गवर्नर का पलटवार, कहा- सरकार के काम की निगरानी करना मेरी जिम्मेदारी

Update: 2016-03-26 10:04 GMT

कानपुर: यूपी के गवर्नर राम नाईक ने शनिवार को कहा कि उनकी जिम्मेदारी है कि विधानसभा, विधानपरिषद और सरकार किस तरह काम कर रही है उसकी वो निगरानी करें। गवर्नर ने यूपी के कद्दावर मंत्री आजम खान पर पलटवार करते हुए कहा कि विधानसभा में मंत्री ने जिस तरह उन पर टिप्पणी की है उसकी संपादित और असंपादित सीडी उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से मंगवाई थी और देखी है।

विधानसभा अध्यक्ष को बुलाया है गवर्नर ने

-गवर्नर राम नाईक ने विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय को बुलावा भेजा है, वो उन्हीं को पूरा मामला बताएंगे।

-गवर्नर ने कहा कि वो विधानसभा अध्यक्ष को बताएंगे कि आखिरकार मेयरों से जुड़ा विधेयक उन्होंने क्यों रोका है।

-गवर्नर ने संविधान के 74वें संशोधन का हवाला देते हुए विधेयक को हरी झंडी नहीं देने की बात कही है।

टूर पर जाना विधानसभा अध्यक्ष का निर्णय

-गवर्नर ने कहा, विधायकों ,राजनीतिज्ञों को स्टडी टूर पर जाना चाहिए। ये उनका निर्णय है।

-विधानसभा और विधानपरिषद को अपना निर्णय करने का अधिकार है।

-उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, पत्रकार चाहें तो वो भी स्टडी टूर पर विदेश जा सकते हैं।

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आजम खान पर सख्‍त दिखे गवर्नर

-राम नाईक ने कहा संविधान तीन स्तंभों विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका पर टिका है।

-एक-दूसरे पर ये सब निर्भर हैं। विधायिका का काम संविधान के तहत काम करना है।

-उसके लिए नियम बने हैं। गरिमा से काम करना चाहिए।

-मुझे ये दिखाई दिया कि जिस तरह की टिप्पणी 8 मार्च को यूपी विधानसभा में हुई। वो गरिमा के अनुकूल नहीं थी।

-मैंने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर कार्यवाही की संपादित और असंपादित कॉपी मांगी। उन्होंने दोनों भेजी।

-कॉपी में आजम खान के 60 वाक्य थे जिनमें 20 लाइनें विधानसभा अध्यक्ष ने असंसदीय कहकर बाहर निकाल दीं।

-अध्ययन के बाद मेरे ख्याल में बात आई कि विधानसभा अध्यक्ष ने ये भी कहा कि मेयरों वाले विधेयक को रोक रखा है।

-विधानसभा अध्यक्ष 8 मार्च से अब तक मिलने नहीं आए हैं।

-वो जब आएंगे तो उनको बता दूंगा कि कैसे औऱ क्यों मैंने विधेयक रोक रखा है।

और क्या कहा गवर्नर ने?

जनहित के मुद्दे पर सरकार का ध्यान दिलाया है। ये मेरा कर्तव्य है। साथ ही विधानसभा, विधानपरिषद, सरकार संविधान के मुताबिक काम कर रही है ये देखना भी मेरी जिम्मेदारी है। संविधान के संशोधन 74 के तहत मुझे अधिकार दिया है। केंद्र और राज्य के नीचे ग्राम पंचायतों की व्यवस्था के विरुद्ध है इसलिए मैंने इसे रोक कर रखा है।

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