आशुतोष सिंह
वाराणसी: प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र होने के नाते वाराणसी की गिनती देश के सबसे वीआईपी शहर में होती है, लेकिन बिजली के मामले में यहां के हालात भी देश के दूसरे शहरों जैसे ही हैं। यूपी सरकार ने वाराणसी को नो पावर कट जोन घोषित कर रखा है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। धुंआधार बिजली कटौती से जनता परेशान हैं। कई इलाकों में प्रतिदिन घंटों बिजली कटौती हो रही है। लिहाजा जनता के सब्र का पैमाना छलकने लगा है। लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है, कई इलाकों में तो लोग सडक़ों पर उतर जा रहे हैं।
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बारिश का मौसम शुरू हो चुका है। उमसभरी गर्मी से लोग परेशान हैं। ऐसे में बिजली की कटौती लोगों के गुस्से को और बढ़ा रही है। शहर के किसी भी कोने में जाइए, लोग बिजली कटौती से परेशान हैं। थोड़े-थोड़े अंतराल पर बिजली कटौती हो रही है। सुबह से रात तक बिजली उपकेंद्रों से ट्रिपिंग और शटडाउन का खेल जारी रहता है। बारिश के साथ ही परेशानी और बढ़ गई है। भोजूबीर के रहने वाले शोमनाथ कहते हैं कि पिछले पांच सालों में इतनी कटौती कभी नहीं हुई। ऐसा लग रहा है कि चुनाव के दौरान सिर्फ दिखावे के तौर पर बिजली रहती थी। पहडिय़ा के आशीष श्रीवास्तव तो बिजली का नाम लेते ही फूट पड़े। कहते हैं कि ऐसा लग रहा है कि यूपी के किसी दूरदराज के छोटे जिले में हैं रह रहे हैं। जब प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र का यह हाल है तो अन्य जगहों का अंदाजा बखूबी लगाया जा सकता है।
गांवों में सिर्फ 10 घंटे ही बिजली
बिजली को लेकर यूपी सरकार बढ़े-बढ़े दावे करती है, लेकिन लोकसभा चुनाव खत्म होते ही ऐसा लग रहा है कि बिजली विभाग को लकवा मार गया है। पिछले एक महीने में बिजली विभाग बेपटरी हो चुका है। शहर में जहां 15-18 घंटे बिजली मिल रही है, वहीं गांवों में सिर्फ 6-10 घंटे ही बिजली नसीब है। बिजली कटौती से लोगों की दिनचर्या प्रभावित हो रही है। उपकेंद्रों पर फोन करने पर अधिकारी और कर्मचारी हाथ खड़े कर दे रहे हैं। लोगों की नाराजगी से बचने के लिए फोन स्विच ऑफ कर दे रहे हैं। अधिशासी अभियंता राजेश कुमार के मुताबिक कई इलाकों में सडक़ चौड़ीकरण का काम चल रहा है। ऐसे में लाइन शिफ्टिंग की गई है। इसके अलावा अत्यधिक गर्मी से लोड भी बढ़ गया है।
राज्यमंत्री ने लगाई अधिकारियों को फटकार
ताबड़तोड़ हो रही बिजली कटौती से लोगों के साथ अब बीजेपी के मंत्री और विधायकों के भी हाथ पांव फूल रहे हैं। इलाके में किरकिरी होते देख प्रदेश के विधि-न्याय, सूचना, खेल एवं युवा कल्याण राज्यमंत्री डा.