Gorakhpur News: बाड़े में उग्र होने के चंद घंटे बाद बाघ केसरी की मौत से उठे सवाल, बीमारी या रखरखाव में लापरवाही!

Gorakhpur News: चिड़ियाघर के उपनिदेशक डॉ.योगेश प्रताप सिंह का कहना है कि बाघ केसरी की रविवार सुबह मौत हो गई। शनिवार को वह तनाव में था,;

Update:2025-03-31 08:10 IST

Gorakhpur Tiger News (Image From Social Media)

Gorakhpur News:गोरखपुर में पीलीभीत से लाए गए प्रदेश के भारी भरकम बाघ केशरी के मौत के बीच सवाल उठ रहे हैं। पिछले शनिवार को बाड़े में ही केसरी उग्र हो गया था। चंद घंटे बाद ही मौत के बाद इसके बीमार होने की बात कही जा रही है।

विशेषज्ञों का कहना है कि बाघ पहले से ही काफी तनाव में था। इस वजह से उसके दिमाग में पानी भर गया। धीरे-धीरे पानी गाढ़ा हो गया था। इससे उसे न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर की समस्या हो गई थी। चिड़ियाघर के उपनिदेशक डॉ.योगेश प्रताप सिंह का कहना है कि बाघ केसरी की रविवार सुबह मौत हो गई। शनिवार को वह तनाव में था, जिसके बाद उसकी निगरानी करते हुए दवा दी गई थी। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में उसके दिमाग में पानी भरने की बात सामने आई है, जिसे मेनिनजाइटिस बीमारी कहते हैं। विस्तृत जांच के लिए सैंपल बरेली भेजा गया है। चिड़ियाघर में पहली बार किसी रेस्क्यू कर के लाए गए बाघ की मौत हुई है। अब तक 12 के आसपास तेंदुए, दो बाघ सहित अन्य बड़े जानवरों का रेस्क्यू चिड़ियाघर प्रशासन ने किया है। पहली बार इतने बड़े जानवर की मौत ने चिड़ियाघर प्रशासन को चिंता में डाल दिया है। यही कारण है कि चिड़ियाघर केसरी की मौत की पूरी वजह जानने के लिए सैंपल बरेली भेजा है।

बाघ की औसत उम्र 15 से 15 साल, आठ साल में हुई मौत

पीलीभीत से लाए गए बाघ केसरी की उम्र करीब आठ से नौ वर्ष के बीच थी। उसकी कद-काठी प्रदेश के चिड़ियाघरों में मौजूद बाघों से काफी तगड़ी थी। यही वजह है कि उसके नाइट सेल के क्रॉल को चिड़ियाघर प्रशासन ने अलग से लोहे की जाली लगवाकर मजबूत की थी। जब वह पीलीभीत से रेस्क्यू कर लाया गया था तब उसका वजन 280 से 290 किलोग्राम के बीच था। जानकार बताते हैं कि चिड़ियाघर में मौजूद बाघों का वजन 210 से 220 किग्रा होता है। पीलीभीत के बाघ देश भर के बाघों की तुलना में बेहद मजबूत कद काठी के होतेे हैं। इनकी औसत उम्र 14-15 वर्ष के बीच मानी जाती है।

पंपिंग बाघ के नाम से थी पहचान

बाघ केसरी को 27 सितंबर 2024 को पीलीभीत से गोरखपुर लाया गया था। पीलीभीत में इसने करीब 13 इंसानों पर हमला किया था। शुरुआत में इसे शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणि उद्यान के अस्पताल में रखा गया। यह चिड़ियाघर का सबसे विशालकाय बाघ था, जिसका वजन करीब 280 किग्रा से अधिक था। पीलीभीत में इसका नाम पंपिंग बाघ था। जंगल से आने की वजह से यह क्वारंटीन सेल में काफी बेचैन रहता था। धीरे-धीरे इसका व्यवहार शांत हुआ तो इसे क्रॉल में भी छोड़ जाने लगा। इसकी ताकत को देखते हुए ही क्रॉल की ग्रिल मजबूत की गई थी। सीएम योगी ने 20 जनवरी को इसका केसरी नामकरण करते हुए बाड़े में छोड़ा था। पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बाराही नर और मादा जैसे लोकप्रिय बाघ है। केसरी को भी वही से रेस्क्यू कर लाया गया था। ये बाघ बराही रेंज में डॉमिनेट करते हैं इसलिए इनका नाम बाराही पड़ गया। इस इलाके के बाघ निडर होने के चलते पर्यटकों की पसंद है। इन बाघों की लंबाई 2.5 से लेकर 2.8 मीटर (आठ- नौ फीट) होती है। वजन 290 से 300 किलो के करीब होता है। 

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