हाथरस कांड: CBI ने दाखिल की चार्जशीट, पीड़िता का बयान बनेगा आधार

सीबीआई के 3 अफसर दस्तावेज लेकर अदालत में अंदर गए। सीबीआई ने 22 सितंबर को दिए गए पीड़िता के आखिरी बयान को आधार बनाते हुए चार्जशीट दाखिल की है और निर्णय कोर्ट के उपर छोड़ा है।

Update:2020-12-18 11:56 IST
हाथरस कांड: पीड़िता के भाई को मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन के लिए गुजरात ले जाएगी CBI

लखनऊ: यूपी के हाथरस जिले में हुए कथित गैंगरेप और हत्याकांड ने पूरे देश में हलचल मचा दी थी। यह केस ने इतना तूल पकड़ा कि इसकी जांच सीबीआई के हाथों सौंप दी गई। अब इस केस को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है। जानकारी के मुताबिक हाथरस के चंदपा कांड में सीबीआई पीड़िता के बड़े भाई का मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन कराने के लिए गुजरात ले जा सकती है।

बुधवार को हाथरस मामले में हुई थी सुनवाई

बता दें कि बुधवार को हाथरस कांड में पीड़िता के मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी। अब अगली सुनवाई 27 जनवरी को होगी। ऐसा माना जा रहा है कि इस मामले में सीबीआई जल्द ही चार्जशीट दाखिल कर सकती है। गौरतलब है कि इस मामले में सीबीआई गिरफ्तार चारों आरोपियों की पॉलीग्राफी आदि टेस्ट करा चुकी है। वहीं पीड़िता के परिजनों का कहना था कि उन्हें तो मीडिया से यह जानकारीमिली है कि अब इस मामले में 27 जनवरी को अगली सुनवाई होगी।

हाथरस गैंगरेप केस- CBI ने निर्णय कोर्ट के उपर छोड़ा है

सीबीआई के 3 अफसर दस्तावेज लेकर अदालत में अंदर गए। सीबीआई ने 22 सितंबर को दिए गए पीड़िता के आखिरी बयान को आधार बनाते हुए चार्जशीट दाखिल की है और निर्णय कोर्ट के उपर छोड़ा है।

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क्या है मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन ?

जानकारी के लिए बता दें कि मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन एक ऐसी प्रक्रिया है,जिसमें शिकायतकर्ता या अभियुक्तों को विभिन्न काल्पनिक स्थितियों के साथ-साथ मामले से संबंधित प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रश्न किए जाते हैं। इस दौरान उनकी प्रतिक्रियाएं रेकॉर्ड की जाती हैं। इन प्रतिक्रियाओं के आधार पर मनोवैज्ञानिक पहलुओं, लक्षणों और उद्देश्यों को नापते हैं।

आधिकारिक तारीख और समय तय नहीं

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जांच एजेंसी को कुछ ऐसी स्थितियां मिलीं हैं, जिनके उन्हें सटीक जवाब चाहिए। इसी वजह से से शिकायतकर्ता का मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन कराया जा रहा है। हालांकि विशेषज्ञ जांच के लिए कौन का तरीका अपनाएंगे यह अभी तय नहीं है, क्योंकि यह सीबीआई के अधिकारियों को फरेसिंक विशेषज्ञों के बीच बातचीत के बाद जरूरत के आधार पर तय होगा।

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इन सवालों के जवाब चाहती है सीबीआई

मालूम हो कि इस मामले की शुरुआती जांच यूपी पुलिस कर रही थी। इस दौरान पीड़ित परिवार ने पुलिस पर कई आरोप लगाए थे। सीबीआई पीड़िता के भाई का साइकलॉजिकल असेस्मेंट कराकर जानना चाहती है कि जब यह घटना हुई तो शिकायतकर्ता को कैसा लगा? उसने पहली बार पुलिस से क्या कहा? वह पुलिस की जांच को लेकर क्या सोचता है? साथ ही एजेंसी यह भी जानना चाहती है कि यूपी पुलिस ने इस केस में क्या गलत किया।

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