बढ़ सकती है मुलायम के समधी की मुश्किलें, इस मामले में कोर्ट ने सुरक्षित किया निर्णय
तनवीर ने बताया कि पूर्व में सूचना आयुक्त बिष्ट ने उनके साथ बदसलूकी की थी जिसकी शिकायत थाने और एसएसपी से करने पर भी बिष्ट के खिलाफ FIR नहीं लिखी गई l जब तनवीर ने मामले की शिकायत लखनऊ के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायलय में की तो न्यायालय ने अवधारित किया कि बिष्ट एक लोकसेवक हैं और इसीलिये उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू करने से पूर्व शासन से अभियोजन की स्वीकृति आवश्यक है।
लखनऊ: समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के समधी और यूपी के राज्य सूचना आयुक्त अरविन्द सिंह बिष्ट एक बार फिर परेशानी में फंसते नज़र आ रहे हैं। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने बिष्ट के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति देने की मांग वाली याचिका पर सभी पक्षों की बहस पूर्ण हो जाने के बाद अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया है।
ये भी पढ़ें— कोलकाता मैदान मेट्रो स्टेशन के पास ट्रेन में लगी आग, 11 लोगों की तबियत बिगड़ी
राजधानी लखनऊ के समाजसेवी और आरटीआई एक्टिविस्ट तनवीर अहमद सिद्दीकी ने यह याचिका उत्तर प्रदेश के प्रशासनिक सुधार विभाग आदि के खिलाफ दायर की थी जिस पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार अरोरा और आलोक माथुर की दो सदस्यीय पीठ ने बीती 17 दिसम्बर को निर्णय सुरक्षित करने का आदेश पारित किया। मामले में याची तनवीर की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता चन्द्र भूषण पाण्डेय,पंकज तिवारी और शैलेन्द्र कुमार शुक्ल द्वारा पक्ष रखा गया| राज्य सरकार की तरफ से मुख्य स्थाई अधिवक्ता और सूचना आयुक्त बिष्ट की तरफ से अधिवक्ता शिखर आनंद ने अपना पक्ष रखा।
ये भी पढ़ें— थानेदार के खिलाफ फूटा तेजप्रताप का गुस्सा, बोले- उसकी औकात क्या है जो हमसे रंगदारी बतियाता है
तनवीर ने बताया कि पूर्व में सूचना आयुक्त बिष्ट ने उनके साथ बदसलूकी की थी जिसकी शिकायत थाने और एसएसपी से करने पर भी बिष्ट के खिलाफ FIR नहीं लिखी गई l जब तनवीर ने मामले की शिकायत लखनऊ के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायलय में की तो न्यायालय ने अवधारित किया कि बिष्ट एक लोकसेवक हैं और इसीलिये उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू करने से पूर्व शासन से अभियोजन की स्वीकृति आवश्यक है।
ये भी पढ़ें—औरतों के साथ किसी भी धर्म में भेदभाव सही नहीं, उन्हें आजादी मिलनी चाहिएः धर्मवीर गांधी
तनवीर ने योगी सरकार को कई पत्र भेजकर सूचना आयुक्त बिष्ट के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति निर्गत करने का अनुरोध किया लेकिन योगी सरकार भी मुलायम समधी को बचाती रही और हारकर तनवीर को हाई कोर्ट में याचिका दायर करने के लिए बाध्य होना पड़ा। अपने मामले को नियमसंगत और सच्चा बताते हुए तनवीर ने बताया कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि उन्हें हाईकोर्ट से अवश्य ही न्याय मिलेगा।