समझौता कर लें। अगर जीडीए हमारी शर्तों को नहीं मानता है, तो 20 सितंबर से आमरण अनशन के लिए बाध्य होंगे। फिलहाल, अब पुलिस की कार्यवाही के बाद यह तय होगा कि अब इनका सत्याग्रह जारी रहेगा या इनकी रणनीति में कुछ बदलाव आएगा

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