अयोध्या की राह काशी: अब सामने आएगी ज्ञानवापी मस्जिद की सच्चाई

कोर्ट ने मंदिर पक्ष के पक्षकार विजय शंकर रस्तौगी की अर्जी को स्वीकार करते हुए पुरातात्विक सर्वेक्षण को मंजूरी दी है।

Report By :  Ashutosh Singh
Published By :  Shreya
Update: 2021-04-08 11:23 GMT

अयोध्या की राह काशी: अब सामने आएगी ज्ञानवापी मस्जिद की सच्चाई (फोटो- सोशल मीडिया)

वाराणसी: अयोध्या की तरह अब ज्ञानवापी मस्जिद में पुरातात्विक विभाग की टीम खुदाई और सर्वेक्षण का काम करेगी। एएसआई मस्जिद की हकीकत को जानने की कोशिश करेगी। दरअसल, पुरातात्विक सर्वेक्षण की मांग को लेकर वाराणसी की फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज आशुतोष तिवारी ने गुरुवार को फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने मंदिर पक्ष के पक्षकार विजय शंकर रस्तौगी की अर्जी को स्वीकार करते हुए पुरातात्विक सर्वेक्षण को मंजूरी दी है।

सरकार उठाएगी सर्वे का खर्चा

कोर्ट ने कहा कि सर्वेक्षण का खर्चा केंद्र सरकार और राज्य सरकार उठाएगी। पुरातात्विक विभाग सर्वे करके जल्द से जल्द कोर्ट में आख्या प्रस्तुत करे। दरअसल स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विशेश्वर की ओर से अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने कोर्ट में दस दिसंबर 2019 को पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने की मांग करते हुए एक याचिका दाखिल दाखिल किया था। इस मामले को लेकर वाराणसी की फास्ट ट्रैक कोर्ट में मंदिर पक्ष और मस्जिद पक्ष की तरफ से बहस चल रही थी जिसमें आज कोर्ट ने फैसला सुनाया।

 (फोटो- सोशल मीडिया)

हिन्दू सांगठनों ने जताई ख़ुशी

कोर्ट के फैसले पर हिन्दू सांगठनों ने ख़ुशी जताई है। इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रया देते हुए वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने बताया कि सिविल जज सीनियर डिवीज़न फास्ट ट्रैक कोर्ट वाराणसी आशुतोष तिवारी के न्यायालय में वादी पक्ष की तरफ से 2019 से प्रार्थना पत्र दिया गया था कि ज्ञानवापी परिसर में स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर का पुराना मंदिर स्थित था और उसमें 100 फुट का ज्योतिर्लिंग मौजूद था, जो कि‍ एक भव्य मंदिर स्वरुप में ज्ञानवापी परिसर में था।

इसको धार्मिक विद्वेष के कारण बादशाह औरंगजेब ने 1669 के फरमान के द्वारा इसे तोड़वा दिया था और उसके एक हिस्से पर स्थानीय मुसलमानों द्वारा एक ढांचा बना दिया गया था, जिसे वो मस्जिद कहते हैं और नमाज़ पढ़ते हैं, लेकिन विवाद यह था कि 15 अगस्त 1947 को इसकी धार्मिक स्थिति क्या थी। इसको तय करने के लिए यह साक्ष्य आवश्यक है कि यह विवादित ढांचा बनने के पहले पुरातन कोई विश्वेश्वर मंदिर का अवशेष वहां उपलब्ध है कि नहीं। उसक नीचे तहखाना उपलब्ध है कि नहीं। उसके अगल-बगल मंदिर का अवशेष है कि नहीं।

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