Gyanwapi Masjid Case: ज्ञानवापी के साथ चर्चा में आए वकील हरि शंकर और विष्णु जैन, जानें कौन हैं ये
Gyanwapi Masjid Case Lawyers: ज्ञानवापी - श्रंगार गौरी विवाद का फैसले के आते ही हिंदू पक्ष के खेमे में जश्न का माहौल है।
Gyanwapi Masjid Case Update: वारणसी जिला अदालत ने ज्ञानवापी - श्रंगार गौरी विवाद (Gyanvapi-Shringar Gauri controversy)में बड़ा फैसला सुनाते हुए हिंदू पक्ष की याचिका स्वीकार कर ली है। अदालत ने माना कि ये केस 1991 के वर्शिप एक्ट के तहत नहीं आता है और मुस्लिम पक्ष की आपत्तियों को खारिज कर दिया। इस फैसले के आते ही हिंदू पक्ष के खेमे में जश्न का माहौल है। अदालत के फैसले के दौरान हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन (Advocates Harishankar Jain) और विष्णु शंकर जैन (Vishnu Shankar Jain) कोर्ट में मौजूद थे।
बाप – बेटे की यह जोड़ी फैसले को लेकर एकबार फिर से सुर्खियों में है। जिस तरह राजनीति में कई सारे हिंदू संगठन और राजनीतिज्ञ खुद को हिंदुत्व का ध्वजवाहक कहते हैं, उसी तरह अदालती हलकों में ये काम हरिशंकर जैन और विष्णु शंकर जैन की जोड़ी करती है। दोनों हिंदुत्व को लेकर खासे मुखर रहते हैं। बाप – बेटे की जोड़ी अब तक मिलकर 102 केस लड़ चुके हैं।
कौन हैं हरि शंकर और विष्णु जैन
हरिशंकर जैन को वकालत का पेशा विरासत में मिला था। उनके पिता नेमचंद जैन साल 1989 में लखनऊ से अडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज के तौर पर रिटायर हुए थे। हरिशंकर जैन ने साल 1976 में वकालत की शुरूआत की थी। उन्हें इस पेशे में पहचान साल 1993 में मिली थी, जब उन्होंने अदालत में एक केस जीता था। उसी दौरान उन्हें बाबरी मामले में अदालत की तरफ से बाबरी मस्जिद का दरवाजा हिंदुओं के लिए खोलने का आदेश मिला था। ये उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ। बाद के दिनों में हरिशंकर जैन टीवी डिबेटों में रामजन्म भूमि विवाद को लेकर मजबूती से अपना पक्ष रखने के कारण बड़ा चेहरा बन चुके थे।
9 अक्टूबर 1986 को जन्मे विष्णु शंकर जैन ने अपने खानदानी पेशे को अपनाते हुए वकालत के पेशे को चुना। साल 2010 में वकालत की पढ़ाई पूरी की और साल 2016 में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता का पेपर पास करके नई उपाधि हासिल की थी। विष्णु काफी पहले से अपने पिता की मदद कर रहे थे और सीख भी रहे थे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपनी प्रैक्टिस की शुरूआत श्री रामजन्म भूमि मामले से की थी।
हिंदुओं से जुड़े कई अहम केस के वकील हैं बाप – बेटे
हरिशंकर जैन और विष्णु शंकर जैन ने मिलकर हमेशा से हिंदू पक्ष को मजबूत करने का काम किया है। आज की तारीख उत्तर प्रदेश और उसके आसपास जितने भी ऐसे प्रमुख मामले हैं, उनका सीधा वास्ता इन दोनों बाप – बेटों से है। हिंदुओं से जुड़े अहम केस की बात करें तो इनमें मथुरा का श्रीकृष्ण जन्मभूमि का मामला, कुतुबमीनार बनाने के लिए तोड़े गए हिंदू मंदिरों और जैन मंदिरों का मामला, ताजमहल के शिव मंदिर होने का दावा, लखनऊ स्थित टीले वाले मस्जिद के शेष गुफा होने का दावाऔर एमपी के धार स्थित भोजशाला और मस्जिद विवाद का मामला शामिल है। दोनों बाप – बेटे 1991 के वर्शिप एक्ट और 1995 के वक्फ एक्ट को चुनौती देने का मामला भी शामिल रहा हैं। दिवाली के दौरान पटाखों पर बैन के फैसले के खिलाफ भी वे अदालत में पैरवी कर चुके हैं।
धर्म के अलावा राजनीतिक मुद्दों पर भी ये खासे एक्टिव हैं। हरिशंकर जैन और विष्णु शंकर जैन ने भारतीय संविधान में संशोधन कर जोड़े गए दो शब्द समाजवाद और धर्मनिपरेक्षता की वैधता को भी चुनौती दी है। हाल ही में बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी सुप्रीम कोर्ट में ऐसी ही एक याचिका डाली थी, जिसे अदालत ने पुरानी याचिका में ही मर्ज कर दिया था। उन्होंने ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के रजिस्ट्रेशन को भी अदालत में चुनौती दे रखी है।
सोनिया गांधी के खिलाफ लड़ चुके हैं चुनाव
सीनियर वकील हरिशंकर जैन चुनावी राजनीति में भी हाथ आजमा चुके हैं। उन्होंने साल 1999 में कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी के खिलाफ अमेठी से पर्चा भरा था लेकिन उन्हें सख्त पराजय झेलनी पड़ी थी। जैन को मात्र 810 वोट मिले थे। हालांकि, चुनाव हारने के बाद भी उन्होंने सोनिया गांधी का पीछा नहीं छोड़ा। उन्होंने अदालत में सोनिया गांधी के भारतीय नागरिक न होने की याचिका डाली थी। जैन ने 1995 की धारा 5(1)(सी) को चुनौती दी थी, जिसके बाद कांग्रेस अध्यक्षा को अपनी नागरिकता के लिए रजिस्ट्रेशन कराना पड़ा था