हाथरस केस: आज हो सकते हैं कई अहम खुलासे, सरकार को रिपोर्ट दे सकती हैं SIT
एसआईटी की शुरुआती रिपोर्ट सौंपने के बाद सीएम ने हाथरस के एसपी, सीओ समेत पांच पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया था। और फिर एसआईटी को जांच के लिए 7 दिन दिए थे। हो सकता है कि आज पीड़िता के परिवार को न्याय का मार्ग खुले।
हाथरस : बहुचर्चित हाथरस कांड के लिए सीएम योगी ने एसआईटी को जांच के लिए 7 दिन दिए थे। उम्मीद की जा रही है कि पूरी जांच-पड़ताल के बाद एसआईटी हाथरस केस की रिपोर्ट दे सकती है। बता दें कि सरकार ने गृह सचिव भगवान स्वरूप की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की थी। एसआईटी की शुरुआती रिपोर्ट सौंपने के बाद सीएम ने हाथरस के एसपी, सीओ समेत पांच पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया था। और फिर एसआईटी को जांच के लिए 7 दिन दिए थे। हो सकता है कि आज पीड़िता के परिवार को न्याय का मार्ग खुले।
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हाथरस का गुनहगार
अब ये कयास लग रहा है कि हाथरस का गुनहगार कौन है? पिछले सात दिनों से एसआईटी लगातार हाथरस के सच को जानने की कोशिश कर रही है। एसआईटी ने पीड़ित परिवार के सदस्यों का बयान दर्ज किया।एसआईटी ने जांच के दौरान कुछ नए तथ्य ढूंढे। इससे अहम जानकारियां मोबाइल फोन रिकॉर्ड से निकली हैं।
रोज हो नए खुलासे
पता चला है कि पीड़िता के भाई का मोबाइल फोन उसकी पत्नी यानी पीड़िता की भाभी इस्तेमाल करती थी. इस नंबर से आरोपी संदीप के नंबर पर लगातार बातें हुईं. बातचीत का सिलसिला 13 अक्टूबर 2019 से 20 मार्च 2020 तक चला. यूपी पुलिस के मुताबिक, पीड़िता के भाई के मोबाइल से आरोपी संदीप के मोबाइल पर 62 बार कॉल गई और संदीप के मोबाइल से पीड़िता के भाई के नंबर पर 42 बार कॉल आई। यानी दोनों फोन के बीच कुल 104 बार बातचीत हुई। इस मामले में पीड़िता के परिवार का कहना है कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई, सीबीआई जांच और नार्को टेस्ट होना चाहिए।
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ये था मामला
बता दें कि हाथरस कांड में चारों आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं। पीड़िता के परिवार और विपक्ष के आरोपों के बाद इस कांड को लेकर यूपी सरकार और पुलिस के एक्शन पर सवाल उठने लगे थे, जिसके बाद यूपी सरकार ने सोमवार को यह मामला सीबीआई को दे दिया।
दरअसल 14 सितंबर को हाथरस जिले के एक गांव में 19 साल की दलित लड़की से चार लड़कों ने कथित रूप से सामूहिक बलात्कार किया था। इस लड़की की बाद में 29 सितंबर को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मृत्यु हो गई थी। मौत के बाद आनन-फानन में पुलिस ने रात में अंतिम संस्कार कर दिया था, जिसके बाद मामला तूल पकड़ लिया। पीड़ित ने पुलिस पर आरोप लगाया है, जिसे पुलिस प्रशासन ने सिरे से खारिज कर दिया।