Gorakhpur News: आयुर्वेद और जैव प्रौद्योगिकी के समन्वय पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन, बोले प्रो. रमेश मजबूत हो रहा स्वास्थ्य क्षेत्र
Gorakhpur News: दूसरे दिन चार तकनीकी सत्रों में 12 अतिथि वक्ताओं के निर्देशन में 110 शोधार्थियों ने शोध पत्रों का वाचन किया।;
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Gorakhpur News: महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय गोरखपुर (एमजीयूजी) द्वारा संचालित संबद्ध स्वास्थ्य विज्ञान संकाय के तत्वावधान में सोसाइटी फॉर बायोटेक्नोलॉजिस्ट इंडिया (एसबीटीआई) के सहयोग से चल रहे तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन जैव प्रौद्योगिकी और आयुर्वेद चिकित्सा की परस्पर जुड़ी संभावनाओं पर वैज्ञानिकों और शोधार्थियों ने अन्वेषकीय संवाद किया। दूसरे दिन चार तकनीकी सत्रों में 12 अतिथि वक्ताओं के निर्देशन में 110 शोधार्थियों ने शोध पत्रों का वाचन किया।
प्रथम सत्र में स्कूल ऑफ लाइफ साइंस शिलांग के अधिष्ठाता प्रो. रमेश शर्मा ने आयुर्वेद में दीर्घायु होने के महत्व पर चर्चा करते हुए कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति और जैव प्रौद्योगिकी के समन्वय से स्वास्थ सेवा समृद्ध और सशक्त हो रहा है। इससे मानवता के लिए एक उज्जवल भविष्य का मार्ग प्रशस्त हुआ है। उन्होंने कहा कि आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के विकास में जैव प्रौद्योगिकी का योगदान बहुत महत्वपूर्ण रहा है। जैव प्रौद्योगिकी ने न केवल स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव किए हैं, बल्कि आयुर्वेद में भी इसके अनुप्रयोग ने नई संभावनाओं का द्वार खोला है।
मेटाबॉलिक सिंड्रोम एक जटिल समस्या : प्रो. यामिनी
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के आयुर्वेद विभाग के पूर्व अधिष्ठाता प्रो. यामिनी भूषण त्रिपाठी ने विज्ञान और आयुर्वेद में मेटाबॉलिक सिंड्रोम के प्रबंधन और समन्वय पर चर्चा करते हुए कहा कि मेटाबॉलिक सिंड्रोम एक जटिल समस्या है। इसका प्रभाव शरीर के विभिन्न अंगों और प्रणालियों पर पड़ता है। आयुर्वेद और विज्ञान का समन्वय इस समस्या के प्रबंधन में अत्यधिक लाभकारी साबित हो सकता है। आयुर्वेद में समग्र दृष्टिकोण अपनाया जाता है, जो आहार, हर्बल उपचार, योग, और जीवनशैली में सुधार से शरीर को संतुलित करता है, जबकि विज्ञान इन उपायों के प्रभाव को प्रमाणित करने और उन्हें आधुनिक चिकित्सा के साथ जोड़ने में मदद करता है। उन्होंने बताया कि गिलोय और एलोवेरा, हरीतकी जैसे आयुर्वेदिक तत्व शरीर के मेटाबोलिक को संतुलित करते हैं।
ब्राह्मी जीवन वरदान का औषधीय पौधा : डॉ. रूपाली
हिब्रू यूनिवर्सिटी ऑफ जेरुसलम, इजरायल की प्रोफेसर डॉ. रूपाली गुप्ता ने तकनीकी सत्र में नेमाटोड तनाव के संबंध में कहा कि ऐसे विकारों के निदान के लिए ब्राह्मी (बैकोपा मोनिएरी)जीवन वरदान रूपी औषधीय पौधा है। यह मानसिक स्वास्थ्य, स्मरण शक्ति के लिए प्रसिद्ध है। यह पौधा न केवल अपने जैविक गुणों के कारण प्रसिद्ध है, बल्कि इसका नेमाटोड तनाव से लड़ने का तरीका भी जैविक और सूक्ष्मजीवी संवर्धन की ओर इशारा करता है। भविष्य में, बैकोपा मोनिएरी के बायोसिंथेटिक मार्गों और रक्षा तंत्र को समझने से हम इसे बेहतर कृषि उत्पादन और औषधीय उपयोग के लिए और प्रभावी बना सकते हैं।
एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस, वैश्विक स्वास्थ्य समस्या : डॉ. सीनोष
चौथे तकनीकी सत्र में संत पायस एक्स कॉलेज केरल के डॉ. सीनोष स्क्रियाचन ने ‘कंप्यूटेशन ड्रग डिस्कवरी फॉर काउंटिंग एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस इन स्केप पैथोजंस’ विषय पर कहा कि एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस एक वैश्विक स्वास्थ्य समस्या है। इसका मुख्य कारण असंवेदनशील दवाओं का अत्यधिक और अनियमित उपयोग है।
बायोटेक्नोलॉजी व औषधीय उत्पाद विकास
