HC: तालाब और कब्रिस्तान पर बना डाले फ्लैट, एलडीए वीसी और डीएम तलब

न्यायालय ने आश्चर्य जताते हुए जिलाधिकारी, लखनऊ से पूछा कि तालाब और कब्रिस्तान के तौर पर दर्ज जमीनों का निर्माण कार्य के लिए कैसे इस्तेमाल किया गया जबकि तालाब के मामले में सर्वोच्च न्यायालय का स्पष्ट आदेश है।

Update:2017-05-24 07:37 IST
21 और 22 फरवरी को अधिवक्ताओं की गैर मौजूदगी में नहीं होगा प्रतिकूल आदेश 

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने गोमती नगर विस्तार में तालाब और कब्रिस्तान के तौर पर दर्ज जमीनों पर लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा हजारों की संख्या में फ्लैट बनवाने के मामले में जिलाधिकारी व एलडीए वीसी को 30 मई को व्यक्तिगत रूप से तलब किया है।

तालाब पर फ्लैट

यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति वीरेंद्र कुमार (द्वितीय) की खंडपीठ ने मोतीलाल यादव की जनहित याचिका पर दिया। न्यायालय ने दोनों अधिकारियों को व्यक्तिगत हलफनामा भी दाखिल करने का आदेश दिया है।

याचिका में कहा गया था कि मलेसे मऊ में अलग-अलग नम्बर के 14 खसरे ऐसे हैं जो कब्रिस्तान के तौर पर रिकॉर्ड में दर्ज हैं। जबकि अलग-अलग नम्बर के 15 खसरे तालाब के तौर पर राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज हैं। बावजूद इसके इन जमीनों पर एलडीए ने निर्माण करा डाला है।

एलडीए की ओर से जवाब में कहा गया कि यह सही है कि इनमें से कुछ जमीनें तालाब के तौर पर रिकॉर्ड में दर्ज हैं लेकिन अब वहां तालाब नहीं है लिहाजा इनका अन्य प्रयोजन से इस्तमाल किया जा सकता है।

न्यायालय ने इस जवाब पर आश्चर्य जताते हुए जिलाधिकारी, लखनऊ से पूछा कि तालाब और कब्रिस्तान के तौर पर दर्ज जमीनों का निर्माण कार्य के लिए कैसे इस्तेमाल किया गया जबकि तालाब के मामले में सर्वोच्च न्यायालय का स्पष्ट आदेश है।

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