22 जनवरी को लेकर गर्भवती महिलाएं उत्साहित, किसी को ‘राम’ चाहिए तो किसी को ‘जानकी’, क्या कहते हैं डॉक्टर?

Hapur News: हापुड़ की दर्जनों गर्भवती महिलाए 22 जनवरी को श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दिन डिलवरी कराने की इच्छुक हैं। पिछले डेढ़ सप्ताह से गर्भवती महिलाए डाक्टरों से सिजेरीयन प्रसव कराने की इच्छा जाहिर कर चुकी हैं।

Report :  Avnish Pal
Update:2024-01-15 15:49 IST

प्रतीकात्मक चित्र (Social Media) 

Hapur News: अयोध्या में राममंदिर की भव्य प्राण प्रतिष्ठा के दिन यानी 22 जनवरी को लेकर प्रेग्नेंट महिलाओं में भी भारी उत्साह है। हापुड़ जिले में 22 जनवरी को प्रसव कराने को लेकर डाक्टरों पर भारी दबावहै। ऐसे में गर्भवती महिलाएं चाहती हैं कि, 22 जनवरी को ही अपने नवजात को जन्म दें। उनकी इस मांग को सुनकर डॉक्टर्स भी हैरान हैं।

महिलाओं और डॉक्टरों ने बच्चों के नाम तक तय कर दिए हैं। हापुड़ की एक चिकित्सक का कहना है कि लड़का पैदा होता है तो उसका नाम राम और अगर लड़की पैदा होती है तो लक्ष्मी आई है, से संबोधित करेंगे। अब 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन अगर बालक या बालिका होगी तो उसे 'राम' और अगर बालिका होती है तो उसे 'जानकी' के नाम से सम्बोधित किया जाएगा।

हॉस्पिटलों में दंपति की भीड़

प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन हर एक प्रेग्नेंट महिला बच्चें को जन्म देना चाहती है।अपने बच्चों को जन्म देने के लिए अस्पतालों में कपल्स की डॉक्टरों से मिलने के लिए कतार लगी है। डॉक्टरों के पास ऐसे कपल्स लगातार पहुंच रहे हैं जिन्हें अपने बच्चे की डिलीवरी 22 जनवरी को ही करवाना है। डॉक्टरों का कहना है कि अगर सिजेरियन होना है तो एक हफ्ते तक इंतजार किया जा सकता है। 6-7 दिन के अंतराल में 22 जनवरी को ही सिजेरियन हो सकता है। डॉक्टरों का कहना है कि ये क्रेज़ आमतौर पर जन्माष्टमी, दीपावली या फिर नए वर्ष को लेकर रहता था। लेकिन, क्योंकि इस वर्ष 22 जनवरी को देश में भव्य प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन हो रहा है तो महिलाओं का इस दिन के लिए खास आकर्षण है। 

आखिर जनवरी में ही क्यों चाहिए बच्चा?

डॉक्टर आंचल गोयल (Dr Aanchal Goyal) का कहना है कि, 'गर्भवती माताएं अक्सर पुजारियों से शुभ तारीख और समय का पता लगाती हैं और उस दिन डिलीवरी का अनुरोध करती हैं। कपल्स ने निर्धारित समय और तारीख पर बच्चों की डिलीवरी कराई, क्योंकि माताओं और परिवार के सदस्यों ने पुजारियों द्वारा दिए गए ‘मुहूर्त’ (शुभ समय) पर प्रसव कराने पर जोर दिया था।'

नवजात व प्रेग्नेंट महिला के लिए चिंताजनक

डॉक्टर के अनुसार 'यह चिंताजनक है कि कभी-कभी परिवार के सदस्य हमसे यह उम्मीद भी करते हैं कि ऐसा करने से मां और बच्चे के लिए पैदा होने वाली जटिलताओं को हम नजरअंदाज कर देंगे। उन्होंने कहा, माताओं का मानना है कि भगवान राम वीरता, अखंडता और आज्ञाकारिता के प्रतीक हैं, इसलिए मंदिर में ‘प्राण प्रतिष्ठा’ के दिन पैदा होने वाले शिशुओं में भी वही गुण होंगे।प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन को गर्भवती महिलाए यादगार बनाना चाहती हैं।हापुड़ की दर्जनों गर्भवती महिलाए 22 जनवरी को श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दिन डिलवरी कराने की इच्छुक हैं।पिछले डेढ़ सप्ताह से गर्भवती महिलाए डाक्टरों से सिजेरीयन प्रसव कराने की इच्छा जाहिर कर चुकी हैं।'

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