वाराणसी: बीते लोकसभा चुनाव के बाद से राजनीतिक ब्रांड बन चुके 'नमो चाय' के बारे में तो आपने सुना ही होगा। साथ ही आप 'चाय पर चर्चा' के बारे में भी जानते होंगे। आज हम आपको 'नमो चाय' की बिक्री कर रहे व्यापारियों के बारे में बताते हैं जिन्होंने अपने इस कार्यक्रम का नाम 'चाय पर खर्चा' रखा है। दरअसल, हाल ही में आम बजट के दौरान स्वर्ण व्यापार पर बढ़ाए गए उत्पाद शुल्क के विरोध में कई व्यापारी सड़क पर उतर आएं हैं और तरह-तरह से अपना विरोध प्रकट कर रहे हैं। यह मामला पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र का वाराणसी है जहां सर्राफा व्यापारियों ने शुक्रवार को नमो चाय की बिक्री कर उत्पाद शुल्क का विरोध किया।
दो चाय पर पैन कार्ड जरूरी
वाराणसी के सर्राफा व्यापारियों ने सड़को पर चाय का स्टॉल लगाकर आम नागरिकों और आने-जाने वालों को चाय दी। इस कार्यक्रम में उन्होंने एक शर्त भी रखी। व्यापारियों ने दो चाय पीने वालों से पैन कार्ड देने का भी शर्त रखी।
'हमारे इस काम से शायद पीएम को समझ में आये हमारा दर्द'
लोगों को फ्री में चाय पिलाकर अपना विरोध प्रकट करने वाले व्यापारियों में से एक प्रेम प्रकाश दुबे ने कहा की पीएम मोदी चाय वाले से पीएम बने हैं तो शायद वो हमारा दर्द समझे और उत्पाद शुल्क वापस लेलें।
पिछले आठ दिनों से बंद हैं दुकाने
उत्पाद शुल्क के खिलाफ आवाज उठाने वाले इन व्यापारियों ने पिछले आठ दिनों से अपनी दुकाने बंद रही हैं और इसे वापस लेने की मांग कर रहे हैं। ये व्यापारी कभी सब्जी बेच रहे है तो कभी चाय बांट रहे है। इन्हे एक हफ्ते में करोड़ो रुपये का नुकसान हो चुका है लेकिन अभी तक शायद पीएम मोदी के कानों में यह बात पहुंची नहीं है।