Gorakhpur News: स्तनपान को लेकर महिलाओं में बढ़ी जागरूकता तो सेहतमंद होने लगे बच्चे, सवा लाख आबादी में हुए रिसर्च का सच
Gorakhpur News: बच्चों का वजन ही नहीं लंबाई बढ़ने का स्तर भी अच्छा हुआ है। गोरखपुर के विभिन्न गांवों में आरएमआरसी के शोध में यह बात सामने आई है।
Gorakhpur News: माताओं में बच्चों को स्तनपान कराने को लेकर बढ़ी जागरूकता और पोषण इंतजामों का नतीजा है कि पूर्वांचल जैसे पिछले इलाके के बच्चों की सेहत भी अच्छी हो रही है। बच्चों का वजन ही नहीं लंबाई बढ़ने का स्तर भी अच्छा हुआ है। गोरखपुर के विभिन्न गांवों में आरएमआरसी के शोध में यह बात सामने आई है।
आरएमआरसी के सीनियर वैज्ञानिक डॉ. आयुष मिश्रा ने बताया कि सबसे स्वस्थ हालत में छह महीने तक के नवजात मिले। इस सर्वे में सिर्फ स्तनपान कर रहे 3.3 फीसदी नवजात मोटे मिले। यह सकारात्क संकेत है। इससे माना जा रहा है कि नवजातों को स्तनपान कराया जा रहा है। हालांकि 6 से 12 महीने के बच्चों में सेहत बिगड़ी मिली। इसी उम्र में बच्चों को पहली बार बाहर से पूरक आहार दिया जाता है। उसमें करीब 25.6 प्रतिशत बच्चे की लंबाई मानक से कम मिली। इतना ही नहीं 23.8 फीसदी बच्चों का वजन भी मानक से कम मिला। रिसर्च करने वाली टीम का मानना है कि 6 से 12 महीने के बच्चों की सेहत से पता चलता है कि माताओं को शिशु को पहला पूरक आहार देने के तरीकों की सही जानकारी नहीं है। उन्हें इसमें और जागरूकता की आवश्यक्ता है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य और बाल रोग विशेषज्ञ डॉ.केपी कुशवाहा ने बताया कि लगातार जागरूकता कार्यक्रमों का नतीजा है कि हर वर्ग की महिलाओं में स्तनपान को लेकर जागरूरता बढ़ी है। महिलाएं शुरूआती दिनों में स्तनपान करा रही हैं।
28 गांवों की सवा लाख आबादी में हुआ सर्वे
आरएमआरसी ने गोरखपुर हेल्थ एंड डेमोग्राफिक सर्विलांस सिस्टम (जीएचडीएसएस) को विकसित किया है। इसमें करीब 28 गांवों की सवा लाख की आबादी को शामिल किया गया है। इनमें से 5154 बच्चों को सर्वे में अंतिम रूप से शामिल किया गया। इसमें 2600 बालक और 2554 बालिकाएं शामिल रहीं। यह गांव गुलरिहा और भटहट क्षेत्र के हैं। इसी आबादी में यह सर्वे किया गया। टीम चिन्हित गांवों में घर-घर पहुंची। वहां जन्म लेने वाले बच्चों की समय-समय पर जांच की गई। इसमें उम्र, वजन, सीने-बाजू व सिर के नाप और लंबाई को आंका गया। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.आयुष मिश्रा का कहना है कि रिसर्च का उद्देश्य पांच वर्ष तक के बच्चों की सेहत की जानकारी करना था। एनएफएचएस-चार व एनएफएचएस-पांच के आंकड़ों को आधार बनाया गया। बच्चों के खानपान की आदत में सुधार हुआ है। उनकी सेहत सुधरी है।
फैमिली हेल्थ सर्वे में खराब मिली थी सेहत
वर्ष 2015-16 में नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-चार (एनएफएचएस-4) जारी हुआ था। उस दौरान जिले में शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों की हालत बेहद खराब मिली थी। सर्वे के रिपोर्ट चौंकाने वाले थे। जिले में 42 फीसदी से अधिक बच्चे की लंबाई मानक से कम मिली थी। एक तिहाई से अधिक बच्चों का वजन मानक से कम था। महज 1.6 फीसदी बच्चे ही अपने लंबाई और उम्र के मानक से अधिक वजन के मिले थे।