Sonbhadra News: निर्माण कार्यों पर वन विभाग-नगर निकाय आमने-सामने, ईओ पिपरी को केस दर्ज करने की चेतावनी

Sonbhadra News: जमीन के मसले को लेकर गठन के समय से ही चर्चा में रहने वाले नगर पंचायत पिपरी, इन दिनों नगर क्षेत्र में कराए जा रहे निर्माण कार्यों को लेकर चर्चा में है।

Published By :  Shashi kant gautam
Update:2022-05-09 22:15 IST

सोनभद्र: निर्माण कार्यों पर वन विभाग-नगर निकाय आमने-सामने: Photo - Social Media

Sonbhdra News Today: जमीन के मसले को लेकर गठन के समय से ही चर्चा में रहने वाले नगर पंचायत पिपरी (Nagar Panchayat Pipri), इन दिनों नगर क्षेत्र में कराए जा रहे निर्माण कार्यों को लेकर चर्चा में है। वन विभाग (Forest department) की तरफ से कुछ कार्य बगैर अनुमति वन विभाग की जमीन पर कराए जाने की बात कहते हुए, कार्य तत्काल रोकने का निर्देश जारी किया गया है। डीएफओ मनमोहन मिश्रा (DFO Manmohan Mishra) की तरफ से अधिशासी अधिकारी नगर पंचायत पिपरी को जारी पत्र में निर्माण कार्य को बंद न किए जाने पर, वन संरक्षण अधिनियम 1960 के प्रावधानों के तहत नियमानुसार वन अपराध दर्ज करने की चेतावनी दी गई है।

वहीं पिपरी नगर पंचायत के अध्यक्ष दिग्विजय प्रताप सिंह (Digvijay Pratap Singh) की तरफ से मीडिया में बयान जारी कर इसे गलत बताया गया है और वन विभाग की तरफ से कार्यवाही न रोके जाने पर, नगर में ला एंड आर्डर की समस्या उत्पन्न होने बात कहकर खलबली मचा दी है।

वन विभाग इस आधार पर रोक रहा निर्माण कार्य

डीएफओ की तरफ से जारी पत्र में सिंगरौली स्टेट से हस्तांतरित वन भूमि, दुद्धी गवर्नमेंट स्टेट से हस्तांतरित वन भूमि, वन विभाग द्वारा हस्तांतरित वन भूमिका हवाला देते हुए कहा गया है कि ग्राम पिपरी की प्रश्नगत भूमि यानी सवालों के घेरे में आए निर्माण कार्य वाली भूमि आरक्षित वन भूमि के रूप में वर्ष 1907 से चली आ रही है। यह भूमि विधिक रूप से वन भूमि है जिस पर वन संरक्षण अधिनियम 1980 के प्रावधान लागू होने के कारण कोई भी गैर वानिकी कार्य बिना भारत सरकार के पूर्वानुमति के नहीं किया जा सकता।

पत्र में कहा गया है कि यह बात संज्ञान में आई है कि उक्त हस्तांतरित वन भूमि के कुछ भाग पर नगर पंचपायत पिपरी द्वारा बिना भारत सरकार की पूर्वानुमति प्राप्त किए, भूमि के समतलीकरण का कार्य कराया जा रहा है जो वन संरक्षण अधिनियम 1980 के प्रावधानों का स्पष्ट उल्लंघन है। इसको दृष्टिगत रखते हुए तत्काल कार्य बंद करने और ऐसा न करने पर वन अपराध का केस दर्ज करने के लिए चेताया गया है।

नगर पंचायत प्रशासन वन विभाग के तर्क को ठहरा रहा गलत

नगर पंचायत अध्यक्ष पिपरी दिग्विजय प्रताप सिंह (Nagar Panchayat President Pipri Digvijay Pratap Singh) की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि नगर पंचायत पिपरी में महीनों तहसीलदार ने भूमि की नापी कराई। इसके बाद शासन में रिकार्ड आपरेशन की प्रक्रिया चल रही है। दावा किया गया है कि डीएफओ ने तत्कालीन मुख्य सचिव की वीडियो कांफ्रेंसिंग में यह बात स्वीकार किया था कि वह नगर पंचायत पिपरी के कार्यों में कोई अवरोध उत्पन्न नहीं करेंगे लेकिन अब पत्र जारी कर वन विभाग की धारा चार लागू होने की बात कह रहे हैं।

जबकि नगर पंचायत पिपरी राज्यपाल की तरफ से 1958 में ही नोटिफाइड हो चुकी है। यह संविधान में दी गई व्यवस्था के अनुसार लोकल बाडी के अधिकार का उल्लंघन है। वन विभाग द्वारा कार्यवाही न रोके जाने पर नगर में लाॅ एंड आर्डर की समस्या उत्पन्न होने के लिए चेताया गया है।

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