हाथरस कांड पर CBI की चार्जशीट, जानिए अब तक क्या-क्या हुआ

यूपी सरकार से सिफारिश के बाद सीबीआई ने 11 अक्टूबर को इस मामले में केस दर्ज किया था और जांच शुरू की थी। सीबीआई ने हाथरस मामले में दो हजार पन्नों की चार्जशीट जिला न्यायालय में दाखिल की है।

Update:2020-12-18 21:36 IST
हाथरस गैंगरेप के चारों आरोपी अलीगढ़ जेल में बंद हैं। सीबीआई ने धारा 302, 376 ए, 376 डी, व एससी-एसीटी एक्ट के तहत चार्जशीट दाखिल किया है।

हाथरस: उत्तर प्रदेश के हाथरस गैंगरेप केस ने पूरे देश को झकझोर रख दिया था। इस मामले को बढ़ता देख उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी। अब हाथरस गैंगरेप मामले में सीबीआई ने शुक्रवार को चार्जशीट दाखिल कर दिया।

यूपी सरकार से सिफारिश के बाद सीबीआई ने 11 अक्टूबर को इस मामले में केस दर्ज किया था और जांच शुरू की थी। सीबीआई ने हाथरस मामले की दो हजार पन्नों की चार्जशीट जिला न्यायालय में दाखिल की है। इस समय हाथरस गैंगरेप के चारों आरोपी अलीगढ़ जेल में बंद हैं। सीबीआई ने धारा 302, 376 ए, 376 डी, व एससी-एसीटी एक्ट के तहत चार्जशीट दाखिल किया है। आईए जानते इस मामले में अब तक क्या-क्या हुआ है।

हाथरस गैंगरेप में अक तक क्या-क्या हुआ

-हाथरस जिले के चंदपा क्षेत्र के एक गांव में 14 सितंबर को अनुसूचित जाति की 19 वर्षीय युवती के साथ चार युवकों ने गैंगरेप किया था। इसके साथ ही उसके साथ मारपीट की गई थी जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गई थी। बुरी तरह घायल युवती को सबसे पहले जिला अस्पताल में भर्ती किया गया था। यहां से हालत बिगड़ने के बाद अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कॉलेज में एडमिट कराया है। यहां से पीड़िता को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में रेफर कर दिया था। यहां पीड़िता ने 16 दिनों तक मौत से जंग लड़ी और 28 सितंबर की रात दम तोड़ दिया।

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-इसके बाद उत्तर प्रदेश पुलिस ने पीड़िता के शव का 29/30 सितंबर की रात को अंतिम संस्कार कर दिया। पीड़िता के परिजनों ने अंतिम संस्कार का विरोध किया था। परिजनों ने आरोप लगाया पुलिस ने शव को जबरन पेट्रोल डालकर जला दिया था। परजिनों के आरोप को पुलिस ने खारिज किया था और कहा था कि परिजनों की सहमित के बाद ही अंतिम संस्कार किया गया।

-हाथरस में प्रशासन की तरफ से सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लगा दिया। इसके बाद जिले के सभी बॉर्डर सील कर दिए गया। मीडिया समेत किसी भी बाहरी व्यक्ति को गांव में जाने की इजाजत नहीं थी। लेकिन हंगामा बढ़ने के बाद मीडिया और विपक्षी पार्टियों को वहां जाने की इजाजत दी गई। इसके बाद पीड़ित के परिजनों से विपक्ष के कई नेताओं ने मुलाकात की थी।

-हाथरस केस की गंभीरता को देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने स्वत: संज्ञान लिया। हाईकोर्ट ने अपर मुख्य सचिव गृह, डीजीपी एडीजी लॉ एंड ऑर्डर, डीएम हाथरस व एसपी हाथरस को तलब किया है। यह सभी कोर्ट में पेश हुए थे। कोर्ट ने डीएम पर कोई कार्रवाई नहीं होने को लेकर भी सवाल पूछा था। बता दें कि हाथरस के डीएम प्रवीण कुमार को हटाने की मांग उठी थी।

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-यूपी सरकार ने एसपी विक्रांत वीर, क्षेत्राधिकारी श्री राम शब्द, प्रभारी निरीक्षक दिनेश कुमार वर्मा, वरिष्ठ उपनिरीक्षक जगवीर सिंह, हेड मोर्हिरर को निलंबित कर दिया था। इसके बाद सरकार ने शामली के एसपी विनीत जायसवाल को हाथरस के एसपी की जिम्मेदारी सौंपी।

- 3 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाथरस मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश कर दी। इससे पहले प्रदेश के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी और डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने पीड़िता के परिजनों से मिले थे।

-इसके बाद 6 अक्टूबर को प्रदेश की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी कि कथित रूप से हाथरस में गैंगरेप की शिकार पीड़िता का अंतिम संस्कार रात में इसलिए करना पड़ा, क्योंकि खुफिया जानकारी मिली थीं कि हिंसा भड़क सकती थी।

-अलीगढ़ के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में फोरेंसिक मेडिसीन विभाग ने प्रमाणित किया कि हाथरस गैंगरेप की पीड़िता के साथ रेप का कोई सबूत नहीं मिला है। इस सर्टिफिकेट को यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामे के साथ पेश किया।

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-7 अक्टूबर को स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) को जांच रिपोर्ट सौंपनी थी, लेकिन सीएम योगी एसआईटी को और 10 दिन का समय दिया था। इसके बाद एसआईटी ने यूपी सरकार को नवंबर की शुरुआत में अपनी जांच रिपोर्ट सौंपी थी। एसआईटी की जांच में सामने आया था कि पीड़िता के भाई और मुख्य आरोपी संदीप की फोन पर कई बार बातचीत हुई थी।

-यूपी सरकार से सिफारिश के बाद सीबीआई ने 11 अक्टूबर को इस मामले में केस दर्ज किया था और जांच शुरू की थी। सीबीआई ने इस मामले की दो हजार पन्नों चार्जशीट शुक्रवार को हाथरस जिला न्यायालय में दाखिल की है।

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