बेन गुरियन यूनिवर्सिटी नेगेव इजरायल के प्रख्यात वैज्ञानिक डॉ. गौतम आनंद ने फंगस में साइटोकिनिन प्रतिक्रिया और सेंसिंग पर शोध व्याख्यान में कहा कि साइटोकिनिन का कवकों में महत्वपूर्ण कार्य और भूमिका होती है, जो कोशिका विभाजन, विकास, और पर्यावरणीय तनावों के प्रति प्रतिक्रिया में शामिल होती है। कवक में साइटोकिनिन रिसेप्शन और सेंसिंग तंत्र के माध्यम से, यह हार्मोन कवक की विभिन्न जैविक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करता है। इसके अध्ययन से हमें न केवल कवकों के जीवन चक्र को बेहतर समझने में मदद मिलती है, कवक में साइटोकिनिन की प्रतिक्रिया और सेंसिंग (संवेदन) को समझना न केवल माइकोलॉजी (कवक विज्ञान) के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह कृषि और बायोटेक्नोलॉजी में भी उपयोगी हो सकता है। साइटोकिनिन पौधों में पाए जाने वाला हार्मोन है, जो कोशिका विभाजन, विकास, और वर्धन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
संतुलित सेतु है आयुर्वेद और जैव प्रौद्योगिकी चिकित्सा
हालिम विश्वविद्यालय सेक्रेट हार्ट हॉस्पिटल कोरिया के डॉ. विवेक मौर्या ने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी और आयुर्वेदिक चिकित्सा में अनुसंधान और विकास के नए द्वार खोले हैं। आयुर्वेद और जैव प्रौद्योगिकी चिकित्सा में संतुलित सेतु का सामंजस्य है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान और प्राचीन आयुर्वेद दोनों ही मानव स्वास्थ्य और कल्याण के लिए महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद एक प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति है, जैव प्रौद्योगिकी एक उन्नत और अत्याधुनिक विज्ञान है, जो जीवन के जैविक प्रक्रियाओं का अध्ययन करके उपचार विधियों को बेहतर बनाता है। आज के समय में, आयुर्वेद और जैव प्रौद्योगिकी का संयोजन चिकित्सा के क्षेत्र में नई दिशा दिखा रहे है।
तकनीकी सत्रों में प्रमुख रूप से प्रो राधा चौबे, डॉ हेमंत बीड, डॉ रोहित उपाध्याय, प्रो सरिता भट, प्रो दिनेश यादव, डॉ मानवेंद्र सिंह, डॉ शरद कुमार मिश्रा, प्रो अनिल कुमार द्विवेदी, डॉ बृज रंजन मिश्रा, डॉ मनीष सिंह राजपूत, डॉ गौरव राज, प्रो राजर्षि गौर, डॉ राजकुमार ने जैव प्रौद्योगिकी चिकित्सा पद्धति और आयुर्वेद के अंतर्संबंधों पर शोधार्थियों का मार्गदर्शन किया। सम्मेलन के संयोजक प्रो सुनील कुमार सिंह ने कहा कि बायोटेक्लॉजी में नए शोध नवाचार और सृजन से अन्वेषकीय कार्य हो रहे है। इस सम्मलेन में जैव प्रौद्योगिकी चिकित्सा और आयुर्वेद के संभावनाओं को तलाशने का अवसर मिला है।
सम्मेलन में उपस्थित शोधार्थियों और विशेषज्ञों ने इन महत्वपूर्ण विषयों पर अपने शोध पत्र भी प्रस्तुत किए और जैव प्रौद्योगिकी में नए अवसरों को लेकर गहन चर्चा की। शोधकर्ताओं ने जैव प्रौद्योगिकी, सूक्ष्म जीवविज्ञान, कैंसर बायोलॉजी, औषधीय पौधों और स्वास्थ्य देखभाल में प्राकृतिक संसाधनों से संबंधित अपने नवीनतम अनुसंधान कार्य प्रस्तुत किए। शोधकर्ताओं और विशेषज्ञों ने नवीन दवा विकास, औषधीय जैव प्रौद्योगिकी और चिकित्सा अनुसंधान के क्षेत्र में नवीनतम रुझानों पर भी गहन चर्चा की।
आज के सत्रों में डॉ. अनुकृति, प्रशांत गुप्ता, जिज्ञासा, असफिया, शगुन शाही, अनुष्का द्विवेदी, श्वेता गिरी, डॉ. रश्मि शाही, अमित कुमार दुबे, डाॅ. अनुपमा ओझा, डाॅ. धीरेंद्र कुमार सिंह, डॉ. पवन कुमार कनौजिया, डॉ. अवेद्यनाथ सिंह, डाॅ. संदीप कुमार श्रीवास्तव, डाॅ.अंकिता मिश्रा, डॉ.कीर्ति कुमार यादव, डाॅ. अखिलेश कुमार दूबे, डॉ. प्रेरणा अदिती, डाॅ. किरन कुमार ए., डाॅ.आशुतोष सहित सभी विभागों के शिक्षक एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।
सम्मेलन में शास्त्रीय प्रस्तुतियों ने किया सभी को झंकृत
अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय गोरखपुर के संबद्ध स्वास्थ्य विज्ञान संकाय के विद्यार्थियों ने शास्त्रीय गीत, संगीत और नृत्य की प्रस्तुतियों से सभी के मन को झंकृत कर दिया।