HC ने मुख्य सचिव से पूछा, क्यों नहीं है UP में बायो मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट की व्यवस्था

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश में अस्पतालों और नर्सिंग होम्स के बायो मेडिकल कचरे के निस्तारण की सही व्यवस्था न होने पर सख्त रूख अपनाया है।

Update:2017-08-03 21:25 IST

इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश में अस्पतालों और नर्सिंग होम्स के बायो मेडिकल कचरे के निस्तारण की सही व्यवस्था न होने पर सख्त रूख अपनाया है। कोर्ट ने मुख्य सचिव के हलफनामे को महज खानापूर्ति मानते हुए जिलेवार मेडिकल कचरा निस्तारण ब्यौरे के साथ दो हफ्ते में बेहतर हलफनामा मांगा है। अगली सुनवाई 18 अगस्त को होगी।

यह आदेश जस्टिस अरूण टंडन और जस्टिस ऋतुराज अवस्थी की खंडपीठ ने प्राइवेट डॉक्टर्स एसोसिएशन की जनहित याचिका पर दिया है। कोर्ट ने मुख्य सचिव से मेडिकल कचरा प्रबंधन पर हलफनामा मांगा था। कोर्ट को बताया गया कि प्रदेश में 17 बायो मेडिकल बेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट है और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को कचरे का प्रबंधन न करने वाले अस्पतालों व नर्सिंग होम्स पर कार्यवाही के निर्देश दिए गए हैं।

कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार गंभीर नहीं है। मेडिकल कचरा लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और सरकार के पास योजना की सही जानकारी नहीं है। प्रदेश में कितना मेडिकल कचरा निकलता है और इसके शोधन के लिए कितने प्लांटों की जरूरत है। नियमावली के नियम 7 और 8 में मेडिकल कचरे को अलग किया जाना और माइक्रावेब में प्री ट्रीटमेंट कर निस्तारण के लिए प्लांट तक भेजने और वाहनों में जीपीएस लगाने को पालन नहीं किया जा रहा है।

कोर्ट ने कहा कि 18 अगस्त को मुख्य सचिव कम से कम सरकारी अस्पतालों के कचरा प्रबंधन का पूरा ब्यौरा दे। कोर्ट ने कहा कि 132 वाहनों में से केवल 69 में ही जीपीएस लगे हैं। प्लांट की क्षमता और ट्रांसपोर्टेशन का ब्यौरा नहीं दिया गया है। 17 कॉमन ट्रीटमेंट प्लांट है। नियमानुसार 75 किमी. की परिधि में आने वाले अस्पतालों के कचरे निस्तारित होंगे। जो इससे बाहर है उन अस्पतालों को स्वयं का ट्रीटमेंट प्लांट लगाना होगा।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट का कोर्ट परिसर की पार्किंग और सफाई पर जवाब तलब

इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोर्ट परिसर से बाहर मल्टी लेवल पार्किंग, सफाई व्यवस्था, लेडीज चेंबर, चिकित्सा सुविधा और पेयजल आपूर्ति को लेकर दाखिल याचिका पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार सहित सभी विपक्षियों से जवाब मांगा है।

यह आदेश जस्टिस तरूण अग्रवाल और जस्टिस अशोक कुमार की खंडपीठ ने सुनीता शर्मा की जनहित याचिका पर दिया है। याचिका पर वकील वी.सी श्रीवास्तव ने बहस की। सुनवाई 09 अगस्त को होगी।

 

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