Gorakhpur News: इनामी बदमाशों को पकड़ने वाली पुलिस की डेढ़ करोड़ रुपये की कमाई, खाता फिर भी शून्य...यह है खेल

Gorakhpur News: गोरखपुर क्षेत्र में भी यही हाल है। आकड़े देखें तो पुलिस वालों को बदमाशों को पकड़ने के लिए करीब डेढ़ करोड़ रुपये मिलने चाहिए, लेकिन मिला एक रुपये भी नहीं।;

Update:2025-03-28 08:40 IST

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 Gorakhpur News: आमतौर पर पुलिस मुठभेड़ में बदमाशों को पकड़ती है तो यह बात भी सामने आती है कि अपराधी को पकड़ने के लिए पुलिस को एसएसपी ने 5 हजार या दस हजार या कभी-कभी एक लाख रुपये का इनाम दिया। लेकिन सवाल उठता है कि यह रकम पुलिस वालों को मिलती है। जवाब है, सामान्यत: नहीं। गोरखपुर क्षेत्र में भी यही हाल है। आकड़े देखें तो पुलिस वालों को बदमाशों को पकड़ने के लिए करीब डेढ़ करोड़ रुपये मिलने चाहिए, लेकिन मिला एक रुपये भी नहीं।

योगी सरकार के आठ साल में सिर्फ गोरखपुर की पुलिस ने ही 721 इनामी बदमाशों को गिरफ्तार किया है। इनकी गिरफ्तारी के लिए दस हजार से लेकर 50 हजार रुपये तक का इनाम घोषित था। पूरी रकम को जोड़ लिया जाए यह तकरीबन 1.44 करोड़ रुपये तक बनती है। इनमें क्राइम ब्रांच ने अकेले 75 लाख के रिवार्ड भरे हैं। इनाम की यह रकम मिल जाए तो क्राइम ब्रांच वाले मालामाल हो जाएं। हालांकि यह इनाम मिलती तो है पर सिर्फ कागजों में और रकम वर्चुअल में। हालांकि कागजी और वर्चुअल इनाम मिलने के बाद भी पुलिसवालों में इनामी बदमाश पकड़ने की चाह कम नहीं होती है। वजह सर्विस बुक में दर्ज होने वाली यह रकम उनके करियर में काफी अहम भूमिका निभाती है। 2021 में करीब पांच लाख रुपये तक इनाम क्राइम ब्रांच के उन पुलिसवालों को बांटा गया था जिन्होंने इनामी बदमाशों को पकड़ा था। बता दें कि● गोरखपुर में 25 हजार तक 684 इनामी, 25 से 50 हजार तक 28 तो 50 हजार से अधिक के नौ बदमाशे पकड़े गए। देवरिया में 25 हजार तक 96 इनामी, 25 से 50 हजार तक 64 इनामी बदमाशों को पुलिस ने अब तक पकड़ा। कुशीनगर में 25 हजार तक 333 इनामी, 25 से 50 हजार तक 12 तो 50 हजार से अधिक दो बदमाश पकड़े गए। महराजगंज में 25 हजार तक 228 इनामी, 25 से 50 हजार तक 12 तो 50 हजार से अधिक के शून्य बदमाश पकड़े।

योगी सरकार में बढ़ी इनाम की रकम

योगी सरकार जब से आई है उन्होंने इनाम की राशि बढ़ा दी है। 25 हजार तक इनाम घोषित करने का अधिकार एसएसपी को दिया गया है तो वहीं परिक्षेत्र स्तर पर डीआईजी/आईजी पचास हजार तक का इनाम घोषित कर सकते हैं। उसके अलावा एक लाख तक का इनाम जोन स्तर पर एडीजी तो ढाई लाख तक डीजीपी और उससे ज्यादा का इनाम शासनस्तर से घोषित किया जा सकता है। जबकि पहले इनाम की राशि काफी कम थी।

राघवेंद्र यादव ढाई लाख रुपये का इनामी

गोरखपुर जोन में राघवेंद्र यादव ढाई लाख रुपये का इनामी बदमाश है। लोगों को यही लगता है कि राघवेन्द्र को जो भी पकड़ेगा वह ढाई लाख रुपये का इनाम पा जाएगा। पर यह सच्चाई नहीं है। इनाम तो मिलेगा लेकिन सिर्फ कागजों में। यानी राघवेन्द्र यादव को जो टीम पकड़ेगी उसमें पहले रैंक के हिसाब से इनाम का बंटवारा होगा और पुलिस कप्तान के ऑफिस में स्थित रिवार्ड रजिस्टर पर इसे चढ़ा दिया जाएगा। रजिस्टर यह बताएगा कि फलां व्यक्ति को इतनी रकम रिवार्ड (इनाम) के रूप में दिया जा रहा है। हालांकि असल में यह रकम वर्चुअल ही रहेगी। यानी ऐसी रकम जिससे शोभा तो बढ़ा सकते हैं पर कभी खर्च नहीं कर सकते हैं। पिछले आठ साल के आंकड़ों पर गौर करें तो सिर्फ क्राइम ब्रांच ने ही 75 लाख से ज्यादा का रिवार्ड भरा है। क्राइम ब्रांच के एक इंस्पेक्टर ने बताया कि इनाम की रकम सर्विस बुक में चढ़ जाती है। एक साल बाद वह गुड वेल एंट्री में बदल जाती है। पर वास्तव में हाथ में एक फूटी कौड़ी भी नहीं आती है।

सर्विस बुक में वर्चुअल इनाम से खुश हैं पुलिस वालेPolice who catch wanted criminals earn 1 5 crore rupees but their account still zero

लेखा विभाग अगर कहता है कि पुलिसकर्मी इनाम के लिए आवेदन ही नहीं करते हैं तो यह समझना चाहिए कि पेशी में स्थित आरआर (रिवार्ड रजिस्टर) में इनाम पाने वाले के नाम की एंट्री होती है। यह रजिस्टर सर्विस बुक की एंट्री करने वाले क्लर्क के पास जाती है जिससे सर्विस बुक में रिवार्ड की एंट्री होती है। अगर पैसा मिलना हो तो इसी रजिस्टर से लेखा विभाग से भी रुपये जारी हो सकते हैं। इनाम की रकम लेने के लिए पुलिसवालों को कागजी प्रक्रिया करनी होती है। उन्हें एकाउंट विभाग में आवेदन करना होता है। इसके लिए इनामी बदमाश को गिरफ्तार करने वाली फर्द में शामिल पुलिसवालों का इनाम की रकम में रैंक के हिसाब से हिस्सा बंटता है। विभाग प्रभारी से लेकर कप्तान तक से हस्ताक्षर कराने के बाद उसे एकाउंट विभाग में दाखिल किया जाता है। उसके बाद रकम दी जाती है।

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