लखनऊ: केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को झटका देते हुए पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी और कानपुर में मेट्रो की मंजूरी का प्रस्ताव लौटा दिया है। केंद्र ने ये फैसला नई मेट्रो नीति के चलते लिया है। इस नीति के मुताबिक मेट्रो चलाने के लिए शहरी आबादी 20 लाख होनी चाहिए। इन जिलों में मेट्रो का प्रस्ताव अखिलेश सरकार के दौरान भेजा गया था।
लखनऊ में मेट्रो चलने के बाद वाराणसी और कानपुर के लोगो को भी जल्द मेट्रो चलने की आस लगी हुई थी लेकिन शायद अभी दिल्ली दूर है। क्योंकि केंद्र ने अखिलेश सरकार में भेजे गए दोनों इन जिलों में मेट्रो चलाने के प्रस्ताव नई मेट्रो नीति 2017 का हवाला देते हुए वापस भेज दिया है।
केंद्र ने राज्य सरकार ने नई मेट्रो नीति के अनुसार प्रस्ताव माँगा है। केंद्र के इस फैसले के बाद वाराणसी औरकानपुर के अलावा मेरठ, इलाहाबाद और गोरखपुर मेट्रो रेल परियोजना का लटकना भी तय माना जा रहा है ।
राज्य सरकार ने वाराणसी और कानपुर मेट्रो रेल परियोजना के लिए डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनाते हुए केंद्र सरकार को भेजी थी। केंद्र से मंजूरी के बाद ही मेट्रो परियोजना शुरू हो सकती है। लेकिन इस बीच केंद्र सरकार ने नई मेट्रो नीति बना दी। नई नीति के मुताबिक मेट्रो चलाने के लिए शहरी आबादी 20 लाख होने के साथ पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल अपनाना जरूरी कर दिया गया।
यूपी में लखनऊ के साथ वाराणसी, कानपुर, मेरठ, आगरा, इलाहाबाद व गोरखपुर में मेट्रो रेल परियोजना पर काम चल रहा है।
क्या थी कानपुर और वाराणसी मेट्रो योजना
सरकार का कानपुर मेट्रो में वर्ष 2021 और वाराणसी मेट्रो में 2023 तक काम पूरा करने का लक्ष्य था ।
कानपुर मेट्रो
दूरी : 32.32 किलोमीटर
प्रॉजेक्ट की अनुमानित लागत : 15,709 करोड़ रुपये
प्रॉजेक्ट पूरा होने की अनुमानित तारीख : सितंबर 2021
वाराणसी मेट्रो
कुल दूरी : 29.23 किलोमीटर
कुल बजट : 15,964 करोड़ रुपये
प्रॉजेक्ट पूरा होने की संभावित तारीख : मार्च 2023