Bharat Jodo Yatra in UP: पूर्व डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने ठुकराया कांग्रेस का आमंत्रण, भारत जोड़ो यात्रा में नहीं होंगे शामिल

Bharat Jodo Yatra in UP: दिनेश शर्मा से पहले उत्तर प्रदेश के विपक्षी दलों के प्रमुख नेताओं ने भी कांग्रेस की ओर से दिए गए आमंत्रण को ठुकरा दिया है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2022-12-29 04:11 GMT

पूर्व उप मुख्यमंत्री डा0 दिनेश शर्मा (photo: social media ) 

Bharat Jodo Yatra in UP: उत्तर प्रदेश के पूर्व डिप्टी सीएम और भाजपा के वरिष्ठ नेता दिनेश शर्मा ने कांग्रेस के भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने के आमंत्रण को ठुकरा दिया है। कांग्रेस का निमंत्रण ठुकराते हुए पूर्व डिप्टी सीएम ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही पूरे भारत को जोड़ने का बड़ा काम करने में जुटे हुए हैं। ऐसे में राहुल गांधी को प्रधानमंत्री मोदी के भारत जोड़ो कार्यक्रम में योगदान करना चाहिए।

दिनेश शर्मा से पहले उत्तर प्रदेश के विपक्षी दलों के प्रमुख नेताओं ने भी कांग्रेस की ओर से दिए गए आमंत्रण को ठुकरा दिया है। समाजवादी पार्टी के मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, बसपा मुखिया मायावती और रालोद के मुखिया जयंत चौधरी ने पहले ही कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने से इनकार कर दिया है।

पीएम मोदी के अभियान में साथ दें राहुल

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की अगुवाई में निकली भारत जोड़ो यात्रा कई प्रदेशों का सफर तय करने के बाद दिल्ली पहुंच चुकी है। नौ दिनों के ब्रेक के बाद 3 जनवरी को उत्तर प्रदेश में यात्रा की फिर से शुरुआत होनी है। कांग्रेस इस यात्रा के जरिए बड़ा संदेश देना चाहती थी। इसीलिए विपक्षी नेताओं के साथ ही पूर्व डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा को भी इसे यात्रा में शामिल होने का न्योता दिया गया था। दिनेश शर्मा को लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर के तौर पर इस यात्रा में शामिल होने का आमंत्रण दिया गया था।

अब दिनेश शर्मा ने भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने से इनकार कर दिया है। उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा पर तंज भी कसा है। उन्होंने कहा कि भारत को तोड़ने की मुहिम में जुटे हुए लोग अब भारत को जोड़ने की कोशिश करते दिख रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस पर नकारात्मक राजनीति करने का बड़ा आरोप भी लगाया। उन्होंने याद दिलाया कि कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को रद्द किए जाने का विरोध किया था। यूपी के पूर्व डिप्टी सीएम ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश को एक सूत्र में बांधने का अभियान छेड़ रखा है और राहुल गांधी को खुद इस अभियान में शामिल होना चाहिए।

विपक्षी नेताओं ने भी किया यात्रा से किनारा

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा में विपक्षी नेताओं का समर्थन पाने में भी नाकाम साबित हुई है। प्रदेश के प्रमुख विपक्षी नेताओं अखिलेश यादव, मायावती और जयंत चौधरी ने पहले ही कांग्रेस का आमंत्रण ठुकरा दिया है। सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी का कहना है कि अखिलेश यादव का पहले से ही कार्यक्रम तय है और ऐसे में उनका भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होना मुश्किल है।

दूसरी ओर रालोद के प्रवक्ता अनिल दुबे ने भी कहा कि जयंत चौधरी के कार्यक्रम पहले से ही निर्धारित हैं और ऐसे में वे भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होंगे। मजे की बात यह है कि दोनों दलों ने अभी तक यह भी साफ नहीं किया है कि यात्रा में शामिल होने के लिए वे अपने प्रतिनिधियों को भेजेंगे या नहीं। दुबे ने कहा कि इस बाबत आखिरी फैसला जयंत चौधरी खुद करेंगे।

बसपा के सूत्रों का कहना है कि मायावती भी भारत जोड़ो यात्रा में शामिल नहीं होंगी। कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने सुभासपा नेता ओमप्रकाश राजभर से यात्रा में शामिल होने के संबंध में बात की है मगर उनका भी यात्रा में शामिल होना पक्का नहीं है।

एकजुटता का संदेश देने में कांग्रेस फेल

सियासी जानकारों का मानना है कि भारत जोड़ो यात्रा के जरिए कांग्रेस विपक्ष की एकजुटता का बड़ा संदेश भी देना चाहती थी मगर कांग्रेस की यह मुहिम विफल साबित होती दिख रही है। इससे साफ हो गया है कि उत्तर प्रदेश की सियासत में विपक्षी दल कांग्रेस से दूरी बनाकर चल रहे हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था मगर इसका पार्टी को कोई फायदा नहीं मिला था। सपा की ओर से कांग्रेस को 100 सीटें दी गई थीं मगर कांग्रेस के सिर्फ 7 प्रत्याशी ही जीत सके थे।

इसके विपरीत 2022 के विधानसभा चुनाव में छोटे दलों के साथ गठबंधन करने के बाद सपा गठबंधन 125 सीटें जीतने में कामयाब रहा था। यही कारण है कि अखिलेश यादव अब आगे भी छोटे दलों के साथ ही गठबंधन करना चाहते हैं। दूसरी ओर मायावती भी हाल के दिनों में कांग्रेस पर हमलावर रही हैं और पार्टी को दलित विरोधी बताती रही हैं। उनकी भी कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने में कोई दिलचस्पी नहीं है। यही कारण है कि अब 2024 की सियासी जंग में विपक्षी एकजुटता को लेकर सवाल उठने लगे हैं।

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