नीलकंठ तिवारी ने पिछले दिनों बिजली विभाग के अफसरों की क्लास लगाई। उन्होंने 24 घंटे बिजली आपूर्ति की व्यवस्था प्रभावी बनाने पर जोर देते हुए कटौती होने पर कार्रवाई की चेतावनी दी है। उन्होंने कहाकि बनारस में निर्बाध आपूर्ति शासन स्तर से कराई जा रही है तो यह कटौती कैसे और किसके आदेश से हो रही है। इंजीनियरों के जवाब से असंतुष्ट मंत्री ने जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश देते हुए लोकल फाल्ट 10 से 15 मिनट में दुरुस्त करने व इसमें लापरवाही बरतने वाले कर्मियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश दिया। मंत्री ने अधिकारियों को चेतावनी दी कि शहर और ग्रामीण इलाकों में जले हुए और खराब ट्रांसफॉर्मर बदले जाएं। इसके अलावा जर्जर तारों व टेढ़े-मेढ़े खंभों को अभियान चलाकर एक सप्ताह में ठीक किया जाए।
वेस्ट यूपी : मांग ज्यादा, बिजली कम,सिस्टम लाचार
सुशील कुमार
मेरठ: मेरठ समेत वेस्ट यूपी में पिछले कुछ दिनों से विभिन्न हिस्सों में अघोषित बिजली कटौती का दौर जारी है। मई मध्य से पड़ रही भीषण गर्मी ने पावर सिस्टम के साथ ही सरकार द्वारा बिजली आपूर्ति की तैयारियों की पोल खोलनी शुरू कर दी है। हालत यह है कि कहीं प्राकृतिक कारणों से तो कहीं तकनीकी गड़बड़ी के कारण भी कई-कई घंटे बिजली गुल हो रही है। पीवीवीएनएल के 14 जिलों में 62 लाख उपभोक्ताओं के लिए करीब 7 हजार मेगावाट से ज्यादा बिजली की दरकार है जबकि दी जा रही 6 हजार मेगावाट। इस तरह करीब एक हजार मेगावाट बिजली की कमी से परेशानी हो रही है। नलकूपों के लिए बिजली 10 घंटे और गांवों के लिए अब 18 से घटाकर 16 घंटे की जा रही है।
रोजाना चार से छह घंटे बिजली नहीं रहने से लोगों को गर्मी में दिक्कत हो रही है। बिजली कटौती से लोगों में नाराजगी है। वहीं मांग और आपूर्ति में भारी अंतर आने से पावर सिस्टम भी लडख़ड़ाने लगा है। सिस्टम को ओवरलोड से बचाने के लिए पावर कारपोरेशन मेंटीनेंस के नाम पर बिजली कटौती कराने में लगा है। वहीं गांवों से लेकर नलकूपों तक भी बिजली आपूर्ति कम कर दी गई है। इससे किसानों में भी रोष व्याप्त है। पीवीवीएनएल के एमडी आशुतोष निरंजन बिजली संकट की वजह का खुलासा करते हुए बताते हैं कि गर्मी के चलते बिजली की मांग में करीब 30 फीसदी की वृद्धि हुई है। शेड्यूल के अनुसार बिजली आपूर्ति की कोशिश की जा रही है। फाल्ट होने से और कार्य के लिए शटडाउन लेने पड़ते हैं। हालांकि एमडी यह दावा करने से भी नहीं चूकते कि मंडल मुख्यालयों को 24 घंटे और गांवों को 18 घंटे बिजली आपूर्ति के लिए पावर सिस्टम को सुदृढ़ किया जा रहा है। इसमें न केवल नए बिजलीघर बने हैं बल्कि ओवरलोड बिजलीघरों की क्षमता भी बढ़ाई जा रही है। गांवों और नलकूपों को अलग-अलग बिजली आपूर्ति के लिए बिजली लाइन को भी अलग-अलग किया गया है। पीवीवीएनएल को भी अपने 62 लाख उपभोक्ताओं के लिए करीब 7 हजार मेगावाट से ज्यादा बिजली की दरकार है।
उपभोक्ताओं को लगातार झटके
बहरहाल, मांग और उपलब्धता की एक हजार मेगावाट की खाई को पाटने के लिए पीवीवीएनएल अधिकारी मेंटीनेंस और फाल्ट के नाम पर उपभोक्ताओं को लगातार कटौती के झटके दे रहे हैं। ऐसा कोई दिन नहीं जा रहा जब औसतन तीन से पांच घंटे बिजली कटौती न कराई जा रही हो। गांवों में भी बिजली आपूर्ति 18 घंटे से घटकर 14 से 15 घंटे पहुंच गई है। वहीं नलकूपों के लिए 9 से 10 घंटे ही बिजली आपूर्ति हो पा रही है। इतने कम घंटे बिजली आपूर्ति होने से किसान निराश है। किसानों का कहना है कि टुकड़ों में मिल रही 9 घंटे बिजली से फसलों की सिंचाई नहीं हो पा रही है। नलकूप किसानों पर आश्रित नलकूप विहीन किसानों की फसलों का तो सूखकर बुरा हाल हो गया है।
