HC: बीआरडी मेडिकल कॉलेज के डॉ. सतीश की गिरफ्तारी पर रोक से इंकार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन आपूर्ति बंद होने से बच्चों की मौत में लापरवाही के आरोपी डॉ. सतीश कुमार राय की गिरफ्तारी पर रोक की मांग में दाखिल याचिका खारिज कर दी है। महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के.के.गुप्ता ने प्राथमिकी दर्ज कराई है।
इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन आपूर्ति बंद होने से बच्चों की मौत में लापरवाही के आरोपी डॉ. सतीश कुमार राय की गिरफ्तारी पर रोक की मांग में दाखिल याचिका खारिज कर दी है। महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के.के.गुप्ता ने प्राथमिकी दर्ज कराई है।
जिसकी विवेचना गोरखपुर के गलहरिया थाने की पुलिस के अलावा एसटीएफ कर रही है। यह आदेश जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस कृष्ण सिंह की खंडपीठ ने दिया है।
डॉ. सतीश कुमार राय एनेस्थीसिया विभाग के विभागाध्यक्ष है। डॉ. सतीश सहित छह डॉक्टरों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। शुरू में लखनऊ में प्राथमिकी दर्ज हुई और बाद में गोरखपुर स्थानांतरित कर दी गई।
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डीएम ने दिया HC में हलफनामा, कहा- पतंजलि कंपनी की भूमि पर प्राधिकरण ने काटे पेड़
इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गौतमबुद्ध नगर में पतंजलि आयुर्वेद लि. को आवंटित भूमि से हजारों पेड़ काटने के खिलाफ दाखिल याचिका की अगली सुनवाई की तिथि 11 सितंबर तय की है। राज्य सरकार की तरफ से जवाब दाखिल किया गया। कोर्ट ने याची अधिवक्ता को इसका जवाब दाखिल करने का समय दिया है।
यह आदेश जस्टिस तरूण अग्रवाल और जस्टिस अशोक कुमार की खंडपीठ ने औसाफ की याचिका पर दिया है। कोर्ट में यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण की तरफ से भी जवाबी हलफनामा दाखिल किया गया।
पेड़ों की कटाई पर कहा कि प्राधिकरण के अधिकारियों ने पेड़ नहीं कटवाए। दूसरी तरफ राज्य सरकार ने कहा कि प्राधिकरण के ही अधिकारियों ने पेड़ कटवाए। कोर्ट ने विवादित भूमि पर किसी भी कार्यवाही पर रोक लगा रखी है।
जिलाधिकारी ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि उन्होंने मौके का निरीक्षण किया। जिसमें पेड़ों को उखाड़ा गया, पाया गया। जो कि हाल में ही लगाए गए थे। कोर्ट ने प्राधिकरण के हलफनामे को दोषपूर्ण होने के कारण अस्वीकार कर दिया है। याची का कहना है कि बाबा रामदेव की संस्था पतंजलि योग संस्थान ने 4,500 पेड़ काट डाले।
याची को दो सौ बीघा जमीन वृक्षारोपण के लिए तीस साल के लिए पट्टे पर दी गई है। जिसे निरस्त नहीं किया जा सकता। याची को आवंटित जमीन पतंजलि आयुर्वेद लि. के पक्ष में आवंटित की गई है। इस पर फूड पार्क बनाया गया है।
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उमेश कुमार बने प्रदेश के प्रमुख सचिव न्याय व विधि परामर्शी
इलाहाबाद: गोरखपुर के जिला न्यायाधीश उमेश कुमार प्रदेश के प्रमुख सचिव न्याय एवं अपर विधि परामर्शी नियुक्त हुए हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 31 अगस्त 2017 को प्रतिनियुक्ति पर प्रमुख सचिव की तैनाती की अधिसूचना जारी की है। 5 सितंबर को लखनऊ के सचिवालय में वह कार्यभार संभालेंगे।
उमेश कुमार का जन्म 8 जुलाई 1960 को कोटवा नारायणपुर गांव जिला बलिया में हुआ। ये बब्बन लाल के पुत्र हैं। वह 5 अगस्त 1985 में मुंसिफ न्यायिक सेवा में प्रोन्नति हुए। 9 मई 2001 को उच्च न्यायिक सेवा में प्रोन्नति हुई। जून 2002 से सितंबर 2002 तक वह यूपी लोक सेवा आयोग के संयुक्त सचिव विधि भी रहे।
2006 से 2009 तक वह यूपी राज्य औद्योगिक विकास निगम कानपुर में महाप्रबंधक विधि पद पर तैनात रहे। 12 जुलाई 2014 में जनपद न्यायाधीश कौशाम्बी नियुक्त हुए।
खलीलाबाद, हमीरपुर के बाद गोरखपुर में जिला न्यायाधीश के रूप में तैनात रहे और उन्हें 31 अगस्त 2017 को प्रदेश के प्रमुख सचिव न्याय एवं विधि
परामर्शी नियुक्त किया गया।