Gorakhpur News: सीतापुर से लेकर गोरखपुर में गैस व तेल का भंडार! इन स्थानों पर होगा सर्वे
Gorakhpur News: उत्तर प्रदेश और बिहार की नदियों के किनारे सर्वे होगा। इसके बाद पता चलेगा कि तेल और गैस के भंडार की स्थिति क्या है।
Gorakhpur News: अब पूर्वांचल से लेकर बिहार की नदियों में गैस और तेल के भंडार की उम्मीदों के बाद तलाश का काम शुरू होगा। सर्वे करने वाली एजेंसी ने पुलिस ने कानून व्यवस्था ठीक रखने को लेकर फोर्स की मांग की है। यूपी में सीतापुर से गोंडा, बस्ती, गोरखपुर, मऊ होते हुए बलिया से भोजपुर तक होगा सर्वे होना है।
उत्तर प्रदेश और बिहार की नदियों के किनारे सर्वे होगा। इसके बाद पता चलेगा कि तेल और गैस के भंडार की स्थिति क्या है। सर्वे से जुड़े एजेंसी के प्रमुख का कहना है कि गोंडा, बस्ती, गोरखपुर, मऊ होते हुए बलिया से भोजपुर तक सर्वे के दौरान छोटे विस्फोट करके पहले खोदाई की जाएगी फिर सेंसर और सॉफ्टवेयर की मदद से तरंगों की जांच की जाएगी। जिस भी जगह पर गैस और तेल उत्पादन की संभावना मिलेगी, वहां की गहन जांच की जाएगी। गोरखपुर के दक्षिणी क्षेत्र को तेल और गैस की संभावना तलाशे जाने का कार्य किया जाना है। तेल भंडार तलाशने के लिए संस्था के परियोजना निदेशक केएम राव ने इस संबंध में पत्र भेजा है। पत्र के मुताबिक, संस्था देश में तेल और गैस की खोज के लिए भूकंपीय सर्वेक्षण कर तेल भंडार का तलाश कर रही है। ऑयल इंडिया लिमिटेड द्वारा मिशन अन्वेषण के तहत बिहार और उत्तर प्रदेश (गंगा-पंजाब बेसिन) के विभिन्न जिलों में 2डी भूकंपीय डाटा अधिग्रहण करने का ठेका दिया गया है। इस भूकंपीय डाटा जुटाने के कार्य में शॉट होल ड्रिलिंग, क्लास, विस्फोटकों की छोटी मात्रा के साथ छेद को लोड करना, कम तीव्रता वाले झटके उत्पन्न करने के लिए शॉट होल में विस्फोट और उत्पादित ऊर्जा को रिकॉर्ड करना शामिल है।
आपरेशन अन्वेषण में तेज हुई तलाश
ऑपरेशन अन्वेषण के तहत उत्तर प्रदेश के सीतापुर से इसकी शुरुआत होगी और गोंडा, बस्ती, गोरखपुर, मऊ होते हुए बलिया से भोजपुर तक सर्वे का काम किया जाएगा। सर्वे का काम करने वाली संस्था अल्फा जिओ ने संबंधित जिलों के पुलिस कप्तान को पत्र भेजकर स्थानीय स्तर पर सुरक्षा मांगी है। क्योंकि, छोटे विस्फोटक की मदद से खोदाई होगी और फिर सेंसर और सॉफ्टवेयर की मदद से तरंगों की जांच कर संभावना तलाशी जाएगी। इसे लेकर स्थानीय स्तर पर कोई विरोध न हो, इस लिहाज से स्थानीय पुलिस का सहयोग मांगा गया है। सर्वे करने वाली एजेंसी का कहना है कि यह भूकंपीय डाटा जब विशेष सॉफ्टवेयर का उपयोग करके संसाधित किया जाता है तो पृथ्वी की उप-सतह की छवि उत्पन्न होती है, जिससे तेल और गैस वाली संरचनाओं की पहचान होती है।