Gyanvapi Maszid: विश्व हिंदू परिषद को ज्ञानवापी मस्जिद में गैरकानूनी जमावड़ा होने की आशंका

Gyanvapi Mosque Case : वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर विश्व हिंदू परिषद (VHP) के नेता विनोद बंसल ने कहा सर्वे नहीं हुआ तो मस्जिद में गैरकानूनी जमावड़ा हो सकता है।

Report :  Network
Published By :  Bishwajeet Kumar
Update: 2022-05-11 04:24 GMT

ज्ञानवापी मस्जिद मामला  (फोटो: सोशल मीडिया ) 

Gyanvapi Maszid : ज्ञानवापी मामले में विश्व हिंदू परिषद् (Vishwa Hindu Parishad) की इंट्री हो गई है। वीएचपी (VHP) नेता विनोद बंसल (Vinod Bansal) ने कहा कि वाराणसी में श्रंगार गौरी के दर्शन पूजन के अधिकारों को पुन: प्राप्त करने के लिए हिंदू समाज दशकों से प्रतीक्षा कर रहा है। न्यायाधीश ने परिसर की वीडियोग्राफी और सर्वे का आदेश दिया। एडवोकेट कमिश्नर के माध्यम से यह कार्य होना है। लेकिन कोर्ट द्वारा नियुक्त अधिकारी को तथाकथित मस्जिद परिसर में जाने से रोक दिया गया।

आपको बता दें, ज्ञानवापी इंतजामिया कमेटी ने इसका विरोध किया है इसके बाद बंसल सवाल करते हैं कि क्या भारत में मस्जिदों के अंदर न्यायालय या देश के कानून का पालन करने वाली संस्थाओं को भी जाने की अनुमति नहीं है?

उन्होंने कहा, क्या अब न्यायालय का भी रिलीजन देखा जाएगा?

बंसल कहते हैं कि मामला सिर्फ इतना ही नहीं है। देश की राजनीति में कुछ लोग जो मुस्लिम युवाओं को उकसाने का ही काम सतत करते हैं, जो सिर्फ और सिर्फ मुसलमानों के बारे में सोचते हैं। जिहादियों को ही प्रोत्साहन देते हैं लेकिन बात संविधान कानून और न्याय व्यवस्था की करते हैं। ऐसे लोग भी अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए और बहती गंगा में हाथ धोने के लिए कूद पड़े।


ओवैसी (asadduddin owaisi) पर हमला करते हुए बंसल ने कहा, हैदराबाद के वकील कहते हैं कि 1991 के कानून को सरकार मान नहीं रही। प्लेसेज आफ वरशिप एक्ट 1991 के बारे में न्यायालय ने विचार किया और इस संबंध में इलाहाबाद उच्च न्यायालय तक में सुनवाई हो चुकी है। लेकिन इसके बावजूद भी उसे ढाल बनाकर ढोल पीटाना क्या शोभा देता है। सत्य के अन्वेषण पर प्रहार किया जा रहा है। बार-बार माननीय न्यायालय द्वारा नियुक्त कोर्ट कमिश्नर को, जिसको सिर्फ सर्वे और वीडियोग्राफी कर गोपनीय रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है, को ना सिर्फ रोका जा रहा है बल्कि उसके ऊपर पक्षपाती होने के झूठे आरोप भी मढ़े जा रहे हैं।

वीएचपी नेता को मस्जिद में गैरकानूनी जमावड़ा होने की शंका

बंसल कहते हैं, परिसर के सर्वे से बचने के पीछे दो ही तर्क हो सकते हैं। एक तो उस कथित मस्जिद के अंदर कुछ ऐसा अनिष्ट कारक या गैरकानूनी जमावड़ा है, जैसा कि भारत की अनेक मस्जिद, मदरसों और मुस्लिम बहुल बस्तियों में अनेक बार देखने को आया है। यथा गोला-बारूद हथियार बम आतंकी इत्यादि, जिनको छुपाया जाना उनके लिए बहुत जरूरी है। अन्यथा दूसरा कारण यह हो सकता है कि इनको विश्वास है कि यदि सर्वे हुआ सारी पोल पट्टी खुल जाएगी कि इस परिसर का मस्जिद से कोई लेना देना नहीं है।

मुस्लिमों से सवाल

वीएचपी नेता मुस्लिम समुदाय से सवाल करते हुए कहते हैं कि आखिरकार मस्जिद में ऐसा क्या सीक्रेट होता है जिसको छुपाया जा रहा है और क्या किसी मस्जिद में आज तक कोई गैर मुस्लिम घुसा ही नहीं? क्या भारत की न्याय व्यवस्था पर आपको कोई विश्वास नहीं? क्या न्यायाधीश आपका गला काटने के लिए भेज रहे हैं?

मंदिर तोड़ बनी मस्जिद

बंसल कहते हैं, माता श्रंगार गौरी के मंदिर में पूजा अर्चना और दर्शन के लिए एक दशक पहले तक सब कुछ सामान्य था। भक्त दर्शन-पूजन के लिए जाते ही थे। वह मंदिर मस्जिद के दीवाल के बाहरी हिस्से में बना हुआ है तो भी हिंदुओं को पूजा अर्चना से वंचित क्यों किया जा रहा है? क्या देश के इस बहुसंख्यक समाज को अपने आराध्य देव की पूजा का भी अधिकार यह तथाकथित अल्पसंख्यक समुदाय नहीं देगा? क्या दुनिया को नहीं पता कि मुस्लिम आक्रांताओं ने बड़े पैमाने पर हिंदू धर्म स्थलों को ध्वस्त कर उसके मलबे से अनेक प्रकार के इस्लामिक ढांचे तैयार किए जो कि वास्तव में इस्लाम की मान्यताओं के अनुसार भी नहीं थे?

बताया ज्ञानवापी नाम क्यों है?

वीएचपी नेता ने कहा, इस कथित मस्जिद के नाम से ही संपूर्ण विश्व को इस बात का ज्ञान हो जाता है कि आखिर इसका नाम ज्ञानवापी क्यों है? इसके विचित्र रूप और आसपास बनी मूर्तियों से स्वत: सिद्ध हो रहा है कि वहां पर हिंदू आस्था के केंद्रों को तोड़ कर के ही वह ढांचा बनाया गया था? जो लोग शांति और भाईचारे की बात करते हैं, गंगा जमुना संस्कृति की बात करते हैं, मिल बैठकर बात करने की बात करते हैं वो उन्हें क्यों नहीं समझाते कि आखिरकार हिंदू मान्यताओं के विश्व प्रसिद्ध आराध्य देव भगवान शंकर की इस पवित्र स्थली को, इस्लामिक आक्रांताओं द्वारा तोड़े जाने के पाप का परिमार्जन कर, हिंदू समाज को क्यों ना दे दिया जाए?

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