कानपुरः ओडिशा में पिछले दिनों सरकारी एंबुलेंस न मिलने पर एक पति को 12 किमी तक अपनी पत्नी का शव कंधों पर लादकर ले जाना पड़ा। जबकि नवीन पटनायक की सरकार उड़ीसा में ‘महापरायण’ योजना चला रही है जिसमें मुफ्त में शवों को घरों तक ले जाया जाता है।
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ऐसा ही एक मामला सोमवार को यूपी में देखने को मिला। जहां अखिलेश की 'समाजवादी एंबुलेंस सेवा' का सच सबके सामने आ गया। सरकार के वादे बड़े-बड़े, इरादे भी शायद नेक हों, लेकिन उसका अमला है कि वो बस में नहीं है। तस्वीर जो दिख रही है, उसमें ये भी माना जा सकता है कि सीएम अखिलेश यादव का भी खौफ किसी को नहीं है। खौफ होता, तो कानपुर के इस बदनसीब बाप की ये तस्वीर शायद न दिखती। तस्वीर में जो शख्स है, उसका नाम है सुनील और कंधे पर अपने ही बेटे की लाश ढोने के लिए उन्हें मजबूर होना पड़ा।
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खबर वायरल होने के बाद जांच के आदेश
-हॉस्पिटल के प्राचार्य नवनीत कुमार ने मामले की जांच के लिए समिति गठित की है।
-तीन डॉक्टरों की समिति दो दिन में जांच सौंपेगी इसके बाद दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
कहां की है घटना?
ये मामला कानपुर का है। सुनील के 12 साल के बेटे को तेज बुखार था। उसे हैलट हॉस्पिटल ले जाने के लिए उन्होंने सीएम अखिलेश के ड्रीम प्रोजेक्ट समाजवादी एंबुलेंस सेवा को फोन किया। एंबुलेंस उन्हें नहीं मिली। किसी तरह हैलट तक वह बेटे को लेकर पहुंचे, तो वहां स्ट्रेचर नहीं मिला। कंधे पर बुखार से भट्टी की तरह तप रहे बेटे को लेकर वह डॉक्टरों के चक्कर काटते रहे, इलाज नहीं मिला और दवा के बगैर उनके बेटे ने बाप के कंधे पर ही दम तोड़ दिया।
कब होगी सिस्टम पर कार्रवाई?
बता दें कि हैलट हॉस्पिटल में स्ट्रेचर न मिलने का ये कोई पहला मामला नहीं है। साथ ही कई बार पहले भी खबरें आ चुकी हैं कि बुलाने के बावजूद मरीज को समाजवादी एंबुलेंस सेवा नहीं मिली। फिर भी कभी ये सुनने को नहीं मिलता कि दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई हुई हो। ऐसी कार्रवाई, जो दूसरों के लिए नजीर बन सके। होता क्या है ऐसे मामलों में? पहले जांच बिठा दो, कर्मचारी को सस्पेंड कर दो और बाद में नौकरी में उसकी बहाली तो तय है ही। क्या पिता के कंधे पर बेटे की लाश देखकर सरकार और उसके मुखिया इस सिस्टम को बदलेंगे?
डीएम ने दिए जांच के आदेश
हैलट हॉस्पिटल में इलाज के आभाव और स्ट्रेचर नहीं मिलने पर बच्चे की मौत हो गई थी। इस मामले की जांच के लिए डीएम कौशल राज शर्मा ने दो सदस्यों की टीम बनाई है। टीम में एसीएम सिक्स आर के त्रिपाठी और एडिशनल सीएमओ हैं जो इस मामले की जांच करेंगे।
क्या कहते हैं एसीएम सिक्स?
बच्चे की मौत के सम्बन्ध में जांच के लिए हम हैलट हॉस्पिटल आए हैं। बच्चे के इलाज में किन परिस्थितियों में लापरवाही हुई उसकी जांच करेंगेl बच्चे को स्ट्रेचर न मिलने के मामले में हम जांच करेंगे कि किस कर्मचारी की ड्यूटी थी। वह कर्मचारी उसे समय से स्ट्रेचर उपलब्ध क्यों नहीं करा पायाl इसके आलावा इस मामले से जुड़े सभी तथ्यों की गहनता से जांच की जाएगीl जांच में जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाई की जाएगीl