सरकारी आवास वाले पुलिसकर्मियों को HC से बड़ी राहत, पीनल रेंट वसूली पर रोक

कोर्ट का कहना था कि ऐसा लगता है, कि सरकार के पास अभी तक क्वार्टर आवंटन की कोई स्पष्ट नीति नहीं है। ऐसी नीति नहीं, जिसके तहत वह सिपाहियों को सरकारी क्वार्टर रेंजवाइज, जोनवाइज या डिस्ट्रिक्ट वाइज आवंटित करती हो। आवास आवंटन को लेकर मुख्यालय किसे माना जाय यह अस्पष्ट है।

Update: 2016-10-04 11:01 GMT

इलाहाबाद: हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में मुख्यालय के सरकारी आवास में रह रहे सिपाहियों से पीनल रेंट की वसूली पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि जब तक प्रमुख सचिव गृह यह तय नहीं कर लेते कि पुलिस मुख्यालय को, रेंज, परिक्षेत्र या जिला, क्या माना जाय, तब तक पीनल रेंट न वसूल किया जाय। यह आदेश जस्टिस अमित बी स्थालेकर ने झांसी में सरकारी क्वार्टर का उपयोग कर रहे सिपाही बाबूराम व कई अन्य की तरफ से दायर अलग अलग याचिकाओं पर पारित किया।

पीनल रेंट पर ऐतराज

-सिपाहियों की तरफ से अधिवक्ता विजय गौतम ने कहा कि शासनादेश दिनांक 28 जनवरी 1998 में हेडक्वार्टर परिभाषित किया गया है। वर्तमान केस में झांसी रेंज का मतलब हुआ- मुख्यालय झांसी।

-जबकि सरकारी वकील माता प्रसाद का कहना था कि हेडक्वार्टर जोन भी हो सकता है, रेंज भी कहा जा सकता है और जिला मुख्यालय को भी हेडक्वार्टर कहा जा सकता है।

-याची कॉन्स्टेबिलों के वकील गौतम का तर्क था कि याची का सरकारी आवास झांसी रेंज हेडक्वार्टर में है, तो उसकी तैनाती रेंज मे कहीं भी हो, उसके सरकारी क्वार्टर पर अनधिकृत कब्जा कहकर उससे पेनल रेंट की वसूली करना गलत होगा।

नीति पर सवाल

-कोर्ट का कहना था कि ऐसा लगता है, कि सरकार के पास अभी तक क्वार्टर आवंटन की कोई स्पष्ट नीति नहीं है।

-ऐसी नीति नहीं, जिसके तहत वह सिपाहियों को सरकारी क्वार्टर रेंजवाइज, जोनवाइज या डिस्ट्रिक्ट वाइज आवंटित करती हो।

-आवास आवंटन को लेकर मुख्यालय किसे माना जाय यह अस्पष्ट है।

कोर्ट ने दिए निर्देश

-हाईकोर्ट ने कहा कि यह पूरे प्रदेश के कॉन्स्टेबिलों के सरकारी आवास आवंटन का मामला है।

-ऐसे में कोर्ट ने प्रमुख सचिव गृह को निर्देश दिया है कि वह आवास आवंटन व हेडक्वार्टर को स्पष्ट करते हुए चार माह में निर्णय ले।

-इस बीच कोर्ट ने पीनल रेंट की वसूली याची सिपाहियों से करने के मामले में यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है।

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