क्या खतरनाक जानवरों से सुरक्षित हैं राजधानी के स्कूलों में आपके नौनिहाल ?
लखनऊ : आप बच्चों को स्कूल में छोड़कर निश्चिंत हो जाते हैं तो जरा फिर से सोचिए... क्योंकि अब खतरा खतरनाक जानवरों का भी है। सेंट फ्रांसिस मूकबधिर स्कूल में तेंदुए का घुसना सबसे ताजी नजीर हो सकती है, लेकिन ऐसी कई घटनाएं राजधानी में पहले भी हो चुकी हैं। इसलिए अबकी बार जब आप अपने नौनिहाल को छोड़ने जाएं या फिर उसका एडमिशन किसी स्कूल में कराने जाएं तो वहां बाउंड्रीवाल से लेकर सीसीटीवी कैमरों तक की मौजूदगी के बारे में जानकारी कर लें। सब कुछ जांच परख कर ही अपने बच्चे को स्कूल में भेजें।
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केस 1: साढ़े सात घंटे दहशत में रहे मूकबधिर बच्चे, डर अब भी कायम
राजधानी के बालागंज के सेंटर फ्रांसिस स्कूल के बच्चों ने शनिवार को जब तेंदुआ देखा तो केवल इशारों से बात करने में सक्षम बच्चों के चेहरे पर खौफ छा गया। तेंदुए को देखने से लेकर उसके पकड़े जाने में वन विभाग की टीम को तकरीबन साढ़े सात घंटे की कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। इन साढ़े सात घंटों का एक एक पल मूकबधिर बच्चों पर भारी पड़ रहा था। जिस परिसर में वो रोज खेलते थे अब उसे खतरनाक जानवर अपनी जद में ले चुका था।
यही कारण रहा कि रविवार को भी यहां की प्रिंसपल जोशिया ने बच्चों को खेलने के लिए कंपाउंड के बाहर नहीं निकाला। पूछने पर बताया कि तेंदुआ तो पकड़ा गया, लेकिन अभी तक उनके दिमाग से डर और दहशत के बादल नहीं छंटे हैं। पक्की और कंटीले तारों से लैस बाउंड्रीवाल को तेंदुए ने बड़ी आसानी से पार कर लिया। अब हम बाउंड्रीवाल को और ऊंचा करवाने पर विचार कर रहे हैं। हालांकि वन विभाग के लोग इसे महज संयोग बता रहे हैं लकिन अभी भी डर लग रहा है।
केस2: प्रतिष्ठित स्कूल में कुत्तों के झुंड का हुआ था हमला
वर्ष 2010 के अगस्त महीने में राजधानी के प्रतिष्ठित केंद्रीय विदयालय की गोमतीनगर शाखा में कक्षा एक की मासूम छात्रा अंशुमा यादव को स्कूल की बाउंड्रीवाल पार करके कैंपस के अंदर पहुंचे आवारा कुत्तों के एक झुंड ने घेरकर अपना निशाना बनाया था। आठ से दस कुत्तों के झुंड के हमले से अंशुमा के सिर, पीठ, पैर और पेट पर गहरे जख्म हो गए थे। आवारा कुत्तों ने अपने पंजों से उसे नोंचने के साथ ही अपने दांतो से पकड़कर घसीटा भी था। इसके बाद स्कूल प्रशासन जागा था और अपनी बाउंड्रीवाल दुरूस्त करवाई थी।
केस 3: अरबी यूनिवर्सिटी के गेट तक पहुंचा था बाघ
वर्ष 2015 के दिसंबर महीने में गश्त पर निकले इंस्पेक्टर मडियांव को आईअईएम रोड पर बनी अरबी फारसी यूनिवर्सिटी के गेट पर बाघ दिखा था। उनके अलावा आस पास के गांव के लोगों ने भी बाघ देखने की पुष्टि की थी। इसके बाद वहां वन विभाग की टीम ने कांबिंग की तो उन्हें बाघ नहीं मिला, पर कई अन्य खतरनाक जंगली जानवरों जैसे सियार, लकड़बग्गा और नीलगाय के पैरों के ताजे निशान मिले थे।
वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट बोले- एहतियात ही है सुरक्षा
लखनऊ जू के उपनिदेशक डॉ उत्कर्ष शुक्ला ने बताया कि अक्सर जंगली जानवर शिकार की तलाश में अपना रास्ता भटक कर आबादी में चले आते हैं। चूंकि वह नदी के रास्ते ही चलते हुए आते हैं, इसलिए उन्हें ज्यादा लोग देख नहीं पाते। जब वह हमलावर होते हैं, तभी उनकी मौजूदगी का पता चलता है। जहां तक स्कूलों में जानवरों के घुस जाने का सवाल है तो उसका एक ही विकल्प है एहतियात। एहतियातन सुरक्षा के सभी मानकों जैसे ऊंची बांउंड्रीवाल, कंटीला तार युक्त बाउंड्री और सीसीटीवी से लैस परिसर सुरक्षा का एहसास दिलाता है। सेंटर फ्रांसिस मामले पर भी वहां के सीसीटीवी से काफी मदद मिली थी।
डीआईओएस बोले- बाउंड्रीवाल और सीसीटीवी पर है फोकस
डीआईओएस डॉ मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि स्कूलों को सभी सुरक्षा मानक पूरा करने के निर्देश हैं। समय समय पर इनका भौतिक सत्यापन भी होता रहता है। सुरक्षा के लिहाज से ऊंची बाउंड्रीवाल, सीसीटीवी से लैस परिसर, बाउंड्रीवाल पर कंटीले तारों का प्रयोग इनमें प्रमुख हैं। इनका सख्ती से पालन कराया जा रहा है। स्कूलों की सुरक्षा पर विभाग बहुत फोकस कर रहा है।