हाईकोर्ट ने कहा-शादीशुदा महिला नहीं कर सकती दूसरी शादी के लिए धर्म परिवर्तन

Update: 2017-09-20 17:40 GMT
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इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला दिया है कि दूसरी शादी के उद्देश्य से धर्म परिवर्तन कर विवाह करना अवैध है। ऐसी शादी का कानून में कोई विधिक महत्व नहीं है। यही नहीं कोर्ट ने निर्णय में कहा कि पहली शादी से तलाक हुए बिना दूसरी शादी करना गलत और अवैध है।

कोर्ट ने शादीशुदा महिला द्वारा धर्म परिवर्तन कर विवाह कर लेने को गलत मानते हुए याची महिला व कथित पति अशरफ की याचिका खारिज कर दी तथा उन्हें गिरफ्तारी पर रोक का आदेश देने से इंकार कर दिया।

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यह आदेश न्यायमूर्ति एम.सी.त्रिपाठी ने खुशबू बेगम उर्फ खुशबू तिवारी और अशरफ की याचिका को खारिज करते हुए दिया है। मामले के अनुसार याचिनी खुशबू तिवारी एक शादीशुदा महिला है। उसकी शादी 30 नवम्बर 16 को हुई थी। बाद में इस महिला ने धर्म परिवर्तन कर अपना नाम खुशबू बेगम कर लिया और गांव जमुनीपुर थाना बरसठी जिला जौनपुर के अशरफ से शादी कर ली। याचिका दायर कर दोनों का कहना था कि वे बालिग हैं और उन्होंने अपनी मर्जी से शादी की है। उनका कहना था कि महिला के घर वाले शादी से नाराज है और इस कारण उनके जानमाल को खतरा है।

न्यायालय से दोनों ने गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की थी तथा कहा कि कोर्ट उनके जानमाल की सुरक्षा करने का प्रशासन को आदेश दे। अधिवक्ता विनोद कुमार मिश्रा ने याचिका का विरोध किया तथा कहा कि इन दोनों के खिलाफ थाना-बरसठी जौनपुर में धारा 498 भा.द.सं. के अन्तर्गत एनसीआर लिखी है। कोर्ट के नूरजहां बेगम उर्फ अंजलि मिश्रा केस का हवाला देते हुए याचीगण के शादी को शून्य करार दिया तथा सुरक्षा की मांग की याचिका खारिज कर दी।

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