लोगों को पीने का पानी भी नहीं मिल रहा
बिना बिजली के शहरों में भी बुरा हाल है। एबीसी केबल डालने के लिए सुबह 8 बजे से लेकर शाम 3 बजे तक सात घंटे का शटडाउन लिया जा रहा है। इससे लोग गर्मी से बिलबिला रहे है। लोगों को पीने का पानी भी नहीं मिल पा रहा है। बिजली संकट की एक वजह प्रधानमंत्री सौभाग्य योजना को भी माना जा रहा है। दरअसल,इस योजना के तहत गांवों से लेकर मजरों तक में रहने वाले कनेक्शन विहीन लोगों को कनेक्शन दिए गए हैं। इस योजना के तहत पीवीवीएनएल में भी करीब 15 लाख से ज्यादा कनेक्शन दिए गए हैं। जिस हिसाब से कनेक्शन जारी हुए है उस हिसाब से पावर सिस्टम अपग्रेड नहीं हो सका है। इसके अलावा लोकसभा चुनाव में बिजली चोरी पकडऩे का अभियान धीमा पडऩे से भी विभाग को भारी नुकसान हुआ है।
गोरखपुर में करोड़ों खर्च के बाद भी कटौती
पूर्णिमा श्रीवास्तव
गोरखपुर: 2017 के विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच हुए जुबानी जंग के केंद्र में बिजली ही थी। योगी जहां यह कहते हुए अखिलेश सरकार पर कटाक्ष कर रहे थे कि सपा सरकार में बिजली के तारों पर कपड़े सुखाए जा रहे हैं तो वहीं अखिलेश यादव का जवाब होता था कि बाबा योगी तार को छू लें तो पता चल जाएगा बिजली आ रही है या नहीं। नेताओं की जुबानी जंग में सूबे में सरकार तो बदल गई, लेकिन बिजली आपूर्ति के हालात में खास सुधार नहीं हुआ।
सत्ता में आने के बाद प्रदेश सरकार बिजली की भेदभाव रहित उपलब्धता पर अपनी पीठ ठोंक रहे रहे हैं, लेकिन जमीन पर हालात बदतर हैं। सरकारी दावों के इतर सीएम सिटी में फाल्ट के चलते लोगों को 5 से 6 घंटे की कटौती झेलनी पड़ रही है। वह भी तब जबकि सिर्फ गोरखपुर में पिछले चार साल में बिजली सुधार के नाम पर 300 करोड़ से अधिक खर्च हो गए। करोड़ों खर्च के बाद भी फाल्ट की समस्या दूर नहीं हो रही है। शहर से लेकर गांव तक बिजली के चलते विवाद की स्थिति पैदा हो रही है।
मुख्यमंत्री के शहर गोरखपुर में जर्जर तारों, हांफते ट्रांसफॉर्मर को स्काडा, बिजनेस प्लान समेत अन्य योजनाओं के तहत बदला गया।अंडरग्राउंड केबिल बिछाने का काम 70 फीसदी तक पूरा हो चुका है। इसके बाद भी प्रतिदिन फाल्ट को लेकर आने वाली 110 से 140 शिकायतें सुधार की हकीकत बयां करने को पर्याप्त हैं। पिछले दिनों 20 करोड़ की लागत से मोतीराम अड्डा में 500 एमवीए ट्रांसफार्मर लगा। दावा किया गया कि इससे गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया और महराजगंज के करीब 11 लाख उपभोक्ताओं को कटौती के साथ ही ओवरलोड की समस्या से राहत मिलेगी, लेकिन स्थितियां नहीं सुधरी हैं। महराजगंज से लेकर कुशीनगर और देवरिया में उपकेंद्रों पर बवाल की सूचनाएं आम हैं। लोकसभा चुनाव गुजरने और भीषण गर्मी में बढ़ी बिजली की खपत ने बिजली निगम के सुधार के दावों की हवा निकाल दी है। बिना बताए हो रही 6 से 8 घंटे की कटौती से विपक्षी दल प्रदर्शन कर रहे हैं। साथ ही बिजली निगम के कर्मचारियों से मारपीट की घटनाएं रोज हो रही हैं।
