क्या है चौरी चौरा कांड, क्यों जा रहे हैं CM योगी और PM मोदी
इतिहास के पन्नों में गोरखपुर के चौरी चौरा कांड के महत्वपूर्ण योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। जब भी आजादी की जिक्र होता है तो चौरी चौरा कांड में शहीदों के बलिदान को देश प्रेमी जरूर याद करते है।
श्रीधर अग्निहोत्री
लखनऊ: इतिहास के पन्नों में गोरखपुर के चौरी चौरा कांड के महत्वपूर्ण योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। जब भी आजादी की जिक्र होता है तो चौरी चौरा कांड में शहीदों के बलिदान को देश प्रेमी जरूर याद करते है। इसी चौरी चौरा कांड के 100 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं जिसका शताब्दी वर्ष समारोह चार फरवरी से शुरू होने जा रहा है।
वर्ष भर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन
ज्ञातव्य है कि ‘चौरी चौरा शताब्दी समारोह’ 4 फरवरी, से लेकर अगले साल 4 फरवरी, तक आयोजित होगा। चौरी- चौरा की घटना का शताब्दी वर्ष समारोह शहीदों व स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के प्रति श्रद्धा निवेदित करने का अवसर है। चौरी चौरा शताब्दी समारोह’ के अन्तर्गत वर्ष भर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। राज्य के सभी जनपदों में स्वाधीनता आन्दोलन अथवा देश की रक्षा में शहीद हुए भारत माता के सपूतों के स्मारक स्थित हैं। इन शहीद स्मारकों पर चैरी-चैरा की घटना को केन्द्र में रखते हुए शताब्दी समारोह के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इससे चौरी चौरा की घटना के सम्बन्ध में आम जनमानस सहित युवा पीढ़ी को तथ्यपरक जानकारी मिलेगी।
पुलिस चौकी में लगा दी थी आग
चौरी चौरा कांड के इतिहास पर गौर करें तो पता चलता है कि गोरखपुर के चौरी चौरा में आजादी के वीर जवानों ने अंग्रेजी हुकूमत से भिड़ंत के बाद पुलिस चौकी में आग लगा दी थी। इसमें 23 पुलिस कर्मियों की मौत हो गई थी। इस घटना को चौरी चौरा जनआक्रोश के रूप में जाना जाता है।
स्वतंत्रता संग्राम में गोरक्षपीठ ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 4 फरवरी 1922 को घटित चैरीचैरा कांड में सीएम योगी आदित्यनाथ के दादा गुरु तत्कालीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत दिग्विजयनाथ का भी नाम आया था। लेकिन शिनाख्त न हो पाने से वह फांसी के फंदे से बच गए थे। स्कूल छोड़कर सत्याग्रह से जुड़ने वाले महंत दिग्विजयनाथ ने चैरीचैरा कांड के बाद गांधी का रास्ता त्याग कर अखिल भारतीय हिन्दू महासभा से जुड़ गए थे।
गोरखपुर जिले के चौरी चौरा में हुआ था कांड
चौरी चौरा कांड को ब्रिटिश भारत में संयुक्त राज्य के गोरखपुर जिले के चौरी चौरा में हुई थी, जब असहयोग आंदोलन में भाग लेने वाले प्रदर्शनकारियों का एक बड़ा समूह पुलिस के साथ भिड़ गया था। जवाबी कार्रवाई में प्रदर्शनकारियों ने हमला किया और एक पुलिस स्टेशन में आग लगा दी थी । चौरी-चौरा कांड के अभियुक्तों का मुकदमा पंडित मदन मोहन मालवीय ने लड़ा और उन्हें बचा ले जाना उनकी एक बड़ी सफलता थी।
अंग्रेजों के विरोध में हुआ था चौरी चौरा कांड
आजादी की लड़ाई को चौरी चौरा कांड ने एक नई दिशा दी। चौरी चौरा कांड अंग्रेजों के विरोध में हुआ था। आजादी की लड़ाई में चौरी चौरा कांड की बड़ी भूमिका रही है। इसके 100 वर्ष पूरे होने के मौके पर उसकी याद में प्रदेश की योगी सरकार एक बड़ा आयोजन करने जा रही है।
आगामी 4 फरवरी से सभी शहीद स्मारक स्थलों पर चैरीचैरा की घटना को केन्द्र में रखकर पूरे प्रदेश के शहीद स्मारक स्थलों पर कार्यक्रम आयोजित किये जाएगें।
उल्लेखनीय है कि चौरी चौरा की घटना में स्वाधीनता आन्दोलन को नई दिशा दी। इस घटना के सम्बन्ध में आम जनमानस सहित युवा पीढ़ी को तथ्यपरक जानकारी देने के लिए संस्कृति विभाग चौरी चौरा शताब्दी समारोह का आयोजन करने जा रहा है।
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