Lucknow News: बीते 5 सालों में आगजनी की 9671 घटनाएं, आबादी 50 लाख से अधिक, मगर बुझाने वाले सिर्फ 325!

Lucknow News: गर्मी आने के साथ ही, लखनऊ में हर बार आग लगने के मामले बढ़ जाते हैं। लेकिन फ़ायर विभाग के पास संसाधन और दमकल कर्मियों की काफ़ी कमी है।

Published By :  Shreya
Update:2022-05-06 19:42 IST

Fire Incidents In last Five Years 9671 only 325 Firefighters to take care of Lucknow Fire Department (फोटो- आशुतोष त्रिपाठी, न्यूजट्रैक)

Lucknow Fire Incidents: राजधानी लखनऊ में बीते एक महीने में तीन दर्जन से अधिक आग (Lucknow Fire News) लगने की घटनाएँ सामने आ चुकी है। हालाँकि, इन घटनाओं में कोई बड़ी जनहानि नहीं हुई है। गौरतलब है कि गर्मी आने के साथ ही, लखनऊ में हर बार आग लगने के मामले बढ़ जाते हैं। जिससे लखनऊ का फ़ायर विभाग (Lucknow Fire Department Number) आग की हर सूचना पर दौड़ता भी है।

लेकिन, सच ये है कि उसके पास संसाधन और दमकल कर्मियों की काफ़ी कमी है। 50 लाख से अधिक जनसंख्या वाले इस शहर में, सिर्फ़ 325 दमकल कर्मी (325 Firefighters) मौजूद हैं। इन फायर कर्मियों में से कई की ड्यूटी, आये दिन वीवीआईपी मूवमेंट में लगा दी जाती है। ऐसे में राजधानी में आग लगने की घटनाओं को, फ़ायर विभाग के कर्मचारी कैसे रोकते होंगे ये बड़ा सवाल है?

फायर ब्रिगेड (फोटो- आशुतोष त्रिपाठी, न्यूजट्रैक)

लखनऊ में हैं मात्र 10 फायर स्टेशन

जैसा कि सभी को पता है कि प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मंत्री से लेकर तमाम नौकरशाह और वीवीआईपी के निवास स्थान है। मग़र, बावजूद इसके लखनऊ फ़ायर विभाग (Lucknow Fire Department Reality Check) को सशक्त बनाने के लिए, कोई प्रयास करता नहीं दिख रहा है। शहर में आग की घटनाओं को रोकने के लिए, मात्र 10 फ़ायर स्टेशन हैं। जिनमें हजरतगंज, एसजीपीजीआई, चौक, सरोजनीनगर, आलमबाग, बीकेटी, इंदिरानगर, गोमतीनगर, राजभवन और हाईकोर्ट के नाम हैं।

अगर कहीं आग लगने की सूचना आती है, तो इन्हीं फ़ायर स्टेशन से गाड़ियाँ भेजी जाती हैं। कई बार ऐसे इलाक़ों में भी आग लगती है, जो फ़ायर स्टेशन से काफ़ी दूर होते हैं और, वहां दमकल कर्मियों को पहुँचने में काफ़ी समय लग जाता है। जिससे नुक़सान काफ़ी ज़्यादा हो जाता है।

दो फ़ायर स्टेशन हैं रिज़र्व

लखनऊ में कुल 10 फ़ायर स्टेशन हैं, जिनमें से दो रिज़र्व हैं। एक राजभवन और दूसरा हाईकोर्ट है। राजभवन में फ़ायर फाइटर गाड़ी का इस्तेमाल नहीं होता। वहाँ आग लगने की स्थिति में, परिसर में ही लगा फ़ायर फ़ाइटिंग सिस्टम का प्रयोग होता है। जिसमें पाइपों द्वारा आग बुझाई जाती है। तो, हाईकोर्ट के लिये एक फ़ायर फाइटर गाड़ी रिज़र्व है।

(फोटो- आशुतोष त्रिपाठी, न्यूजट्रैक)

50 हज़ार की आबादी पर 1 फ़ायर फाइटर गाड़ी का मानक

नेशनल फाइटर एडवायजरी की रिपोर्ट के अनुसार, 50 हजार की आबादी पर कम से कम एक फायर फाइटर गाड़ी होना आवश्यक है। जबकि, लखनऊ में 1 लाख 48 हज़ार की आबादी पर 1 गाड़ी है। यानी कि राजधानी में कुल 35 फ़ायर फाइटर गाड़ियाँ ही मौजूद हैं। लेकिन देखा जाये, तो ये सभी गाड़ियाँ भी उपलब्ध नहीं रहती हैं। 4 से 5 गाड़ियाँ तो हमेशा वीवीआईपी प्रोटोकॉल में व्यस्त रहती हैं।

'हर तहसील में एक फायर स्टेशन बनाने का प्रयास'

लखनऊ के मुख्य अग्निशमन अधिकारी विजय सिंह ने 'न्यूज़ट्रैक' संग बातचीत में जानकारी देते हुए बताया कि "कम संसाधनों में विभाग अच्छा कार्य करने की कोशिश करता है। हमारा प्रयास है कि लखनऊ की हर तहसील में एक फ़ायर स्टेशन खुले। वर्ष 2009 में लखनऊ में आख़िरी फ़ायर स्टेशन सरोजनी नगर और गोमती नगर बनाया गया था। इसके बाद अमीनाबाद में अस्थायी फ़ायर स्टेशन खोला गया था। मलिहाबाद और गोसाईंगंज में जगह चिन्हित की जा रही हैं।

आग बुझाते दमकलकर्मी (फोटो- आशुतोष त्रिपाठी, न्यूजट्रैक)

बीते 5 वर्षों में आगजनी की हुई 9671 घटनाएं

वर्ष

घटनाओं की संख्या

2017

2250

2018

2112

2019

2109

2020

1320

2021

1880

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