शारिब जाफरी
लखनऊ: मुख्य सचिव राजीव कुमार के 'चिठ्ठी बम' से रिटायर्ड आईपीएस अफसर भी नाराज हैं। यूपी पुलिस के मुखिया रहे विक्रम सिंह इस आदेश से बेहद खफा हैं। वो इसे अहम की लड़ाई के तौर पर देख रहे हैं। वहीं, अरविंद कुमार जैन ने इसे पुलिस अफसरों के कार्यक्षेत्र में दखलअंदाज़ी मानते हुए इसे पुलिस का मनोबल तोड़ने वाला फैसला बताया।
यूपी में जिलाधिकारियों को लेकर चीफ सेक्रेटरी के ताजा आदेश ने प्रशासनिक हलकों में खलबली मचा दी है। एक तरफ जहां ज़िलों में तैनात पुलिस अफसर इस आदेश से ख़फ़ा हैं, लेकिन कुछ बोलने की स्थिति में नहीं हैं, तो वहीं रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी इस आदेश का खुलकर विरोध कर रहे हैं।
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पुलिस रेगुलेशन में ऐसा कुछ नहीं
यूपी पुलिस के मुखिया के पद से रिटायर्ड हुए विक्रम सिंह इस आदेश से सख्त नाराज हैं। वह कहते हैं कि विवेचना में पुलिस अफसर के अलावा किसी को भी सुपरविज़न करने का अधिकार नहीं है। विक्रम सिंह ने आगे कहा, 'पुलिस रेगुलेशन में साफ कहा गया है कि ऐसा कोई काम नहीं किया जाना चाहिए, जिसे एसपी या पुलिस महकमे की या उनकी प्रस्टीज प्रभावित हो।' विक्रम सिंह सवाल उठाते हुए कहते हैं कि आखिर एसओ, इंस्पेक्टर, सीओ या फिर एडिशनल एसपी से डीएम के मिलने का मकसद क्या है? वो इस आदेश को गैर मुनासिब मानते हैं।
डीएम ऑफिस में क्राइम मीटिंग संभव नहीं
आईपीएस अफसरों की नाराजगी के बीच आईपीएस एसोसिएशन ने जहां बैठक बुलाई है, वहीं रिटायर्ड डीजी पुलिस अरविंद कुमार जैन मुख्य सचिव के इस आदेश से बेहद खफा हैं। एके जैन कहते हैं 'जिलाधिकारी दफ्तर में जाकर क्राइम मीटिंग कर पाना संभव नहीं है। क्यों क्राइम मीटिंग के दौरान विवेचना से जुड़े दस्तावेज़ों की जरूरत रहती है। जो पुलिस लाइन या फिर पुलिस ऑफिस में ही उपलब्ध रहता है।'
चहेतों को खुश करने के लिए आया ये आदेश
एके जैन का मानना है कि 'आईएएस अफसरों ने अपने चहेतों को खुश करने के लिए इस तरह का आदेश जारी कराया है। उनका मानना है कि क्राइम मीटिंग में डीएम की मौजूदगी से गुंडा एक्ट और एनएसए जैसे मामलों में मदद मिलती है, लेकिन ऐसा दोनों की सहमति से ही संभव हैं।' डीएम के सुपरविज़न का वह खुलकर विरोध कर रहे हैं।