Hardoi News: पुलिस अधीक्षक ने उपनिरीक्षक को किया निलंबित, पीड़ित से माँगी थी रिश्वत
Hardoi News: हरदोई में पुलिसकर्मियों को रिश्वत लेते एंटी करप्शन की टीम द्वारा भी एक बार गिरफ्तार किया गया है लेकिन उसके बाद भी हरदोई पुलिस अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रही है।
Hardoi News: हरदोई में रिश्वत मांगना एक उपनिरीक्षक को भारी पड़ गया। पुलिस अधीक्षक ने उप निरीक्षक को निलंबित करते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं साथ ही क्षेत्राधिकार सदर को मामले की जांच सौंप दी है। हरदोई में पुलिसकर्मियों पर पहले भी कई बार रिश्वत को लेकर आरोप लगा चुके हैं।हरदोई पुलिस अधीक्षक लगातार पुलिसकर्मियों से कार्य में शिथिलता ना बरतने के निर्देश देते आ रहे हैं। हरदोई में पुलिसकर्मियों को रिश्वत लेते एंटी करप्शन की टीम द्वारा भी एक बार गिरफ्तार किया गया है लेकिन उसके बाद भी हरदोई पुलिस अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रही है। हरदोई पुलिस का यह हाल जब है जब हरदोई पुलिस की कमान तेज दरार पुलिस अधीक्षक नीरज कुमार जादौन के हाथों में है। दर्शन पीड़ित द्वारा पुलिस अधीक्षक से उप निरीक्षक की रिश्वत मांगने की शिकायत की थी इसके बाद यह कार्रवाई हुई है।
रिपोर्ट लगाने के नाम पर मांगी थी रिश्वत
मामला मल्लावा कोतवाली से जुड़ा हुआ है।जहां के रहने वाली कुसमा देवी के पुत्र उमेंद्र उर्फ सोनू 3 नवंबर को खेत में सिंचाई कर रहा था। इसी बीच आपसी रंजिश के चलते गांव के तीन लोगों ने उसे पर फायर कर दिया था। इस घटना में वह बच गया।इस मामले की शिकायत उसमा देवी ने कोतवाली में दर्ज कराई थी।कार्रवाई न होने पर कुसमा देवी ने मामले की शिकायत पुलिस अधीक्षक से भी की। पुलिस अधीक्षक द्वारा मामले में जांच कर कार्रवाई के निर्देश दिए गए।इसके बाद मल्लांवा कोतवाली के उप निरीक्षक आफ़ाक को मामले की जांच सौंपी गई। उप निरीक्षक आफ़ाक़ ने महिला से ₹10000 की रिश्वत की मांग की।उपनिरीक्षक ने रिश्वत की मांग करते हुए कहा कि रिश्वत दे दो तो सही रिपोर्ट लगा देंगे। इससे परेशान होकर कुसुमा देवी के पुत्र उमेंद्र ने दरोगा को रिश्वत के ₹10000 तो दे दिए लेकिन इस मामले की शिकायत भी हरदोई पुलिस अधीक्षक से 16 दिसंबर को कर दी थी।कुसमा देवी के पुत्र ओमेंद्र द्वारा की गई शिकायत पर हरदोई पुलिस अधीक्षक नीरज कुमार जादौन ने मामले की जांच से बिलग्राम सीओ को सौंप थी।सीओ बिलग्राम की रिपोर्ट के बाद पुलिस अधीक्षक ने उप निरीक्षक को निलंबित करते हुए क्षेत्राधिकारी सदर को सात दिवस के अंदर विस्तृत रिपोर्ट देने के निर्देश जारी किए हैं।