हाथरस आरोपियों से मिलने पहुंचे BJP सांसद, लौटाया गया बैरंग, अब कही ये बात
बीजेपी सांसद राजवीर सिंह दिलेर कल यानी रविवार को हाथरस मामले के आरोपियों से मिलने जेल पहुंचे थे, लेकिन जेलर के कमरे से ही उन्हें बैरंग लौटा दिया गया।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के हाथरस में 19 वर्षीय युवती के साथ हुए गैंगरेप ने पूरे देश को झकझोर दिया। इसी के साथ इस मामले में सियासी घमासान भी जारी है। इस बीच स्थानीय बीजेपी सांसद राजवीर सिंह दिलेर कल यानी रविवार को आरोपियों से मिलने जेल पहुंचे थे, लेकिन जेलर के कमरे से ही उन्हें बैरंग लौटा दिया गया। जेल प्रशासन ने उन्हें आरोपियों से मिलने की इजाजत नहीं दी है। हालांकि हाथरस के बीजेपी सांसद दिलेर की तरफ से आरोपियों से मिलने की कोशिश करने की खबरों को सिरे से खारिज कर दिया गया है।
जेल में किसी कैदी से नहीं की मुलाकात
बीजेपी सांसद राजवीर सिंह दिलेर ने कहा कि वह जेल गए थे, लेकिन किसी कैदी से वहां पर मुलाकात नहीं की है। उन्होंने इस पूरे घटना के बारे में बताते हुए कहा कि मैं क्षेत्र की जनता के काम से SSP आवास गया था, जहां मुझे पता चला कि वो क्वारनटीन हैं। उन्हें कोरोना वायरस हो गाय है। फिर जब मैं वहां से वापस आ रहा था तो रास्ते में जेल पड़ती है, जहां पर कुछ लोग गेट के सामने खड़े हुए थे। वह लोग मुझसे बात करने लगे थे।
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जेल जाने को हाथरस कांड से जोड़ना ठीक नहीं
उन्होंने बताया कि तभी जेलर जेल के बाहर निकले और मेरे पास आ गए। उन्होंने खड़े होने के बाद चाय पीने का आग्रह किया, जिसके बाद मैं उनके साथ चला गया। बीजेपी सांसद के मुताबिक, उन्होंने एक कैदी के बारे में जेलर से बात की थी। उसका आचरण सही है। महामहिम राष्ट्रपति को उसके बारे में पत्र भिजवा दीजिए। मैं फिर अपने घर आ गया। उन्होंने कहा कि मैंने जेल में हाथरस के किसी भी आरोपी से मुलाकात नहीं की। सांसद ने कहा कि हाथरस मामले से मेरा जेल जाने को जोड़ना यह ठीक नहीं है।
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यूपी सरकार ने किया बड़ा दावा
बता दें कि हाथरस मामले में राज्य सरकार ने सीबीआई से जांच कराने की सिफारिश की है। साथ ही दोषियों को कड़ी सजा देने का भी विश्वास दिलाया है। इस बीच यूपी सरकार की तरफ से बड़ा दावा किया गया है। सरकार के मुताबिक, हाथरस में पीड़िता को इंसाफ दिलाने की मुहिम के नाम पर कुछ लोगों ने बड़ी साजिश रची थी। इसके लिए जस्टिस फॉर हाथरस विक्टिम के नाम से एक वेबसाइट भी बनाई गई थी। आरोप है कि वेबसाइट का मकसद देश और प्रदेश में जातीय दंगे कराकर योगी सरकार को बदनाम करने की साजिश थी।
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