हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा- यश भारती पुरस्कार किस वित्तीय मद से ?

Update: 2016-04-01 09:48 GMT

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने यूपी सरकार की ओर से दिए गए यश भारती पर शुक्रवार को कड़ा रूख अपनाते हुए पूछा कि सरकार ये बताए कि पुरस्कार किस मद से दिए गए ?

न्यायमूर्ति एपी शाही और न्यायमूर्ति एआर मसूदी की बेंच ने सरकार से पुरस्कार देने के लिए निर्धारित अर्हता और चयन के लिए अपनाए जाने वाली प्रक्रिया के बारे में भी पूछा है। कोर्ट ने टिप्पणी की है कि पुरस्कार मांगे नहीं जाते, स्वयं दिए जाते हैं, जैसा इस मामले में नहीं हुआ है।

निलंबित आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने दायर की थी याचिका

सरकार की ओर से दिए गए यश भारती पुरस्कार को निलंबित आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने चुनौती दी थी। याचिका में कहा गया है कि जिस प्रकार पहले चुपके-चुपके 22 नाम घोषित किये गए और बाद में एक बार 12 और दोबारा 12 नाम नाम बढ़ा कर कुल 46 नाम कर दिए गए।

मुख्य सचिव आलोक रंजन की पत्नी सुरभि रंजन को यह पुरस्कार दिया, उससे साफ़ जाहिर हो जाता है कि ये पुरस्कार मनमाने तरीके से दिए जा रहे हैं । याचिका में पुरस्कार को रद्द करते हुए पारदर्शी प्रक्रिया से नियमानुसार अवार्ड देने की अपील की गई है ।

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