हाईकोर्ट ने खारिज की बेहतर पद की मांग, कहा- बार बार नहीं मांगी जा सकती अनुकंपा नियुक्ति

याची पहले क्लास थ्री के पद पर लिखित परीक्षा में असफल हो गया था, तब उसे चतुर्थ श्रेणी का पद दिया गया जिसे उसने स्वीकार कर लिया। इसके बाद उसने फिर प्रार्थना पत्र देकर कहा कि अब वह तृतीय श्रेणी पद के लिए अर्ह हो गया है इसलिए उसे तृतीय श्रेणी के पद पर नियुक्ति दी जाए।

Update: 2017-02-17 13:13 GMT

इलाहाबाद: हाईकोर्ट ने कहा है कि एक बार अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति मिल जाने के बाद दोबारा उससे बेहतर पद के लिए नियुक्ति की मांग नहीं की जा सकती। कोर्ट ने कहा कि मृतक आश्रित कोटे के तहत परिवार को संबल देने के लिये नियुक्ति दी जाती है, जिसे बार बार नहीं बदला जा सकता। इस सिलसिले में बेहतर पद की याचिका अदालत ने खारिज कर दी।

बेहतर पद की मांग

-अदालत ने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति आर्थिक मदद के रूप में होती है उसे बदलने की मांग अनुचित है।

-याची पहले क्लास थ्री के पद पर लिखित परीक्षा में असफल हो गया था, तब उसे चतुर्थ श्रेणी का पद दिया गया जिसे उसने स्वीकार कर लिया।

-इसके बाद उसने फिर प्रार्थना पत्र देकर कहा कि अब वह तृतीय श्रेणी पद के लिए अर्ह हो गया है इसलिए उसे तृतीय श्रेणी के पद पर नियुक्ति दी जाए।

-कोर्ट ने इस मांग को अनुचित माना और याचिका खारिज कर दी।

-वाराणसी के राजकुमार सिंह की याचिका पर न्यायमूर्ति वीके शुक्ल और न्यायमूर्ति संगीता चन्द्रा की पीठ ने सुनवाई की।

-याची के पिता पुलिस विभाग में कांस्टेबल थे। सेवाकाल में उनकी मृत्यु हो गयी। याची ने स्टेनो पद के लिए मृतक आश्रित कोटे में आवेदन किया था।

-मगर याची टेस्ट में फेल हो गया। तब उसे चतुर्थ श्रेणी के पद पर नियुक्ति लेने का प्रस्ताव दिया गया जिसे उसने स्वीकार कर लिया।

याचिका खारिज

-इसके बाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर मांग की गयी कि याची अब स्टेनो बनने योग्य अर्हता रखता है इसलिए उसे फिर अवसर दिया जाए।

-कोर्ट ने कहा कि मृतक आश्रित कोटे के तहत एक बार नियुक्ति प्राप्त कर लेने के बाद बार-बार नियुक्ति की मांग नहीं की जा सकती।

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