Gorakhpur News: गवाही हो रही न कोर्ट का फैसला आ रहा, माफिया के अंत से कम हो मुकदमे, विनोद उपाध्याय के एनकाउंटर से समझे पूरा मामला
Gorakhpur News: प्रदेश स्तरीय माफियाओं के मुकदमों में पैरवी के लिए बनाए गए नोडल भी सक्रिय नहीं दिख रहे हैं। ये नोडल माफिया के मुकदमों का ट्रायल नहीं पूरा करा पा रहे हैं। गवाही पूरी न होने से मामला खिंच रहा है।
Gorakhpur News: उत्तर प्रदेश के माफियाओं की सूची में शामिल गोरखपुर के अपराधियों पर दर्ज मुकदमे गवाही और कोर्ट के निर्णयों से कम नहीं हो रहे, बल्कि उनके अंत से मामले खत्म हो रहे हैं। पिछले दिनों सुल्तानपुर में एसटीएफ के साथ हुए मुठभेड़ में मारे गए एक लाख रुपये के इनामी विनोद उपाध्याय पर गोरखपुर समेत लखनऊ में कुल 34 मुकदमे दर्ज थे। इनमें से 23 में चार्जशीट भी लग चुकी थी। लेकिन, एक में भी फैसला नहीं आया था। गवाही नहीं होना इसकी बड़ी वजह है। अब विनोद की मौत के बाद ये मुकदमे हमेशा के लिए फाइलों में दफन हो गए हैं।
प्रदेश स्तरीय माफियाओं के मुकदमों में पैरवी के लिए बनाए गए नोडल भी सक्रिय नहीं दिख रहे हैं। ये नोडल माफिया के मुकदमों का ट्रायल नहीं पूरा करा पा रहे हैं। गवाही पूरी न होने से मामला खिंच रहा है। माफिया विनोद तो फरार ही चल रहा था। उसके 34 केस में 23 में चार्जशीट दाखिल थी। पांच केस कोर्ट में साक्ष्य के स्तर पर था। लेकिन बिना निर्णय के ही उसकी फाइल बंद हो रही है। प्रदेश स्तर माफियाओं की सूची में चार गोरखपुर के थे। इनमें एक विनोद उपाध्याय भी था। चारों माफियाओं पर 125 मुकदमे दर्ज हैं।
प्रदेश स्तरीय माफियाओं की सूची में अब सुधीर, राकेश और राजन ही बचे
देशस्तरीय चार माफिया जिनमें विनोद, सुधीर, राकेश और राजन तिवारी को लेकर गोरखपुर में कुल 63 माफियाओं की सूची बनी थी। इन पर कुल 623 मुकदमे दर्ज थे। लेकिन अभी तक उनके एक भी मुकदमे में अपराधी को सजा नहीं हो सकी है। विनोद के मारे जाने के बाद अब माफियाओं कुल संख्या 62 तो वहीं गोरखपुर में प्रदेशस्तरीय माफिया की संख्या तीन रह गई है। इसके साथ ही कुल मुकदमों की संख्या भी घट कर 589 हो गई है।