Gorakhpur News: कैंसिल फर्म के नाम पर 2.70 करोड़ का कारोबार, ऐसे पकड़ी गई कर चोरी

Gorakhpur News: डिप्टी कमिश्नर सुनील कुमार वर्मा ने पाया कि फर्म द्वारा अभी तक तकरीबन 2 करोड़ 70 लाख का कारोबार करते हुए भुगतान प्राप्त किया गया है, जिसके एवज में फर्म द्वारा लगभग 34 लाख का टैक्स नहीं जमा किया गया है।

Update:2024-11-14 07:54 IST

कैंसिल फर्म के नाम पर 2.70 करोड़ का कारोबार   (photo: social media )

Gorakhpur News: आयुक्त राज्य कर, मुख्यालय लखनऊ के निर्देश पर प्रदेश में फर्जी एवं निरस्त फर्मों की आड़ में जीएसटी चोरी करने वालों पर राज्य कर विभाग का शिकंजा कसता जा रहा है। इसी क्रम में एडिशनल कमिश्नर ग्रेड - 1 ज्योत्स्ना पांडेय के निर्देश एवं संयुक्त आयुक्त (कार्यपालक) रेंज - बी, प्रदीप सोनी के मार्गदर्शन में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन ब्रांच (एसआईबी) ने पूरे संभाग में कार्यवाही प्रारंभ की है।

सुनील कुमार वर्मा, डिप्टी कमिश्नर स्पेशल इन्वेस्टिगेशन ब्रांच (एसआईबी) को गोपनीय सूचना मिली कि आजाद नगर कॉलोनी, बड़गो, रुस्तमपुर गोरखपुर स्थित फर्म मेसर्स दिनेश प्रताप सिंह का जीएसटीएन मार्च 2018 में ही कैंसिल हो गया है। किन्तु फर्म अभी भी जलनिगम जैसे सरकारी विभागों द्वारा कैंसिल किए गये जीएसटीएन पर टेंडर प्राप्त कर भुगतान लिया जा रहा है। डिप्टी कमिश्नर, एसआईबी सुनील कुमार वर्मा द्वारा फर्म की रेकी करके और अधिक सूचना प्राप्त की गई। इसके उपरांत, संयुक्त आयुक्त (एसआईबी) विवेक सिंह द्वारा जारी आईएनएस-01 लेकर एसआईबी टीम सुनील कुमार वर्मा के नेतृत्व में जांच हेतु फर्म के घोषित मुख्य व्यापार स्थल पर पहुँची। जांच टीम में सहायक आयुक्त जितेंद्र कुमार रमन, सहायक आयुक्त प्रशान्त कुमार द्विवेदी, सहायक आयुक्त सचल दल, राज्य कर अधिकारी अशोक कुमार पांडेय, राम प्रताप सिंह, इत्यादि शामिल रहे।

2.7 करोड़ का कारोबार, नहीं जमा किया टैक्स

डिप्टी कमिश्नर सुनील कुमार वर्मा ने पाया कि फर्म द्वारा अभी तक तकरीबन 2 करोड़ 70 लाख का कारोबार करते हुए भुगतान प्राप्त किया गया है, जिसके एवज में फर्म द्वारा लगभग 34 लाख का टैक्स नहीं जमा किया गया है। एडिशनल कमिश्नर ग्रेड - 1 ज्योत्स्ना पांडेय ने बताया कि ऐसे ही चिन्हित फर्मों के खिलाफ कार्रवाई जारी रहेगी। बता दें कि पिछले दिनों गोरखपुर में शाहपुर इलाके में बिल्डिंग मटेरियल की फर्म द्वारा करोड़ों का गोलमाल किया गया था। फर्म द्वारा कागजों में 54 करोड़ का कारोबार किया गया था। लेकिन जीएसटी एक रुपये भी जमा नहीं किया गया।

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