कभी डॉक्टर तो कभी नाई, फुटपाथ के गरीबों की मसीहा है एक युवा टोली
अस्पतालों, फुटपाथों या रेलवे प्लेटफॉर्म पर इन्हें ऐसे लोग मिल जाते हैं, जो भूखे या गंदे होते हैं। यह टोली इन लोगों को भोजन-दवा देती है, नाखून और बाल-दाढ़ी बनाती है, उन्हें कपड़े देती है। टोली का ध्यान खास तौर उन लोगों पर होता है, जो मानसिक रूप से अस्वस्थ या बेसहारा हैं।
गोरखपुर: कहते हैं- मानवता ही सबसे बड़ी पूजा है। फिर भी, लावारिस और बेसहारा लोग सड़कों, बाजारों और प्लेटफार्मों पर बदहाल जिंदगी गुजार कर फुटपाथों पर ही मर जाते हैं। इसलिए गोरखपुर में एक युवा टोली ने इन दीन-हीनों की सेवा का बीड़ा उठा लिया।
जरूरतमंदों की तलाश
-यह टोली रविवार को समय निकाल कर बदहाल और भूखे-बीमार लोगों की तलाश में निकलती है।
-अस्पतालों, फुटपाथों या रेलवे प्लेटफॉर्म पर इन्हें ऐसे लोग मिल जाते हैं, जो भूखे या गंदे होते हैं।
-यह टोली इन लोगों को भोजन-सामान्य दवाएं देती है, नाखून और बाल-दाढ़ी बनाती है, उन्हें कपड़े देती है, ताकि वे भी इंसानों की तरह रह सकें।
-टोली का ध्यान खास तौर उन लोगों पर होता है, जो मानसिक रूप से अस्वस्थ या बेसहारा हैं।
वंचित है एक पूरा समाज
-सड़कों की मिट्टी में लोटते गर्मी, सर्दी और बरसात झेलते ये वे लोग हैं, जिन्हें सरकार की कोई योजना नहीं देख पाती।
-मुश्किल काम है, क्योंकि कई लोग वर्षों से नहीं नहाए हैं। वे बीमार हो चुके हैं।
-ऐसे भी लोग हैं, जिन्होंने कभी कपड़े नहीं बदले। उनके शरीरों से बदबू आती है। कपड़ों में कीड़े पड़ गए हैं। ऐसा एक पूरा समुदाय है।
-लेकिन इस युवा टोली में जुनून है। एक धुन है, गरीबों और लावारिसों को नई जिंदगी देने की।
सरकारी अनदेखी
-अभियान का नेतृत्व कर रहे आजाद पाण्डेय कहते हैं, बेसहारा और विक्षिप्त लोगों की सुधि लेने वाला कोई नहीं है।
-न तो कोई सरकारी संस्था इनकी देखरेख करती है, न इनके पुनर्वास का कोई प्रयास किया जाता है।
-सरकार कोई हो, किसी का ध्यान इन बेघरों की तरफ नहीं जाता क्योंकि ये उनके वोटर नहीं होते।
आसान हुआ, एक मुश्किल काम
-टोली का मानना है कि शहर और देश तभी स्वच्छ हो सकेगा, जब इसके नागरिक स्वच्छ हों।
-खुद पीएम मोदी ने देश भर में स्वच्छता अभियान चलाया लेकिन अधिकारियों की नजर इन गरीबों पर नहीं पड़ती।
-इसलिए इस टोली ने बीड़ा उठाया है कि देश को स्वच्छ बनाने के लिए देशवासियों को स्वच्छ बनाना है।
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