Gorakhpur News: लोकसभा चुनाव से पहले गोरखपुर जोन में 3 लाख मुकदमे वापस हुए, आखिर क्यों खुश हैं व्यापारी?

Gorakhpur News: प्रदेश सरकार ने जनवरी 2021 में ही महामारी एक्ट में दर्ज मुकदमे वापस लेने का फैसला किया था। अन्य जिलों में एक ही साथ सारे केस वापस ले लिए गए थे। जबकि गोरखपुर में एक-एक फाइल वापस लेने में समय ज्यादा लग गया।

Update: 2024-02-10 07:54 GMT

लॉकडाउन की प्रतीकात्मक फोटो (सोशल मीडिया)

Gorakhpur News: कोरोना काल में माहामारी एक्ट में गोरखपुर जोन में करीब 3 लाख मुकदमे दर्ज हुए थे। इन मुकदमों से लोगों को चरित्र प्रमाण पत्र से लेकर अन्य कागजात में दिक्कत हो रही थी। इन दिक्कतों के चलते लोग अधिकारियों के पास मुकदमा वापसी के लिए दौड़ रहे थे। लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश सरकार ने राहत देते हुए सभी मुकदमों को वापस लेने का निर्देश दिया था। अब स्थानीय पुलिस के स्तर से सभी मुकदमों को वापस ले लिया गया है।

प्रदेश सरकार ने जनवरी 2021 में ही महामारी एक्ट में दर्ज मुकदमे वापस लेने का फैसला किया था। अन्य जिलों में एक ही साथ सारे केस वापस ले लिए गए थे। जबकि गोरखपुर में एक-एक फाइल वापस लेने में समय ज्यादा लग गया। फिलहाल केस वापस होने से चरित्र सत्यापन के साथ ही लोगों को कोर्ट कचहरी के चक्कर से भी मुक्ति मिलेगी। गोरखपुर में महामारी एक्ट यानी 188 के तहत 14452 केस दर्ज किए गए थे। वहीं, गोरखपुर जोन में यह आंकड़ा एक लाख तीन हजार से भी ज्यादा का था। इनमें सर्वाधिक मुकदमा व्यापारियों के खिलाफ दर्ज किया गया था। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लॉकडाउन की घोषणा की गई थी और बिना अनुमति के दुकान खोलने की मनाही थी। मानिटरिंग सेल के इंस्पेक्टर सुदेश कुमार शर्मा ने बताया कि महामारी एक्ट के विवेचना को 72 घंटे में निस्तारित करने का अभियान चलाया गया था। ज्यादातर में चार्जशीट लगा दी गई थी। अब यहां से सभी केस निस्तारित कर दिया गया है। अब किसी के चरित्र सत्यापन में कोई दिक्कत नहीं आएगी।

हो रही थी यह दिक्कत

महामारी एक्ट के यह मुकदमे जब दर्ज करने के बाद पुलिस ने नाम-पता नोट किया और केस दर्ज कर चार्जशीट लगाकर कोर्ट में भेज दिया। पर जब पासपोर्ट, नौकरी सहित अन्य मामलों में चरित्र सत्यापन की बात आई तब काफी लोगों को पता चला कि उनके खिलाफ तो मुकदमे का दाग है। इस मुकदमे से काफी संख्या में लोगों के पासपोर्ट तक नहीं बन पा रहे थे।

क्या है महामारी एक्ट की धारा धारा 188

महामारी एक्ट यानी एपिडमिक डिजास्टर एक्ट 1897 के तहत अगर कोई शख्स लॉकडाउन का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 188 के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इस कानून का उल्लंघन करने या कानून व्यवस्था को तोड़ने पर दोषी को कम से कम एक महीने की जेल या 200 रुपये जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है। 

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