बिजली कटौती से लोग पानी को तरसे
पिछले सप्ताह तेज हवाओं के साथ हुई झमाझम बारिश ने शहर के 50 फीसदी से अधिक घरों की बिजली ठप कर दी। गीता प्रेस रोड, साहबगंज, खूनीपुर आदि इलाकों में 24 घंटे तक गुल बिजली से लोग पानी तक के लिए तरस गए। सूरजकुंड से जुड़े 2000 से अधिक परिवारों का गुस्सा 7 घंटे की कटौती के बाद फूट पड़ा। नागरिकों ने सूरजकुंड उपकेन्द्र पर जमकर हंगामा किया। शहरी अधीक्षण अभिंयंता एके सिंह की दलील है कि अंडरग्राउंड केबल में फॉल्ट को खोजने में दिक्कत है। लोड बढऩे से उपकेन्द्र में ट्रिपिंग की समस्याएं बढ़ रही हैं। कस्बाई इलाकों में तो और भी बुरे हालात हैं। पिछले दिनों बिजली के टूटे तार को बदलने में देरी को लेकर भटहट में बिजली कर्मचारियों से मारपीट हो गई। मारपीट के आरोप में आधा दर्जन नागरिकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। बिजली निगम के गोरखपुर क्षेत्र के मुख्य अभियंता देवेन्द्र सिंह का कहना है कि शहर में 24 घंटे, तहसील मुख्यालय पर 22 घंटे और गांव में 20 घंटे बिजली के आदेश का अनुपालन कराया जा रहा है। बारिश के चलते फाल्ट की समस्याएं बढ़ गई हैं। बिजली की मांग बढऩे से लोड फैक्टर भी दिक्कत कर रहा है। उपलब्ध संसाधनों में बेहतर किया जा रहा है।
देवरिया और बस्ती में भी हालत बदतर
देवरिया और बस्ती में लोकसभा चुनावों के बाद शहरी इलाकों में भी आठ से दस घंटे तक बिजली कटौती हो रही है। देवरिया के सलेमपुर व भाटपार तहसील से जुड़े गांवों में 8 घंटे भी बिजली नसीब नहीं हो रही है। जिले के 70 से अधिक सब स्टेशनों से रोस्टर के मुताबिक बिजली की आपूर्ति की जा रही है। देवरिया में दिन में 11 बजे से शाम चार बजे तक नियमित कटौती हो रही है। शक्तिभवन लखनऊ से आकस्मिक बिजली कटौती के नाम पर लोग गर्मी में उबल रहे हैं। वहीं लोकल फाल्ट के नाम पर भी रोजाना शहर के अलग-अलग क्षेत्र में एक से ढाई घंटे तक की कटौती हो रही है। बिजली कटौती ने ठप पड़े इनवर्टर कारोबार को नई ऊर्जा दे दी है। थोक कारोबारी दीपक जायसवाल कहते हैं कि महीने में बमुश्किल 30 से 35 इनवर्टर ही बिकता था। पिछले एक महीने से रोज 4 से 6 इनवर्टर की बिक्री हो जा रही है।
बीएसएनएल के 550 मोबाइल टॉवर दे रहे दगा
गोरखपुर और महराजगंज में बीएसएनएल के 550 मोबाइल टॉवर लगे हैं। खस्ताहाली से बीएसएनएल के मोबाइल टॉवर की निर्भरता बिजली पर ही शिफ्ट हो गई है। डीजल खर्च को बचाने के लिए अधिकतर टॉवर से जेनरेटर ही हटा दिए गए हैं। यदि कहीं हैं भी तो उसमें डीजल नहीं डाला जा रहा है। शहरों की स्थिति तो कुछ हद तक ठीक है, लेकिन कस्बाई इलाकों में बीएसएनएल उपभोक्ताओं को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बीएसएनएल के महाप्रबंधक कहते हैं कि गगहा, बेलघाट, बड़हलगंज समेत तमाम कस्बों में सप्ताह भर से सुबह 9 से शाम 5 बजे तक कटौती हो रही है। मोबाइल टावरों पर लगी पुरानी बैटरियों से इतनी देर का बैकअप नहीं मिल रहा है। आर्थिक परेशानियों से जूझ रहा विभाग जेनरेटर का खर्च नहीं उठा पा रहा है।