सरकारी वकीलों ने ये गलती की तो कानून मंत्री से कोई राहत नहीं मिलेगी

किसी भी विभाग के प्रकरण के संबंध में कोई समस्या है, तो संबंधित विभाग के प्रमुख सचिव दूरभाष पर अवगत करायें, जिससे न्यायालय के समक्ष मजबूती से शासन के मुकदमों को प्रस्तुत किया जा सके।

Update: 2019-05-25 16:18 GMT

लखनऊ: प्रशासनिक मुकदमों में न्यायालय के समक्ष सही तरीके से शासन-प्रशासन का पक्ष नहीं रखे जाने पर गंभीर रूख अख्तियार करते हुये प्रदेश के विधि एवं न्याय मंत्री ब्रजेश पाठक ने सरकारी वकीलों और विभागीय अधिकारियों से अवमानना वादों में विशेष रूप से सजगता बरतने की नसीहत दी है। जिससे विभाग के प्रमुख सचिव की व्यक्तिगत उपस्थिति का आदेश पारित न हो।

गौरतलब है कि कुछ माह पूर्व ही सचिवालय प्रशासन के प्र्रमुख सचिव महेश गुप्ता को न्यायालय ने पूरे दिन कोर्ट में ही बैठने का आदेश दिया था। इसके अलावा बीते शुक्रवार को न्यायालय ने सिंचाई विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव समेत सात अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ वारंट जारी करते हुये सुनवाई के लिये तलब किया है।

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उच्च न्यायालय इलाहाबाद व लखनऊ खण्डपीठ में विचाराधीन वादों की उप्र. राज्य की ओर से समय पर प्रभावी पैरवी और प्रतिशपथपत्र दाखिल किये जाने के संबंध में सरकारी वकीलों के साथ शनिवार को हुई बैठक में बृजेश पाठक ने सरकारी वकीलों व विभागों के अधिकारियों के बीच सामंजस्य के अभाव पर कहा कि वकील व अधिकारी आपसी सामंजस्य व समन्वय बनाकर कार्यों को मजबूती से पूरा करें। उन्होंने कहा कि प्रत्येक मुकदमे की प्रभावी ढंग से तैयारी करके समय से प्रतिशपथपत्र दाखिल करने की दिशा में प्रभावी कार्रवाई की जाये।

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उन्होंने कहा कि विधि अधिकारी, सभी संबंधित विभागों के उच्चाधिकारियों व सरकारी वकील न्यायालयों में चल रहे मुकदमों में प्रभावी तरीके से प्रशासन का पक्ष रखें। किसी भी विभाग के प्रकरण के संबंध में कोई समस्या है, तो संबंधित विभाग के प्रमुख सचिव दूरभाष पर अवगत करायें, जिससे न्यायालय के समक्ष मजबूती से शासन के मुकदमों को प्रस्तुत किया जा सके।

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