Hardoi News: इस बड़े उद्योगपति ने अपनी पत्नी के साथ किया देहदान
Hardoi News: संजीव के नाम अग्रवाल मारुति कार कॉन्सेप्ट, हीरो कॉन्सेप्ट के साथ राइस मील है। संजीव अग्रवाल के पुत्र यशवर्धन अग्रवाल मारुति कार कॉन्सेप्ट नेक्सा कांसेप्ट को देखते हैं।
Hardoi News: हरदोई के एक बड़े उद्योगपति ने हरदोई मेडिकल कॉलेज में पहुंचकर अपनी पत्नी के साथ देहदान कर दिया। उद्योगपति ने बताया कि इसके पीछे उनका उद्देश्य है कि मेडिकल छात्रों, शोधकर्ताओं को मानव जीवन को बचाने के लिए उनका देह काम आ सके, इसी से प्रेरित होकर देह दान किया है। इसकी जानकारी क्षेत्र में फैलते ही लोग उनके इस फैसले की जमकर प्रशंसा करते नहीं थक रहे। लोगों ने कहा कि बहुत कम ऐसे उद्योगपति हैं, जो इस तरह के निर्णय लेते हैं। इस उद्योगपति को कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा सम्मानित भी किया गया था।
हरदोई के इस उद्योगपति के नाम राइस मिल, चौपाइयां कार शोरूम और दोपहिया वाहन का शोरूम है। व्यावहारिक तौर पर काफी मिलनसार व गरीब असहाय लोगों की मदद के लिए सदैव आगे रहने वाले यह उद्योगपति और कोई नहीं कार कॉन्सेप्ट के मालिक संजीव अग्रवाल है। ऐसा कहा जाता है कि कोई भी गरीब असहाय व्यक्ति संजीव अग्रवाल के पास जाता है, उनसे अपनी समस्या बताता है तो वह उसे कभी निराश नहीं लौटने देते। संजीव अग्रवाल गरीब असहाय की हर संभव मदद को सदैव तत्पर रहते हैं।
हो सके शोध इस लिए किया दान
संजीव के नाम अग्रवाल मारुति कार कॉन्सेप्ट, हीरो कॉन्सेप्ट के साथ राइस मिल है। संजीव अग्रवाल के पुत्र यशवर्धन अग्रवाल मारुति कार कॉन्सेप्ट नेक्सा कांसेप्ट को देखते हैं।इस फैसले से उनके पुत्र यशवर्धन अग्रवाल भी आश्चर्यचकित रह गए। यश वर्धन अग्रवाल ने अपने पिता के फैसले की जमकर सराहना की। उन्होंने कहा कि यह शरीर किसी दूसरे मानव के काम जीने के बाद और मृत्यु के बाद काम आ जाए तो इससे बढ़कर क्या हो सकता है।
हरदोई जनपद के उद्योगपति एवं समाजसेवी संजीव अग्रवाल अपनी अपनी पत्नी राधा अग्रवाल के साथ जिला महिला अस्पताल पहुंचे और मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य के ऑफिस में देहदान के लिए संकल्प पत्र भरकर उसे पर हस्ताक्षर कर सभी प्रक्रियाएं पूर्ण की। संजीव अग्रवाल ने बताया कि वह धर्म अध्यात्म एवं सामाजिक कार्यों से लगातार जुड़े रहते हैं। ऐसे ही उन्हें देहदान को लेकर विचार आया की क्यों ना अपना देहदान किया जाए। जिससे कि मेडिकल में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं और शोधकर्ताओं को मानव जीवन को बचाने के लिए काम आ सके। हाल ही में कोरोना संक्रमण ने हमें इस बाबत जागरूक किया है। भारत के डॉक्टरों द्वारा कोरोना वैक्सीन को लेकर शोध की गई थी। जिसके बाद वैक्सीन भारत में आई यह डॉक्टर की एक बड़ी उपलब्धि थी। इसी को देखते हुए डॉक्टर को शोध करने के लिए अपना देहदान किया है। संजीव अग्रवाल ने कहा कि मृत्यु के बाद यदि मानव जीवन को बचाने में उनका देह काम आ सकता है, तो इससे बढ़कर और क्या हो सकता है।