Lok Sabha Election 2024: BSP ने जारी की 16 प्रत्याशियों की सूची, मायावती ने सात मुस्लिमों को दिया टिकट
Lok Sabha Election 2024: BSP ने अपने लोकसभा उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। इसमें 7 मुस्लिम उम्मीदवार शामिल हैं।
BSP Candidate List: बहुजन समाज पार्टी ने होली से एक दिन पहले रविवार को उत्तर प्रदेश में अपने 16 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया। बसपा मुखिया मायावती ने सहारनपुर में सपा-कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशी इमरान मसूद के खिलाफ माजिद अली को चुनाव मैदान में उतारा है जबकि अमरोहा में कांग्रेस प्रत्याशी दानिश अली के खिलाफ मुजाहिद हुसैन को टिकट दिया गया है।
7 मुस्लिम उम्मीदवार
उत्तर प्रदेश में 16 उम्मीदवारों की इस सूची में सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि बसपा मुखिया मायावती ने 16 में से 7 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतार दिए हैं। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की निगाह भी मुस्लिम वोट बैंक पर लगी हुई है और ऐसे में मायावती का यह कदम सपा मुखिया अखिलेश यादव के लिए खतरे की घंटी माना जा रहा है। मायावती का यह कदम मुस्लिम मतों के बंटवारे से भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
रामपुर और संभल में मुस्लिम प्रत्याशी
बहुजन समाज पार्टी की ओर से आज जारी की गई सूची में मुरादाबाद से मोहम्मद इरफान सैफी को प्रत्याशी बनाया है। सपा नेता मोहम्मद आजम खान का गढ़ माने जाने वाले रामपुर लोकसभा क्षेत्र से जीशान खान को चुनाव मैदान में उतारा गया है। सम्भल लोकसभा सीट पर सपा की निगाहें लगी हुई हैं। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने इस सीट से शफीकुर्रहमान बर्क के उत्तराधिकारी जियाउर्रहमान को चुनाव मैदान में उतारा है और इस सीट पर बसपा के शौलत अली को टिकट दिया गया है।
मुजाहिद हुसैन देंगे दानिश अली को चुनौती
अमरोहा लोकसभा सीट पर पिछले लोकसभा चुनाव में बसपा के दानिश अली ने चुनाव जीता था मगर बाद में पार्टी की मुखिया मायावती ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया था। शनिवार को उन्हें कांग्रेस की ओर से टिकट देने का ऐलान किया गया है और मायावती ने इस सीट पर मुजाहिद हुसैन को टिकट देकर दानिश अली की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। भाजपा ने सीट पर कंवर सिंह तंवर को चुनाव मैदान में उतारा है।
इन महत्वपूर्ण सीटों पर भी प्रत्याशी घोषित
मुजफ्फरनगर सीट से दारा सिंह प्रजापति और बिजनौर से विजेन्द्र सिंह बसपा के उम्मीदवार घोषित किए गए हैं। नगीना सुरक्षित सीट से सुरेंद्र पाल सिंह को टिकट दिया गया है जबकि मुरादाबाद से मोहम्मद इरफान सैफी बसपा के प्रत्याशी होंगे। बसपा के टिकट पर कैराना से श्रीपाल सिंह चुनाव मैदान में होंगे जबकि मेरठ से मायावती ने देवव्रत त्यागी पर भरोसा जताया है। बागपत लोकसभा सीट को रालोद का गढ़ माना जाता है और इस सीट पर बसपा की ओर से प्रवीण बंसल को चुनाव मैदान में उतारने का ऐलान किया गया है। गौतमबुद्ध नगर से राजेन्द्र सिंह सोलंकी, बुलन्दशहर से गिरीश चन्द्र जाटव, आंवला से आबिद अली, पीलीभीत से अनीस अहमद खां और शाहजहांपुर से दोदराम वर्मा को मायावती ने अपना प्रत्याशी बनाया है।
मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाएंगी मायावती
बसपा की ओर से जारी की गई सूची में उल्लेखनीय बात यह है कि 16 में से 7 सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारे गए हैं। इस पूर्व पार्टी की ओर से कन्नौज लोकसभा क्षेत्र से अकील अहमद और पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र से पूर्व मंत्री अनीस अहमद खान फुल बाबू को चुनाव मैदान में उतारने का ऐलान किया जा चुका है। मायावती के इस कदम से साफ है कि वे आने वाले दिनों में सपा मुखिया अखिलेश यादव का मुश्किलें बढ़ाने वाली है। मुस्लिम और यादव वोट बैंक को सपा मुखिया अखिलेश यादव की बड़ी ताकत माना जाता रहा है मगर मायावती इसमें सेंध लगाने की कोशिश में जुट गई हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा को मजबूत चुनौती देने की कोशिश में जुटे सपा मुखिया अखिलेश यादव के लिए मायावती का यह कदम खतरे की घंटी माना जा रहा है।
सपा को हो सकता है बड़ा नुकसान
यदि पिछले चुनावों को देखा जाए तो मुस्लिम वोट भाजपा के खिलाफ एकमुश्त पड़ते रहे हैं। यदि किसी चुनाव क्षेत्र में किसी दल की ओर से मुस्लिम प्रत्याशी नहीं उतारा गया तो इसका बड़ा फायदा समाजवादी पार्टी को ही मिलता रहा है। पूर्व के चुनावों में भी बसपा की ओर से मुस्लिम प्रत्याशी उतारने पर इसका खामियाजा सपा को ही भुगतना पड़ा है। हाल में आजमगढ़ में हुए लोकसभा उपचुनाव के दौरान मायावती ने गुड्डू जमाली को खड़ा करके समाजवादी पार्टी की हार की पटकथा लिख दी थी। आजमगढ़ को सपा का मजबूत गढ़ माना जाता रहा है मगर गुड्डू जमाली की वजह से लोकसभा उपचुनाव के दौरान भाजपा इस सीट पर जीत हासिल करने में कामयाब रही थी। गुड्डू जमाली ने करीब ढाई लाख से अधिक वोट हासिल किए थे और भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ ने सपा को हरा दिया था। इसीलिए सपा मुखिया अखिलेश यादव ने गुड्डू जमाली को पार्टी में शामिल करके विधान परिषद चुनाव में प्रत्याशी बना दिया है ताकि आजमगढ़ में सपा की राह आसान हो सके।
भाजपा को हो सकता है सियासी फायदा
यदि पिछले विधानसभा चुनाव को देखा जाए तो कई सीटों पर बसपा प्रत्याशी सपा की हार का कारण बने थे। यद्यपि पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा सिर्फ एक सीट हासिल करने में कामयाब हुई थी मगर पार्टी ने कई सीटों पर सपा प्रत्याशियों की हार में महत्वपूर्ण भूमिका जरूर निभाई थी। अब लोकसभा चुनाव के दौरान भी वैसी ही स्थितियां बनती हुई दिख रही है। बसपा की ओर से मुस्लिम प्रत्याशियों को उतारे जाने से सपा के वोट बैंक में मजबूत सेंधमारी की आशंका पैदा हो गई है। बसपा मुखिया के इस कदम से साफ हो गया है कि उनकी पार्टी भले ही न जीत पाए मगर त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति में भाजपा को इसका बड़ा सियासी फायदा मिल सकता है।