वाराणसी: पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में गंगा ने रौद्र रूप धारण कर लिया है। काशी की गलियों से होते हुए बाढ़ का पानी लोगों के घरों में घुसने लगा है। हालात ऐसे हो गए हैं कि लोग छतों पर गुजर बसर कर रहे हैं। स्थिति भयावह होती जा रही है और लोग बेबस हैं। घाटों का संपर्क आपस में टूट गया है। पिछले बीस दिनों में ऐसा तिसरी बार हुआ है जब गंगा के जल स्तर में इतनी वृद्धि हुई हो।
1978 के रिकॉर्ड पर पहुंची गंगा
-इस साल गंगा ने काशी में तिसरी बार विकराल रूप धारण कर लिया है।
-पिछले बीस दिनों में गंगा के जल स्तर में तिसरी बार बढ़ाव दर्ज किया गया।
-गंगा खतरे के निशान को पार कर साल 1978 के रिकार्ड तक जा पहुंची गई है।
-गंगा के साथ वरूणा को भी जलस्तर बढ़ता जा रहा है।
-गुरुवार को वरुणा का शास्त्री घाट पूरी तरह से जलगम्न हो गया।
दस हजार से ज्यादा लोग प्रभावित
-वरुणा के तटवर्ती इलाकों पुलकोहना, शैलपुत्री, कोनिया में लोगों के घरों में पानी घुस गया है।
-इस साल का जलस्तर 73.90 रिकॉर्ड किया गया जबकि खतरे का निशान 71.26 मीटर है।
-गंगा-वरूणा के बढ़ते जलस्तर से करीब दस हजार से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं।
-लोग अपना घर बार छोड़ कर जाने को मजबूर है।
-दो दर्जन से ज्यादा परिवार घर की छतों पर रह रहे है।
श्मशान घाट पर लगी शव की लाइन
मर्णिकर्णिका घाट और हरिशचंद्र घाट पर बाढ़ के चलते शव को जलाने के लिए जगह नहीं बची है। अब गली में भी शव को जलाने में मुश्किल आ रही है। इसके चलते घाट पर शवों को जलाने के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। हरिशचन्द्र घाट पर स्थित विद्दुत शवदाह गृह को भी बाढ़ के चलते बंद कर दिया गया है। जिला प्रशासन ने गंगा में नाव के संचालन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। घाटों पर होने वाली गंगा आरती घर की छतों पर की जा रही है।
इन इलाकों में घूसा पानी
मारूति नगर, गंगोत्री विहार, सामने घाट, रामानुजनगर, सत्यमनगर, महेशनगर, नख्खीघाट, सरैया, कोनिया आदि इलाकों के सैकड़ों घरों में पानी घूस चुका है। गंगा के बढ़ते जलस्तर के कारण पचासों घरों से सामान के साथ लोग पलायन कर चुके हैं तो वहीं पुलकोहना में कई परिवार घर की छतों पर रह रहे हैं। अगर पानी का बढ़ाव जारी रहा तो पूरी बस्ती के लोगों को घर छोड़ना पड़ सकता है।