Sonbhadra News: 16 साल पुराने मामले में कोतवाल पर FIR, जानिए क्या था मामला

Sonbhadra News: ओबरा थाना क्षेत्र में 16 वर्ष पूर्व के ललई हत्याकांड के मामले में, तत्कालीन थानाध्यक्ष दिवाकर सिंह के खिलाफ, ओबरा थाना में धारा 304 ‘क’ आईपीसी के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।

Update: 2023-03-07 11:35 GMT

सोनभद्र 16 साल पुराने मामले में कोतवाल पर FIR, जानिए क्या था मामला: Photo Social Media

Sonbhadra News: ओबरा थाना क्षेत्र में 16 वर्ष पूर्व के ललई हत्याकांड के मामले में, तत्कालीन थानाध्यक्ष दिवाकर सिंह के खिलाफ, ओबरा थाना में धारा 304 ‘क’ आईपीसी के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। मामला पुलिस कस्टडी में घायल की मौत का है। अदालत से आए आदेश के क्रम में की गई इस कार्रवाई से महकमे में जहां हड़कंप की स्थिति बनी हुई है। वहीं, प्रभारी निरीक्षक ओबरा मिथिलेश मिश्रा की तहरीर पर मामला दर्ज कर प्रकरण की छानबीन शुरू कर दी गई है।

वर्ष 2009 में ओबरा थाना क्षेत्र में एक मारपीट का मामला सामने आया था, जिसमें घायल ललई की मौत हो गई थी। परिवार के लोगों का आरोप था कि सिर में गंभीर चोट लगे होने के बावजूद ओबरा के तत्कालीन थानाध्यक्ष दिवाकर सिंह ने ललई को बगैर दवा इलाज के हिरासत में रखा। काफी आरजू-मिन्नत के बावजूद परिवार के लोगों को भी दवा इलाज नहीं कराने दिया गया। अगले दिन सूचना भिजवाई गई थी उनकी हालत काफी सीरियस हो गई है। परिवार के लोग इलाज के लिए लेकर अस्पताल पहुंचे तो डॉक्टर ने बताया कि दो घंटे पहले ही उनकी मौत हो चुकी है। यह भी आरोप है कि मारपीट करने वालों को थाने बुलाने के कुछ देर बाद ही छोड़ दिया गया।

गत सात फरवरी को अदालत ने इस मामले में फैसला सुनाया और परिवार की तरफ से लगाए जा रहे आरोपों और कोर्ट के सामने दर्ज कराए गए बयान को दृष्टिगत रखते हुए पुलिस अधीक्षक को मामले में ओबरा के तत्कालीन थानाध्यक्ष दिवाकर सिंह के खिलाफ धारा 304 (क) आईपीसी के तहत एफआईआर का आदेश दिया गया। इसके क्रम में एसपी डॉ. यशवीर सिंह की तरफ से ओबरा पुलिस को एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए गए जिसके क्रम में प्रभारी निरीक्षक मिथिलेश मिश्रा की तहरीर पर ओबरा थाने में दिवाकर सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है। पुलिस के मुताबिक दर्ज किए गए मामले की छानबीन शुरू कर दी गई है।

जाने क्या है सीआरपीसी की धारा 304 ‘क’

किसी व्यक्ति की कोई ऐसी लापरवाही जो किसी के मृत्यु का कारण बन जाए, उसे भारतीय दंड संहिता की धारा 304 ‘क’ के तहत अपराध माना जाएगा। इसमें शर्त यह है कि यह मृत्यु इरादतन न की गई हो बल्कि लापरवाही द्वारा घटित हुई हो।

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