वृंदावन: यूपी की राज्यपाल ने चन्द्रोदय मंदिर में किये दर्शन, कही ये बड़ी बात

उन्होंने प्रांगण स्थित चंद्रोदय मंदिर में श्रीश्री राधा वृन्दावन चंद्र (ठाकुर राधा दामोदर) के दर्शन किए। दर्शन उपरांत उन्होंने अक्षय पात्र की केन्द्रीयकृत रसोई का भ्रमण किया।

Update: 2019-10-24 12:52 GMT

लखनऊ: वृंदावन के चन्द्रोदय मंदिर में चार दिवसीय चल रहे चैतन्य महाप्रभु चरण पादुका उत्सव के तीसरे दिन गुरुवार को उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने यहां पहुंचकर अक्षयपात्र की रसोई का अवलोकन करने के पश्चात स्कूली बच्चों को अपने हाथों से खाना परोसा और कहा कि भूखे को भोजन कराना सर्वोपरि सेवा होती है।

इसके उपरांत उन्होंने चन्द्रोदय मंदिर में ठाकुर राधा दामोदर के दर्शन किए। इससे पूर्व उन्होंने बांके बिहारी मंदिर में पूजा-अर्चना की। गुरुवार शाम को वह राजधानी रवाना हो गई।

भक्ति वेदांत स्वामी मार्ग स्थित अक्षय पात्र परिसर में गुरुवार को उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल का आगमन हुआ। संस्था के चेयरमैंन मधु पंडित दास एवं वाइस चेयरमैंन चंचलापति दास ने वृन्दावन पहुंचने पर उन्हें पुष्प गुच्छ प्रदान कर उनका स्वागत किया।

इसके पश्चात उन्होंने प्रांगण स्थित चंद्रोदय मंदिर में श्रीश्री राधा वृन्दावन चंद्र (ठाकुर राधा दामोदर) के दर्शन किए। दर्शन उपरांत उन्होंने अक्षय पात्र की केन्द्रीयकृत रसोई का भ्रमण किया।

इस अवसर पर बाटी, गौंदा आटस, मघेरा, रामताल देवी आटस के शासकीय विद्यालयों से आए, बच्चों ने गुलाब का फूल देकर उनका स्वागत एवं अभिनंदन किया। इसके पश्चात उन्होंने केन्द्रीयकृत रसोई का व्यापक निरीक्षण कर उसकी कार्य प्रणाली को बारीकी से समझा।

इस दौरान संस्था के चेयरमैन मधु पंडित दास ने उन्हें वृन्दावन स्थित केन्द्रीयकृत रसोई का परिचय विस्तार पूर्वक प्रदान किया।

इसके बाद राज्यपाल ने शासकीय विद्यालयों से आए 25 बच्चों को अपने हाथों से भोजन परोसा व कहा कि भूखे को भोजन कराना ही सर्वोपरी सेवा है। इससे पूर्व पूर्वान्ह वृंदावन पवनहंस हेलीपैड पर राज्यपाल का हैलीकॉप्टर उतरा और उन्होंने बांकेबिहारी मंदिर गई।

जहां उन्होंने ठाकुरजी की पूजा-अर्चना की। इन दिनों चैतन्य महाप्रभु की चरण पादुकाएं चार दिवसीय उत्सव चंद्रोदय मंदिर में चल रहा है।

संस्था प्रमुख मधु पंडित दास ने बताया कि चैतन्य महाप्रभु की पादुकाएं नवद्वीप स्थित धामेश्वर मंदिर में विराजमान रहती हैं। ये पादुकाएं संन्यास ग्रहण करने से पूर्व चैतन्य महाप्रभु ने अपनी पत्नी देवी विष्णुप्रिया को भेंट की थीं।

देवी विष्णुप्रिया ने जीवन भर इन पादुकाओं की सेवा की थी। चैतन्य महाप्रभु 504 वर्ष पहले वृंदावन आए थे। अब बांकेबिहारी की नगरी में उनकी पादुकाएं पहुंची हैं। चैतन्य महाप्रभु की चरण पादुकाएं 25 अक्टूबर की शाम को नवद्वीप पश्चिम बंगाल वापस लौट जाएंगी।

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